एयरपोर्ट अथोरिटी ऑफ इंडिया के चेयरमैन को शिकायत, एयरपोर्ट डायरेक्टर सहित स्थानीय अधिकारियों ने ठेकेदार को पहुंचाया फायदा और अथोरिटी को नुकसान
पांच साल का ठेका लिया, एक साल में ही बंद की ड्यूटी पेड शराब दुकान
इंदौर, विकाससिंह राठौर। इंदौर एयरपोर्ट पर यात्रियों की सुविधा के लिए खुली ड्यूटी पेड शराब दुकान एक साल में ही बंद कर दी गई है, जबकि इस दुकान के लिए पांच का साल का ठेका दिया गया था। दुकान बंद होने से जहां यात्रियों से एक सुविधा छिन गई है, वहीं एयरपोर्ट अथोरिटी को भारी नुकसान भी हुआ है। शराब दुकान चलाने वाली कंपनी से अथोरिटी को 1.20 करोड़ रुपए बकाया लेना है, बावजूद इसके कंपनी अपना सामान और दुकान बटोरकर चलती बनी है। इस मामले में एयरपोर्ट अथोरिटी ऑफ इंडिया के चेयरमैन को शिकायत की गई है, जिसमें इंदौर एयरपोर्ट डायरेक्टर सहित अन्य अधिकारियों द्वारा कंपनी को फायदा और अथोरिटी को नुकसान पहुंचाने की बात कही गई है। मामले की जांच भी शुरू हो गई है।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल एयरपोर्ट अथोरिटी ऑफ इंडिया ने देश में पहली बार एयरपोट्र्स पर यात्रियों की सुविधा के लिए ड्यूटी पेड शराब दुकानें खोलने की योजना बनाई गई थी। इसके तहत 9 मई 2022 को इंदौर एयरपोर्ट के अराइवल एरिया में ड्यूटी पेड शराब दुकान खोलने के टेंडर जारी किए गए थे। पांच साल के लिए जारी किए गए टेंडर में सबसे ऊंची बोली भोपाल की हिमालया ट्रेडर्स द्वारा 21.94 लाख रुपए प्रति माह की लगाई गई थी। इस आधार पर यह ठेका 4 अगस्त को हिमालया ट्रेडर्स को दिया गया था। कंपनी ने 31 दिसंबर 2022 से दुकान शुरू की थी, लेकिन एक ही साल दुकान का संचालन करने के बाद 3 जनवरी 2024 को कंपनी ने दुकान बंद कर दी है। कंपनी ने 6 सितंबर 2023 को ही अपना कांट्रेक्ट सरेंडर करने के लिए अथोरिटी को एक पत्र लिखते हुए 120 दिनों का नोटिस देकर दुकान बंद करने की सूचना दी थी, जिसके बाद 3 जनवरी को दुकान बंद की गई।
1.20 करोड़ बकाया, फिर भी बंद नहीं की दुकान, ले जाने दिया सामान
इस मामले में एयरपोर्ट अथोरिटी ऑफ इंडिया के चेयरमैन को एक और शिकायत मिली है। इसमें बताया गया कि कंपनी नोटिस के आधार पर 3 जनवरी तक काम करती रही और 3 जनवरी को अपना सारा सामान और दुकान का स्ट्रक्चर तक खोलकर ले गई। इस समय तक अथोरिटी को बकाया किराए (लाइसेंस फीस) के करीब 1.20 करोड़ कंपनी से लेना थे, लेकिन इस बीच अथोरिटी ने कंपनी का कांट्रेक्ट रद्द नहीं किया और दुकान चलाने की खुली छूट दी, जबकि बकाया के आधार पर कांट्रेक्ट रद्द करते हुए पहले ही सामान को जब्त किया जाना था और सामान ले जाने की अनुमति तक नहीं दी जाना चाहिए थी। कांट्रेक्ट निरस्त करने पर कंपनी को तीन साल के लिए ब्लैकलिस्ट भी हो जाती, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
बकाया न चुकाने पर भी निरस्त नहीं किया कांट्रेक्ट, चलने दी दुकान
कंपनी ने 6 सितंबर को नोटिस देने के बाद से ही हर माह की करीब 25 लाख की लाइसेंस फीस चुकाना बंद कर दी थी। सिक्यूरिटी डिपॉजिट जब्त किए जाने के बाद भी अक्टूबर अंत में कंपनी से अथोरिटी को 20 लाख रुपए और लेने थे, जो बकाया लाइसेंस फीस के थे। इसे जमा करवाने के लिए अथोरिटी ने कंपनी को नोटिस जारी करते हुए 30 अक्टूबर तक का समय दिया, साथ ही लिखा कि यह राशि जमा न करवाने पर कांट्रेक्ट निरस्त कर दिया जाएगा, लेकिन कंपनी ने यह राशि जमा नहीं करवाई। इस पर भी कार्रवाई के बजाए अधिकारियों ने दोबारा 31 अक्टूबर को कंपनी को नोटिस जारी करते हुए राशि जमा करवाने के लिए 6 नवंबर तक का समय दिया।
कंपनी राशि जमा करवाने के बजाए पहुंची कोर्ट, लेकिन नहीं मिली राहत
बकाया राशि जमा करवाने के बजाए कंपनी ने 3 नवंबर को कोर्ट में याचिका लगाते हुए स्टे मांगा, साथ ही बताया कि उसके कर्मचारियों के जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, जिससे वह व्यवसाय नहीं कर पा रहा है। इस मामले में कोर्ट ने कंपनी को स्टे तो नहीं दिया, लेकिन एयरपोर्ट अथोरिटी से जवाब मांगा और कर्मचारियों को जाने की अनुमति देने के निर्देश दिए। अथोरिटी के जवाब के बाद कोर्ट ने मामले को खारिज भी कर दिया, जिससे कंपनी को कोई राहत नहीं मिल पाई।
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