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2023 के चुनावों से पहले Litmus Test होंगे उपचुनाव

October 11, 2021

  • कांग्रेस आदिवासियों तो भाजपा ओबीसी को साधने में जुटी

भोपाल। एक लोकसभा और 3 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव भाजपा और कांग्रेस (By-Election BJP and Congress) के लिए 2023 के विधानसभा चुनाव (Assembly elections) से पहले का लिटमस टेस्ट बन गया है। उपचुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों पूरी तरह तैयार हैं। दोनों ही दलों ने अपने उमीदवारों का ऐलान कर दिया है। दोनों ही पार्टियां जातीय गणित के सहारे उपचुनाव में अपनी ताकत दिखाना चाहती हैं। कांग्रेस (Congress) जहां आदिवासियों में अपनी पैठ बनाए रखना चाहती है वहीं भाजपा ने ओबीसी को प्रमुखता से आगे किया है। पार्टी ने सामान्य सीटों पर भी ओबीसी उमीदवार (OBC Candidates) को टिकट दिया है। दोनों पार्टियों की कोशिश है कि इन उपचुनावों को जीत कर 2023 के विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) का आगाज किया जाए।



उपचुनावों में दोनों ही दल अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं। स्थिति करो या मरो की बनी हुई है। कांग्रेस इन सीटों को जीत कर यह दिखाना चाहती है कि जनता का विश्वास उस पर लौट रहा है तो भाजपा यह साबित करना चाहती है कि उसकी सरकार बेहतर काम कर रही है और जनता का भरोसा उस पर बना हुआ है। कुल मिलाकर सत्ता का सेमीफाइनल कहे जा रहे यह उपचुनाव दोनों ही पार्टियों के लिए लिटमस टेस्ट साबित होने जा रहे हैं।

कांग्रेस का फोकस आदिवासियों पर
कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव में आदिवासी सीटों पर खासी बढ़त हासिल की थी। यही वजह है कि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ फिर आदिवासियों के बीच जाकर उनका दिल जीतने की कोशिश करेंगे। इसके लिए उनका कार्यक्रम भी तैयार कर लिया गया है। कांग्रेस इन सीटों को जीतने में पूरा जोर लगाना चाहती है उसके नेता भी दावा कर रहे हैं कि पूरी पार्टी एकजुट है और हम उपचुनाव में जरूर जीतेंगे।बीजेपी ने जिस तरह से कैंडिडेट का ऐलान किया है उसे देखकर यही कहा जा सकता है कि पार्टी ओबीसी कार्ड के भरोसे ज्यादा है।

26 लाख से ज्यादा मतदाताओं को साधने का प्रयास
उपचुनाव भले ही 1 लोकसभा और 3 विधानसभा सीटों पर है, लेकिन इससे 11 विधानसभा सीटें प्रभावित होंगी। खंडवा लोकसभा में 8 विधानसभा सीट शामिल हैं। इस तरह विधानसभा सीटों की बात करें तो यहां पर 11 सीटों का गणित है। इन सीटों पर 26 लाख से ज्यादा मतदाता हैं। जिस पर दोनों पार्टियों की नजर है, यही वजह है कि यहां से 2023 की तस्वीर काफी हद तक साफ हो सकती है। खंडवा लोकसभा की 8 विधानसभा सीट पर तकरीबन 20 लाख मतदाता हैं। जिनमें एसटी-एससी का प्रतिशत 38 तो वही ओबीसी 26 प्रतिशत और सामान्य 20 प्रतिशत से अधिक और 15 प्रतिशत से ज्यादा अल्पसंयक वोटर्स हैं। भाजपा ने यहां ओबीसी का कार्ड खेला तो कांग्रेस का कैंडिडेट जरनल कैटगरी से है। खंडवा लोकसभा में 8 विधानसभा मांधाता, बुरहानपुर, बड़वाह, बागली, पंधाना, नेपानगर, भीकनगांव और खंडवा। इनमें बागली, पंधाना, भीकनगांव एसटी और खंडवा एससी सीट है। कुल मिलाकर आदिवासी बहुल क्षेत्र है।

अलग-अलग वोट बैंक पर नजर
भाजपा उपचुनाव में ओबीसी दलित और आदिवासी वर्ग को साधने की कोशिश कर रही है। बीते दिनों में पार्टी ने ओबीसी, आदिवासी और दलितों के लिए अलग अलग कार्यक्रम और योजनाओं की घोषणा भी की है। खंडवा लोकसभा में यूं तो एससी-एसटी से तकरीबन पौने आठ लाख के करीब वोटर्स हैं, लेकिन यहां आदिवासी वोटर्स निर्णायक भूमिका में हैं। यही वजह है कि हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी जबलपुर पहुंचे और मुयमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी 15 नवंबर जनजाति दिवस को धूमधाम से मनाए जाने और इस दिन छुट्टी घोषित करने का ऐलान कर चुके हैं।

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