जू में शेरनी मेघा ने दोनों बच्चों को दूध पिलाना बंद किया तो कर्मचारी दे रहे हैं आहार
इन्दौर।
करीब सवा दो माह पहले प्राणी संग्रहालय (Zoological Museum) की शेरनी मेघा (lioness megha) ने तीन शावकों ( three cubs) को जन्म दिया था और एक के कमजोर होने पर शेरनी खुद खा गई थी। अब बचे दो शावकों को कुछ दिनों से उसने दूध पिलाना बंद कर दिया, जिसके चलते जू के कर्मचारियों की टीम दोनों शावकों की सेवा में लगी है। शुरुआत में शावकों को दूध पिलाया जा रहा था और अब उनके थोड़े बड़े होने पर चिकन का सूप दिया जा रहा है, ताकि वे स्वस्थ रहें। दोनों टाइम चिकन सूप के अलावा उन्हें अन्य आहार भी दिया जाता है।
इससे पहले भी प्राणी संग्रहालय (Zoological Museum) में शेर के बच्चे लकी को बकरी (goat) के दूध ( milk) से पाल-पोसकर बड़ा किया था। इसके लिए वहां बकरियां लाकर बांधी गई थीं। बकरी का दूध पौष्टिक होता है और इससे शावकों की ग्रोथ बढऩे में मदद मिलती है। जू में डेढ़ दर्जन से ज्यादा शेर का परिवार है। इनमें टाइगर और व्हाइट टाइगर भी शामिल हैं। कुछ दिनों पहले जू की शेरनी मेघा ने तीन शावकों को जन्म दिया था और जन्म के दो-तीन दिन के अंतराल में एक शावक कमजोर नजर आने लगा और कुछ दिनों बाद वह लापता हो गया तो जू के कर्मचारियों ने काफी खोजबीन की, लेकिन वह नहीं मिला। बाद में पता चला कि शेरनी मेघा ने ही उसका शिकार कर लिया था। जू के प्रभारी अधिकारी डॉ. उत्तम यादव के मुताबिक वाइल्ड लाइफ में अकसर ऐसा होता है कि कमजोर शावकों का शेरनी खुद ही शिकार कर खा जाती है। अब शेष बचे दो शावकों को कई दिनों से शेरनी ने दूध पिलाना बंद कर दिया था, जिसके चलते वह कमजोर होने लगे थे। इसी के चलते जू के कर्मचारियों ने दोनों शावकों को शुरुआती दौर में दूध पिलाना शुरू किया और इसके बेहतर परिणाम आए। अब शावकों को दूध के अलावा चिकन का सूप सुबह-शाम दिया जा रहा है, ताकि उन्हें पौष्टिक आहार मिल सके। यादव का कहना है कि सुबह-शाम उनका स्वास्थ्य परीक्षण भी किया जाता है और कई बार पानी में उन्हें आवश्यक विटामिन दिए जाते हैं, ताकि गर्मी से उनका बचाव होता रहे।
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