नई दिल्ली: प्रोफेशनल लोगों के लिए LinkedIn काफी बढ़िया प्लेटफॉर्म है. लेकिन, अब स्कैमर्स भी इसका फायदा उठाकर लोगों को टारगेट कर रहे हैं. ज्यादातर LinkedIn यूजर्स किसी भी रिक्वेस्ट को एक्सेप्ट कर लेते हैं. इस वजह से स्कैमर्स के लिए स्कैम करना और भी ज्यादा आसान हो गया है.
LinkedIn पर यूजर्स पहले अपनी क्रेडिबिलिटी बिल्ड करते हैं. इसके लिए वो दूसरे यूजर्स के साथ कनेक्ट हो जाते हैं. फिर शुरू होता है स्कैम का खेल. स्कैमर्स मैलिशियस फाइल्स और लिंक्स को शेयर करते हैं. जिसे विक्टिम ओपन कर लेते हैं.
इस लिंक को ओपन करने पर विक्टिम के सिस्टम में मैलेवेयर डाल दिया जाता है. ये मैलवेयर यूजर्स के डिवाइस से पासवर्ड, क्रेडिट कार्ड की जानकारी और दूसरे सेंसिटिव डेटा की चोरी कर लेता है. इसको लेकर CloudSEK ने रिपोर्ट किया है. CloudSEK के फाउंडर Rahul Sasi ने बताया कि LinkedIn पर ये फर्जीवाड़ा काफी बड़े पैमाने पर हो रहा है. प्रोफेशनलिज्म प्लेटफॉर्म होने की वजह से स्कैमर्स के लिए कैपेंन को रन करना आसान हो जाता है.
कैसे करता है ये स्कैम काम?
इस स्कैम में LinkedIn कनेक्शन रिक्वेस्ट सेंड किया जाता है. इसमें एक प्रोजेक्ट को लेकर रिक्वेस्ट भेजी जाती है. इस प्रोजेक्ट को लेकर कहा जाता है ये एक बड़ी कंपनी से है. इस वजह से यूजर्स इसमें इंटरैस्ट दिखाते हैं. इसके बाद कनेक्शन की ओर से URL या एक जिप फाइल भेजा जाता है.
इसका साइज काफी कम रखा जाता है ताकि ये एंटी-वायरस या सिक्योरिटी टूल्स की नजर में ना आए. ओपन होते ही फाइल डेटा चोरी करने वाले मैलवेयर को आपके सिस्टम पर इंस्टॉल कर देता है. इसके बाद ये पासवर्ड और ब्राउजर पर स्टोर कुकीज की चोरी करने लगते हैं. इन चोरी किए गए क्रेडेंशियल का यूज करके विक्टिम के सोशल मीडिया और ईमेल अकाउंट्स को हैक करने की कोशिश की जाती है.
ऐसे रहें सेफ
रिपोर्ट में बताया गया है कि इससे सेफ रहने के लिए किसी नए कनेक्शन को एक्सेप्ट करने से पहले उसे वेरिफाई जरूर कर लें. अगर किसी जान-पहचान वाले से भी कनेक्शन रिक्वेस्ट आती है तो उसे एक्सेप्ट करने से पहले क्रॉस-वेरिफाई जरूर कर लें. LinkedIn पर शेयर किए गए जरूरी डॉक्यूमेंट और फाइल को डाउनलोड करने से पहले उसे एंटी-वायरस से स्कैन जरूर कर लें.
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