नई दिल्ली। चांदी (Silver) और उससे बने आभूषण खरीदने और बेचने वालों के लिए खरीद-फरोख्त के तरीके में बदलाव होने जा रहा है। सोने (Gold) की तरह चांदी पर भी हॉलमार्किंग (Hallmarking Silver) का नियम जल्द लागू होगा। सरकार (Government) इस दिशा में तेजी से काम कर रही है। सोने और सर्राफा में हॉलमार्किंग (Hallmarking) को कुछ चरणों में लागू किया जा चुका है, लेकिन चांदी पर इसे लागू करने में कुछ तकनीकी समस्याएं सामने आ रही हैं। इन समस्याओं का समाधान निकालने के बाद सरकार इसे लागू करने पर विचार कर रही है।
यह है सबसे बड़ी चुनौती
जानकारों के मुताबिक फिलहाल चांदी पर हॉलमार्क यूनीक आईडेंटिफिकेशन अंकित करने में सबसे बड़ी समस्या है उसका आसानी से चांदी से मिटाया जा सकना। अभी सरकार इस मुद्दे का हल निकालने में जुटी है। इसको लेकर तकनीकी समाधानों पर विचार किया जा रहा है।
यह यूनीक आईडी भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा सत्यापित छह अंकों वाला कोड होता है, जिसे किसी भी ज्चेलरी पर दोहराया नहीं जाता। इससे ग्राहक को अपने ज्वेलरी की सही और पूरी कीमत मिल सकती है। यही नहीं जरूरत पड़ने पर या उस ज्वेलरी को फिर से बनवाने के समय उसे आसानी से बेचा जा सकता है, क्योंकि बीआईएस का प्रमाणीकरण उस जेवर पर होता है। इसके अलावा यदि किसी ग्राहक को आभूषण की शुद्धता को लेकर विवाद होता है तो विशेष आईडी से वह कानूनी मदद भी ले सकता है।
हॉलमार्किंग के फायदे
शुद्धता-इस आईडी का इस्तेमाल यह सुनिश्चित करता है कि आभूषण सही कैरेट और मानकों के अनुरूप है। यह विश्वास का प्रतीक है कि आभूषण प्रमाणित हैं।
धोखाधड़ी से सुरक्षा-इस विशेष आईडी से हर आभूषण की ट्रैकिंग संभव होती है। इससे नकली या मिलावटी सोने की पहचान की जा सकती है। इससे ग्राहकों को भारतीय मानक ब्यूरो की प्रमाणिकता का विश्वास मिलता है।
पारदर्शिता- हॉलमार्किंग से आभूषण की पूरी जानकारी उपलब्ध होती है, जैसे: शुद्धता, कैरेट, सही माप और वजन, आभूषण निर्माता और बिक्री स्थान का विवरण।
निगरानी-इस आईडी से सरकार इन कीमती धातुओं के व्यापार पर नजर रखकर तस्करी पर लगाम लगा सकती है। इससे काले धन और अवैध सोने के व्यापार पर रोक लगाई जा सकती है।
2021 से लागू है सोने पर यह नियम
भारत में बीआईएस हॉलमार्किंग 16 जून 2021 से लागू है। कुछ क्षेत्रों में हॉलमार्किंग को अनिवार्य किया जा चुका है। अब आभूषणों पर बीआईएस मार्क, शुद्धता का ग्रेड और आईडी होना जरूरी है। ग्राहक बीआईएस के मोबाइल ऐप या वेबसाइट का उपयोग करके आईडी कोड के जरिए आभूषण की शुद्धता और प्रमाणिकता की जांच कर सकते हैं।
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