भोपाल। प्रदेश में एक अप्रैल से बैठकर शराब पीने की व्यवस्थ यानी अहाते बंद करने से शराब की खपत भी गिर गई है। इस गिरावट में देसी शराब के आंकड़े आगे हैं और अंग्रेजी शराब की खपत को भी झटका लगा है। देसी की खपत में 35 प्रतिशत तो अंग्रेजी की खपत में 30 प्रतिशत की कमी आई है। अहातों में बैठकर शराब पीने की बजाए अब दुकान पर शराब खरीदकर निकलना पड़ता है,दूसरा हर दुकान पर एक एक गार्ड भी तैनात है जो यह मानीटर कर रहे हैं कि शराब बिठाकर तो नहीं पिलाई जा रही है। इसका एक और असर यह कि शराब ठेकेदारों में बार की डिमांड बढ़ गई है, आबकारी विभाग के पास खुद ठेकेदार तो उनके आवेदन पहुंचना शुरू हो गए हैं। ठेकेदार बार के लिए निर्धारित वर्गफीट भी ढूंढने में लगे हुए हैं। यहां यह बता दें कि एक अप्रैल से अहातों को बंद कर दिया गया है। शराब की नई नीति में यह बदलाव किया गया है इससे पहले सरकार ने कंपोजिट दुकानों का फार्मूला लागू किया और अब अहाते बंद कर दिए। अहाते बंद होने के बाद से लगातार शराब की खपत में गिरावट आई है। आबकारी विभाग का अमला फोर्स के साथ दुकानों में अहातों का संचालन पूर्ण बंद रहे, इसकी निगरानी कर रहा है। इसके लिए अतिरिक्त चालीस होमगार्ड भी लिए गए हैं। एक दुकान पर एक गार्ड तैनात किया गया है।
ठेकेदार तलाश रहे जगह
शराब के ठेकेदार अब अपनी दुकान के आसपास बार के लिए जगह ढूंढ रहे हैं। पहले से ग्वालियर में 32 बार संचालित हैं, इनकी संख्या अचानक न बढ़े इसको लेकर भी आबकारी पूरे परीक्षण के साथ ही लाइसेंस जारी करेगी। ठेकेदार बार के लाइसेंस के लिए आ भी रहे हैं।
देसी शराब की खपत पर ज्यादा असर, कारण जगह नहीं
देसी शराब की खपत कम होने का कारण यह है कि देसी शराब पीने वाला वर्ग अहातों में ही शराब का अधिकतर सेवन करता था अब अहाता बंद होने के बाद से खपत में कमी आई। आबकारी के अनुसार अंग्रेजी शराब पीने वाले लोगों में कुछ लोग बार की तरफ डायवर्ट भी हो रहे हैं लेकिन इनका भी अधिक प्रतिशत नहीं है। आबकारी के जिला कंट्रोलर मनीष द्विवेदी ने बताया कि आबकारी के सिपाहियों से लेकर दरोगा तक की जिम्मेदारी तय की गई है कि अहाते किसी सूरत में नहीं खुलें। पेट्रोलिंग भी की जा रही है।
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