इंदौर। एक तरफ भीषण गर्मी पड़ रही है, दूसरी तरफ शहर के कई हिस्सों में जलसंकट बढ़ रहा है। हालांकि प्रदेश के कई हिस्सों में जलसंकट के मद्देनजर अभी मुख्यमंत्री भी सीधे कलेक्टरों-कमिश्नरों से चर्चा कर व्यवस्थाएं करवाने के निर्देश दे रहे हैं। यशवंत सागर में अभी भी पर्याप्त पानी भरा है। इसकी जल संग्रहण क्षमता 19 फीट की है और वर्तमान में 13 फीट से भी अधिक पानी मौजूद है, जिसके चलते 30 एमएलडी पानी रोजाना निगम यहां से लेकर इससे जुड़े क्षेत्रों में प्रदाय कर रहा है।
छोटी बिलावली और लिम्बोदी तालाब अवश्य सूख गए हैं। हालांकि इनमें बारिश के दिनों में भी कम ही पानी भराया था। यशवंत सागर में अवश्य पानी है और 13 फीट के चलते 30 एमएलडी पानी रोजाना प्रदाय किया जा रहा है। बड़ी बिलावली तालाब में कुल 34 फीट जल संग्रहण क्षमता है। अभी उसमें भी 19 फीट पानी भरा है। वहीं बड़े सिरपुर में 16 फीट की तुलना में 8.9 और छोटे सिरपुर में 14 फीट की तुलना में 10.10 फीट पानी और पिपल्यापाला, जिसकी क्षमता 22 फीट की है, उसमें भी 14 फीट पानी भरा है।
लिम्बोदी की क्षमता 16 फीट है, जिसका जल स्तर शन्य और यही स्थिति छोटी बिलावली की है, जिसकी क्षमता 12 फीट की है और फिलहाल यह भी सूखा पड़ा है। इधर नर्मदा परियोजना के अधीक्षण यंत्री संजीव श्रीवास्तव से पूछने पर उन्होंने बताया कि अभी 300 किराये के टैंकर चलाए जा रहे हैं, जिनके जरिए जल अभाव वाले क्षेत्रों में पानी वितरित किया जा रहा है। वहीं निगम के भी 40 टैंकर जलप्रदाय में लगे हैं।
अभी नर्मदा के तीनों चरणों से भी 500 एमएलडी पानी मिल रहा है। लीकेज, लाइन फूटने या अन्य तकनीकी कारणों से भी जलसंकट की स्थिति निर्मित होती है। अन्यथा अभी तो सामान्य जलप्रदाय किया जा रहा है। जल्द ही नर्मदा के चौथे चरण का काम भी शुरू होगा। वहीं इस बार निगम मानसून से पहले रैन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अपनाने पर भी जोर दे रहा है। प्रत्येक वार्ड में भूजल संरक्षण अभियान तेज गति चलाया जा रहा है।
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