वॉशिंगटन । अमेरिका (America) की एक प्रभावशाली अमेरिकी विशेषज्ञ ने कहा है कि बतौर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की विदेश नीति (foreign policy) का फोकस चीन (China) की चुनौती से निपटना रहेगा। साथ ही उन्होंने कहा ट्रंप प्रशासन भारत के साथ रणनीतिक संबंध मजबूत करने पर भी ध्यान केंद्रित करेगा। डोनाल्ड ट्रंप के पिछले कार्यकाल के दौरान राष्ट्रपति की उप-सहायक और दक्षिण और मध्य एशिया मामलों के लिए एनएससी की वरिष्ठ निदेशक रहीं लिसा कर्टिस का कहना है कि आने वाले समय में भी क्वाड एक महत्वपूर्ण मंच बना रहेगा। लिसा कर्टिस वर्तमान में सेंटर फॉर ए न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी थिंक-टैंक में इंडो-पैसिफिक सिक्योरिटी प्रोग्राम की वरिष्ठ फेलो और निदेशक हैं।
चीन से इन मुद्दों पर प्रतिस्पर्धा करेगा अमेरिका
डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे। साल 1892 में ग्रोवर क्लीवलैंड के बाद ट्रंप अमेरिकी इतिहास के दूसरे राष्ट्रपति बन जाएंगे, जो अंतराल के बाद दूसरे कार्यकाल के लिए चुने गए हैं। ट्रंप 2017-2021 तक अमेरिका के 45वें राष्ट्रपति रहे। कर्टिस ने कहा कि ‘ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की विदेश नीति का मुख्य फोकस चीन की चुनौती पर होगा, चाहे वह आर्थिक हो और सैन्य प्रतिस्पर्धा। प्रौद्योगिकी की दौड़ हो या हिंद प्रशांत महासागर क्षेत्र पर हावी होने की चीन की रणनीति का मुकाबला। ट्रंप प्रशासन की विदेश नीति इन्हीं मुद्दों के इर्द-गिर्द रह सकती है।’
कर्टिस को उम्मीद है कि अमेरिकी उच्च प्रौद्योगिकी के चीन निर्यात पर बाइडन सरकार के दौरान जो प्रतिबंध थे, वे ट्रंप सरकार में भी जारी रह सकते हैं। हालांकि द्विपक्षीय व्यापार सौदों में अमेरिकी उपभोक्ताओं के हितों का भी ट्रंप पूरा ध्यान रखेंगे। चीन की बढ़ती सैन्य ताकत के चलते ट्रंप सरकार भी अमेरिकी रक्षा क्षमताओं में निवेश को बढ़ावा दे सकती है और वे हिंद प्रशांत महासागर में अमेरिकी रक्षा परिसंपत्तियों की स्थिति पर अधिक ध्यान देंगे। गौरतलब है कि ट्रंप सरकार के दूसरे कार्यकाल में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किए गए माइकल वाल्ट्ज और विदेश मंत्री मार्को रुबियो का रुख भी चीन विरोधी रहा है और ये दोनों नेता चीन के साथ रणनीतिक प्रतिस्पर्धा पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
भारत के साथ मजबूत होंगे रणनीतिक संबंध
कर्टिस के अनुसार, ट्रंप सरकार के दूसरे कार्यकाल में हिंद प्रशांत महासागर में अमेरिकी रणनीति में भारत के साथ मजबूत रणनीतिक संबंधों पर भी जोर रहेगा। हालांकि दोनों देशों में व्यापार मुद्दों पर टकराव की भी आशंका है, लेकिन इसके चलते चीन की चुनौती से निपटने के लिए भारत-अमेरिका रणनीतिक संबंध प्रभावित होने की आशंका कम ही है। कर्टिस ने कहा कि क्वाड भी जुड़ाव के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बना रहेगा। हालांकि यह कोई सैन्य समझौता नहीं है, लेकिन क्वाड के तहत चार शक्तिशाली लोकतंत्रों का क्षेत्र को लेकर साझा दृष्टिकोण है और क्षेत्र की शांति, स्थिरता, समृद्धि और मुक्त व्यापार के लिए ये अहम है।
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