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सुनी सुनाई : मंगलवार 16 नवंबर 2021

November 16, 2021

लोकायुक्त को तगड़ा झटका
मप्र हाईकोर्ट ने लोकायुक्त के उस आदेश पर रोक लगा दी है जो उन्होंने तृतीय और चतुर्थ कर्मचारियों के कथित भ्रष्टाचार के मामले में कोर्ट में लगाए गए खात्मों को कोर्ट से वापिस बुलाने और उनकी समीक्षा करने के लिए जारी किया था। दरअसल लोकायुक्त के निशाने पर विशेष पुलिस स्थापना के रिटायर महानिदेशक संजय राणा थे। राणा के कार्यकाल 1 जून 2020 से 31अगस्त 2021 तक जितने भी खात्मे खारजी की कार्रवाई हुई थी। लोकायुक्त को अंदेशा है कि इसमें भारी लेनदेन हुआ है। लोकायुक्त ने 11 अक्टूबर को पत्र जारी कर इन सभी प्रकरणों को कोर्ट से बुलाकर समीक्षा के निर्देश दिए। भोपाल के एक सामाजिक कार्यकर्ता सतीश नायक ने लोकायुक्त के इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट द्वारा रोक लगने के बाद लोकायुक्त हताश बताए जा रहे हैं। यह भी खबर आ रही है कि राज्य सरकार लोकायुक्त संगठन अधिनियम में संशोधन कर लोकायुक्त के अधिकारों में कटौती करने पर विचार कर रही है।

बदले-बदले महाराज नजर आ रहे
ग्वालियर के महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में आने के बाद काफी बदले-बदले नजर आ रहे हैं। सिंधिया कांग्रेस संस्कृति से बाहर निकलने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। पिछले दिनों ग्वालियर में दीपावली मिलन समारोह में उन्होंने आम लोगों की तरह भोजन की प्लेट उठाई और सभी लोगों के साथ भोजन करते दिखाई दिए। सिंधिया कांग्रेस के बीमार दिग्गज नेता भगवान सिंह यादव का हाल जानने उनके घर पहुंचे तो वे यादव के गले में हाथ डालकर सहजता से फोटो खिंचवाते नजर आए। पीएम की भोपाल यात्रा के दौरान सिंधिया लगभग 2 घंटे पहले जंबूरी मैदान पर पहुंच गए और उन्होंने यह 2 घंटे पत्रकारों से गपशप और आम लोगों के साथ बतियाने में बिताए। पहली बार भोपाल आगमन पर उन्होंने किसी प्रकार का स्वागत सम्मान या नारेबाजी से स्वयं को दूर रखा। दिल्ली से ग्वालियर और भोपाल तक चर्चा शुरू हो गई है कि महाराज अब बदले-बदले नजर आ रहे हैं।

रिटायर आईएएस पर एफआईआर की तैयारी
मप्र के विशेष पुलिस महानिदेशक पद से रिटायर आईपीएस महान भारत के खिलाफ भ्रष्टाचार की धाराओं के तहत एफआईआर की तैयारी बताई जा रही है। लोकायुक्त संगठन उनके खिलाफ आई शिकायतों पर गंभीर नजर आ रहा है। महान भारत ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के विपरीत डीजी होमगार्ड रहते होमगार्ड जवानों की टोपी का कलर बदल दिया था। जबकि होमगार्ड के स्टोर में लगभग 15 हजार टोपियां रखी थीं। चर्चा है कि किसी सप्लायर को फायदा पहुंचाने के लिए महान भारत ने यह निर्णय लिया था। अटकलें हैं कि प्रदेश के मौजूदा अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक परदे के पीछे महान भारत के खिलाफ मुहिम छेड़े हुए हैं। महान भारत और इस अधिकारी का झगड़ा पुलिस मुख्यालय में चर्चित रहा है। महान भारत के खिलाफ जिन दस्तावेजों के आधार पर शिकायत की गई है वह भी इसी एडीजी द्वारा शिकायकर्ता को उपलब्ध कराने की चर्चा है। इस मामले में स्वयं लोकायुक्त ने गृहविभाग के एसीएस राजेश राजोरा और पुलिस महानिदेशक विवेक जौहरी के बयान दर्ज किए हैं। मजेदार बात यह है कि महान भारत के बाद होमगार्ड डीजी बने अशोक दोहरे ने लोकायुक्त को सौंपी रिपोर्ट में महान भारत को दोषी बता दिया है।

कुमार विश्वास और 32 रुपये
देश के जाने माने कवि कुमार विश्वास ने मप्र में एक पत्रकार पर कापी राईट के उल्लंघन के दो केस कर दिए हैं। इसके एबज में कुमार विश्वास को 32-32 रुपए मुआवजा भेजने की तैयारी है। दरअसल इस सप्ताह कुमार विश्वास मप्र के संस्कृति विभाग से लाखों रुपए लेकर दतिया में कार्यक्रम करने आए थे। संस्कृति विभाग के साथ-साथ पत्रकार सचिन चौधरी ने भी कुमार विश्वास के कार्यक्रम का यूट्यूब पर लाईव प्रसारण किया। अपने कार्यक्रम में कुमार विश्वास ने केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पर व्यंगात्मक टिप्पणियां कीं। सचिन चौधरी ने इस टिप्पणी का वीडियो फुटेज पोस्ट करते हुए खबर बनाकर यूट्यूब पर डाल दी। कुमार विश्वास की टीम ने लाईव प्रसारण और खबर पोस्ट करने पर चौधरी के बुंदेली बौछार चैनल को कापी राईट का नोटिस थमा दिया। चौधरी ने जवाब दिया है कि ऐसी ही चोरी स्वयं कुमार विश्वास पूर्व में अमिताभ बच्चन की कविता की कर चुके हैं। अमिताभ बच्चन की ओर से नोटिस मिलने पर कुमार विश्वास ने 32 रुपए मुआवजा दिया था। सचिन का कहना है कि वह भी कुमार विश्वास को दोनों प्रकरण में 32-32 रुपए भेजने की तैयारी कर रहे हैं।

पृथ्वीपुर की हार और पांच वाहन
मप्र कांग्रेस को इस बात का मलाल है कि यदि वह समय रहते एक निर्दलीय प्रत्याशी को चुनाव प्रचार के लिए पांच वाहन उपलब्ध करा देती तो शायद पृथ्वीपुर चुनाव न हारती। पिछले दिनों भोपाल में पृथ्वीपुर चुनाव की हार की समीक्षा के दौरान यह बात सामने आई है। दरअसल पृथ्वीपुर में यादव मतदाताओं को ध्यान में रखकर भाजपा ने शिशुपाल सिंह यादव को उतारा था। दिग्विजय सिंह मंत्रिमंडल में मंत्री रहे अखण्ड प्रताप सिंह यादव निर्दलीय मैदान में उतरे थे। चुनाव के दौरान अखण्ड प्रताप सिंह ने कांग्रेस से प्रचार के लिए पांच वाहन मांगे थे। अखण्ड का दावा था कि यदि कांग्रेस पांच वाहन दे दें तो वे यादवों के पांच हजार वोट काट सकते हैं। कांग्रेस ने चुनाव के अंत तक यह पांच वाहन अखण्ड प्रताप को नहीं भेजे। पृथ्वीपुर से चुनाव हारने के बाद अब कांग्रेस को मलाल है कि यदि अखण्ड प्रताप सिंह की मदद करते तो वे यादव वोट काटते जिसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता था।

पूर्व विधायक का जिलाबदर
मप्र के इतिहास में पहली बार विपक्षी दल के पूर्व विधायक को जिलाबदर करने की तैयारी है। जिलाबदर होने वाले नेता बालमुकुन्द गौतम वर्तमान में धार जिला कांग्रेस अध्यक्ष भी हैं। गौतम का विवाद किसी पुराने भाजपा से नहीं बल्कि कांग्रेस से भाजपा में पहुंचकर मंत्री बने राजवर्धन सिंह से है। बालमुकुन्द गौतम के जिलाबदर की फाईल कलेक्टर की टेबल पर पहुंच गई है। गौतम मूलत: शराब व्यवसायी हैं। उनके खिलाफ कई आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं। धार में उनका राजनीतिक विवाद भाजपा नेता विक्रम वर्मा के परिवार से पुराना है। नीना वर्मा को हाईकोर्ट के आदेश पर विधायकी से हटवा कर विधायक बने बालमुुकन्द गौतम का नया विवाद राजवर्धन सिंह से हो गया है। राजवर्धन ने ही गौतम के जिला बदर की फाईल तैयार करवाई है। उम्मीद की जा रही है कि इस माह गौतम को जिलाबदर किया जा सकता है। यदि ऐसा हुआ तो यह मप्र का पहला उदाहरण होगा जब किसी पूर्व विधायक व मौजूदा कांग्रेस जिला अध्यक्ष को जिला बदर गया हो।

हनीट्रैप बाला की संपत्ति होगी नीलाम
मप्र के बहुचर्चित हनीट्रैप की मुख्य आरोपी श्वेता विजय जैन की संपत्ति अगले महीने नीलाम होने की संभावना है। इसके लिए भारतीय स्टेट बैंक ने विज्ञापन जारी किया है। हनीट्रैप के जरिए कथित रूप से की गई कमाई से श्वेता जैन ने रायसेन जिले के बगरौदा औद्योगिक क्षेत्र में एट एस्थी प्रोडक्टस इंडस्ट्री नाम से फैक्ट्री शुरू की थी। इसके लिए भारतीय स्टेट बैंक से ऋण लिया गया था। लंबे समय जेल में रहने के दौरान वे बैंक की किश्त नहीं दे सकी तो अब बैंक ने उनकी फैक्ट्री और फैक्ट्री की मशीने नीलाम करने का विज्ञापन प्रकाशित किया है। इस विज्ञापन के अनुसार श्वेता जैन और उनके पार्टनर विजय पटेल से बैंक को 88 लाख रुपये मूल्य और मई 2020 से अभी तक का ब्याज वसूलना है।

और अंत में….
मप्र मंत्रालय में एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी बेमन से काम कर रहे हैं। वे प्रतिनियुक्ति पर भारत सरकार में जाना चाहते हैं, लेेकिन शिवराज सरकार उन्हें छोडऩे को तैयार नहीं है। अनेक कोशिश करने के बाद भी उनकी प्रतिनियुक्ति को हरी झंडी नहीं मिली तो अब इसका असर उनके कामकाज पर दिखाई देने लगा है। दरअसल यह अधिकारी यदि अभी प्रतिनियुक्ति पर नहीं गए तो केंद्र में सचिव के लिए उनका नाम सूची में शायद नहीं आ पाएगा। अधिकारी की कार्यशैली से मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव प्रभावित रहे हैं। इसलिए उन्हें छोडऩा नहीं चाहते। लेकिन अब उनकी बदली कार्यशैली और लगातार फ्रस्टेशन से लगता है कि शिवराज सरकार उन्हें छोडऩे के लिए विवश हो जाए।

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