नई दिल्ली: देश में पहली बार लिथियम का भंडार (lithium reserves) मिला. जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) को धरती का स्वर्ग कहा जाता है. लेकिन इसी स्वर्ग में 59 लाख टन का अनमोल ‘खजाना’ मिला है. भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (Geological Survey of India) के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में एक बड़ा लिथियम भंडार (lithium reserves) मिला है. स्मार्टफोन हो, इलेक्ट्रिक हो या नॉर्मल कार या फिर कोई और बैटरी वाला प्रोडक्ट… इन सब में लिथियम आयन बैटरी का इस्तेमाल होता है.
आने वाले वक्त में एनर्जी का बड़ा सोर्स लिथियम आयन बैटरी होंगी. दुनियाभर के तमाम देश पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर अपनी निर्भरता को कम कर रहे हैं. इन सब में लिथियम का बड़ा योगदान है. दरअसल, इसकी वजह लिथियम आयन बैटरी है. इसका इस्तेमाल रिन्यूएबल एनर्जी को स्टोर करने के लिए किया जाता है. कभी जिस लिथियम की कोई पूछ नहीं थी, इस क्रांतिकारी इनोवेशन की वजह से लिथियम ‘सोना’ बन गया. भारत में भी लिथियम का एक बड़ा भंडार मिला है. जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में ये भंडार मिला है. भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में मिला लिथियम भंडार 59 लाख टन का है.
सवाल ये है कि इससे देश में क्या कुछ बदलेगा. क्या लिथियम का ये भंडार देश में एक नई क्रांति लाएगा? जिस भारत के विश्वगुरु बनने की बात हम सालों से सुनते आ रहे हैं. क्या लिथियम का ये भंडार हमारे लिए विश्वगुरु बनने का मौका है? इन सभी सवालों के जवाब के लिए हमें लिथियम की भूमिका को समझना होगा.
आज दुनियाभर में ग्रीन एनर्जी पर स्विच होने की बातें हो रही है. कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए दुनियाभर की सरकारें ग्रीन एनर्जी को प्रमोट कर रही हैं. इसमें लिथियम का बड़ा रोल है. लिथियम आयन बैटरी की मदद से रिन्यूएबल एनर्जी को स्टोर किया जा सकता है. इस एनर्जी को बाद में यूज भी किया जा सकता है. अच्छी बात ये है कि ये बैटरी रिचार्जेबल होती है और इनकी लाइफ ज्यादा होती है. इस तरह से लिथियम आने वाले भविष्य में एक जरूरी मेटल बन जाता है. लिथियम आयन बैटरी में दूसरे मेटल्स भी होते हैं, लेकिन इसमें मुख्य भूमिका लिथियम की ही है.
इलेक्ट्रिक कार हो या फिर बड़े इलेक्ट्रिक ट्रक इन सभी में लिथियम आयन बैटरी का इस्तेमाल होगा. भारत में लिथियम का भंडार मिलने से देश बैटरी मैन्युफैक्चरिंग को बूस्ट कर सकेगा. अगर दुनियाभर में प्रमुख लिथियम प्रोड्यूस करने वाले देशों की बात करें, तो भारत इसमें नजर नहीं आता है. इस भंडार के मिलने से भारत की स्थिति मजबूत होगी. लिथियम की कीमत वैरी करती है. जैसे शेयर मार्केट में हर दिन किसी कंपनी के शेयर की वैल्यू तय होती है, उसकी तरह के कमोडिटी मार्केट है. इस मार्केट में मेटल की वैल्यू तय होती है. खबर लिखते वक्त Lithium की वैल्यू प्रति टन 472500 युआन (लगभग 57,36,119 रुपये) थी.
इस हिसाब से एक टन लिथियम की भारतीय रुपये में कीमत 57.36 लाख रुपये होती है. भारत में 59 लाख टन लिथियम का भंडार मिला है. यानी इसकी वैल्यू आज के वक्त में 33,84,31,021 लाख रुपये (3,384 अरब रुपये) होगी. ये कीमत आज के रेट पर है. ग्लोबल मार्केट के साथ इसकी कीमत हर वक्त बदलती रहती है. लिथियम प्रोडक्शन के मामले में ऑस्ट्रेलिया सबसे ऊपर है. साल 2021 के आंकड़ों के मुताबिक, दुनियाभर का 52 परसेंट लिथियम ऑस्ट्रेलिया प्रोड्यूस करता है. दूसरे नंबर पर चिली है, जिसकी हिस्सेदारी 24.5 परसेंट है. तीसरे नंबर पर चीन है, जो 13.2 परसेंट लिथियम प्रोड्यूस करता है. ये तीन देश ही दुनियाभर का 90 परसेंट लिथियम प्रोड्यूस करते हैं.
चूंकि, दुनियाभर के तमाम देश ग्रीन एनर्जी पर स्विच करने में लगे हैं. ऐसे में लिथियम की वैल्यू बढ़ना लाजमी है. रिपोर्ट्स की मानें तो साल 2000 से 2015 के बीच लिथियम की डिमांड 30 गुना बढ़ी है. वहीं 2015 के मुकाबले 2025 में इसकी डिमांड 1000 परसेंट बढ़ सकती है. ऐसे में इसकी कीमत का बढ़ना भी तय है. देश में लिथियम का प्रोडक्शन बढ़ने से आने वाले वक्त बैटरी की कीमत कम हो सकती है. इससे पेट्रोल-डिजल का खर्च तो कम होगा ही. इन पर निर्भरता और प्रदूषण भी घटेगा.
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