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    सुनी सुनाई : मंगलवार 27 जुलाई 2021

  • July 27, 2021

    इन 8 आईएएस की जांच क्यों नही?
    भारत सरकार के कार्मिक विभाग ने वर्ष 2020-21 में मप्र के 8 आईएएस अधिकारियों के खिलाफ आई शिकायतों को जांच के लिए मप्र सरकार को भेजा। लेकिन एक भी आईएएस की जांच आज तक शुरु नहीं हुई है। अब इस मामले में एक पूर्व विधायक ने लोकायुक्त का दरवाजा खटखटाया है। खास बात यह है कि जिन 8 आईएएस की शिकायतों की जांच के लिए भारत सरकार ने गोपनीय पत्र मप्र सरकार को लिखे हैं वे सभी आईएएस सीधी भर्ती (आरआर) के आईएएस हैं। यह माना जाता है कि प्रमोटी आईएएस नेताओं के इशारे पर सही गलत काम करते हैं। लेकिन इन शिकायतों और जांच पत्र से लगा है कि मप्र में सीधी भर्ती के आईएएस भी कम खिलाड़ी नहीं है। पूर्व विधायक का कहना है कि वे इन आईएएस की जांच को लेकर हाईकोर्ट में पिटीशन दायर करने वाले हैं।

    डॉ. गोविंद सिंह का धोबी पछाड़!
    देश की राजनीति में अपने विरोधियों को ठिकाने लगाने के मामले में मुलायम सिंह यादव का कोई मुकाबला नहीं। यही कारण है कि उनकी राजनीति को धोबी पछाड़ का नाम दिया गया है। मप्र में भी कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक डॉ. गोविंद सिंह ने इस सप्ताह अपनी ही पार्टी में अपने विरोधियों को सबक सिखाने धोबी पछाड़ दांव चला। नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में शामिल डॉ. गोविंद सिंह को पता चला कि प्रदेश कांग्रेस के एक नेता उनके खिलाफ पीसीसी में बैठकर षड्यंत्र कर रहे हैं। वे भिंड के जिला कांग्रेस अध्यक्ष जय श्रीराम बघेल और एक पूर्व विधायक के जरिए भिंड में गोविंद सिंह के खिलाफ प्रदर्शन करा रहे हैं। इसकी भनक लगते ही गोविंद सिंह ने भोपाल में डेरा डाला। कमलनाथ से मुलाकात की और जब तक जिला अध्यक्ष बघेल नहीं हटा दिए गए वे भोपाल में जमे रहे। मजेदार बात यह है कि गोविंद सिंह को इस मुहिम में भिंड के उनके एक कट्टर विरोधी नेता का भी साथ मिला।

    यात्री प्रतिक्षालय यानि भ्रष्टाचार!
    यह खबर चौंकाने वाली है लेकिन शत-प्रतिशत सही है। मप्र में सांसद और विधायक निधि से बनने वाले यात्री प्रतिक्षालय नेताओं के लिए कमाई का बड़ा जरिए बने हुए हैं। प्रतिक्षालय बनाने वाले ठेकेदारों ने राज्य सरकार से एक प्रतिक्षालय की कीमत 2 लाख 25 हजार तय करा रखी है। जबकि यह प्रतिक्षालय लगभग 50 हजार में बनकर तैयार हो जाता है। पिछले दिनों भोपाल में प्रतिक्षालय बनाने वाले ठेकेदार ने कई विधायकों से मुलाकात कर उन्हें 30 से 35 प्रतिशत कमीशन पर प्रतिक्षालय बनाने के प्रस्ताव दिए। यह प्रस्ताव देखकर विधायकों का माथा ठनका। बताते हैं कि कुछ विधायक ठेकेदार के प्रलोभन में आ गये हैं, जबकि कई विधायकों ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से करने का निर्णय लिया है। यानि यह तय है सांसद विधायक निधि से बनने वाले प्रतिक्षालय भ्रष्टाचार का बड़ा जरिया बना हुआ है।

    रामबाई की हेकड़ी खत्म!
    मप्र में राजनीतिक हवा का रुख पहचानकर अपनी राजनीतिक विचारधारा बदलने वाली बसपा की निलंबित विधायक रामबाई की हेकड़ी अब लगभग खत्म हो गई है। अब न कांग्रेस के नेता उन्हें पसंद कर रहे हैं और न ही भाजपा में उनका कोई वजन रह गया है। रामबाई ने कमलनाथ सरकार को समर्थन देने की बड़ी कीमत वसूली थी। भोपाल में बड़ा बंगला, दमोह में मन पसंद प्रशासनिक टीम और हत्या के आरोप में फरार पति को पुलिसिया जांच में क्लीन चिट तक उन्होंने दिलाई। प्रदेश में भाजपा सरकार आते ही रामबाई ने पाला बदला और भाजपा के दो मंत्रियों को जीजा बनाकर क्षेत्र में अपना प्रभाव बनाए रखने का प्रयास किया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश से रामबाई की सारी हेकड़ी खत्म हो गई है। उनके पति को जबलपुर सेन्ट्रल जेल भेज दिया गया है। जेल प्रशासन और दमोह के जज ने भी रामबाई और उनके चहेते अफसरों के अनुचित राजनीतिक दबाव के मामले में अपनी-अपनी रिपोर्ट भेज दी है। लगता है कि अब रामबाई और उनके परिवार के बुरे दिन शुरू हो गए हैं।

    आईएएस की पत्नी की शिकायत
    मप्र के एक दबंग आईएएस अधिकारी की डॉक्टर पत्नी की शिकायत मुख्य सचिव कार्यालय में की गई है। आरोप है कि आईएएस की पत्नी के पास मान्यता प्राप्त संस्थान से स्त्री रोग विशेषज्ञ की डिग्री नहीं है। इसके बाद भी वे भोपाल के एक अस्पताल में लंबे समय से स्त्री रोग विशेषज्ञ के रूप में काम कर रही हैं। इसी अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञों ने एकजुट होकर इसी महीने मुख्य सचिव को लिखित शिकायत सौंपी है और आईएएस की पत्नी को मौजूदा काम से हटाने की मांग की है। मजेदार बात यह है कि आईएएस की दबंगी का लाभ उनकी पत्नी लंबे समय से उठा रही हैं। भोपाल के 74 बंगला क्षेत्र में आईएएस के लिए आवंटित विशाल बंगले में उनकी पत्नी धड़ल्ले से निजी प्रेक्टिस भी करती हैं। अर्थात सरकारी बंगले में फीस वसूल कर मरीजों का उपचार करती हैं।

    अब महंगी पड़ेगी गुंडागर्दी
    वाकई मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अब गुंडे बदमाशों के लिए व्रज से भी कठोर साबित हो रहे हैं। उन्होंने कई बार यह घोषणा की है कि वे प्रदेश की जनता के लिए फूल से कोमल हैं लेकिन गुंडे बदमाशों के लिए व्रज से भी कठोर। इस सप्ताह इंदौर और भोपाल में जिस तरह गुंडों के खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई की गई उससे लगता है कि अब प्रदेश में गुंडागर्दी करना महंगा पड़ेगा। इंदौर में शराब माफियाओं की गोलीबारी के बाद पुलिस ने अभियान चलाकर 562 गुंडों को गिरफ्तार कर ढंग से सबक सिखा दिया है। भोपाल में पुलिस कर्मचारी पर चाकू से हमला करने वाले 6 गुंडों पर पुलिस ऐसी टूट पड़ी है कि उनकी दुकानें और घर जमींदोज कर दिए गए हैं। मप्र में अब पुलिस केवल गुंडों को गिरफ्तार कर जेल भेजने तक सीमित नहीं है। गुंडों के आशियाने और उनके आय के स्रोत पर सीधा हमला होने से उम्मीद की जा रही है कि कम से कम महानगरों में गुडागर्दी पर अंकुश लगेगा।

    और अंत में….
    मप्र की राजनीति में बीते सप्ताह एक सवाल हर जगह पूछा जा रहा है कि पेगासस साफ्टवेयर से जिन लोगों की जासूसी की गई है उनमें पूरे मप्र के अकेले प्रहलाद पटेल को ही निशाने पर क्यों लिया गया? अभी तक आई सूचनाओं के अनुसार प्रहलाद पटेल और उनसे जुड़े आधा दर्जन लोगों के फोन सुने जा रहे थे। इसे लेकर तरह-तरह की अटकलें हैं। कुछ लोगों का दावा है कि भाजपा नेतृत्व मप्र में विकल्प के रूप में प्रहलाद पटेल को स्थापित करना चाहता था। यही कारण है कि उनकी निगरानी की गई। जासूसी का ही असर है कि पटेल को मप्र में विकल्प बनाने के बजाय केन्द्र सरकार में भी उनका डिमोशन कर दिया गया। राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार से हटाकर अब उनके ऊपर दो केन्द्रीय मंत्री बिठा दिये गये हैं।

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