भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कोविड महामारी को सामाजिक सहभागिता से नियंत्रित किया गया था। ठीक इसी प्रकार सिकलसेल एनीमिया के उन्मूलन में भी जन-सहयोग से सफलता मिलेगी। सिकलसेल एनीमिया के उन्मूलन के लिये प्रदेश के सभी जिलों में जन-भागीदारी से जन-जागरूकता अभियान चलाया जायेगा। जगह-जगह नुक्कड़ नाटक, गीत आदि प्रचार-प्रसार के तरीकों से जागरूकता लाई जायेगी। मुख्यमंत्री राजधानी में सिकलसेल जागरूकता दिवस पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि रोग की पहचान के लिये स्क्रीनिंग में भी तेजी लाई जाएगी और इसके लिए आवश्यक संसाधन बढ़ाये जायेंगे। कोविड महामारी में घर-घर जाकर स्क्रीनिंग की गई थी। इसी प्रकार की कार्य-योजना सिकलसेल एनीमिया की रोकथाम और बचाव के लिये भी क्रियान्वित की जायेगी। उन्होंने कहाकि योग, आयुर्वेद और जन-सहयोग से सिकलसेल की रोकथाम के प्रभावी कार्य होंगे। जन-सहयोग के साथ राज्य और जिला स्तर पर टॉस्क फोर्स का गठन किया जायेगा। टॉस्क फोर्स द्वारा सिकलसेल उन्मूलन के लिये कार्य करने के इच्छुक नागरिकों का सहयोग लिया जायेगा। रोग के उपचार में नवीन चिकित्सा तकनीकों का प्रयोग करें, जिससे यह रोग अगली पीढ़ी में न जाये। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि सिकलसेल के मरीज अपने को अकेला न समझें, प्रदेश सरकार उनके साथ है। राज्यपाल मंगुभाई पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया विश्व सिकलसेल एनीमिया जागरूकता दिवस पर जबलपुर में इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ इन्फार्मेशन टेक्नालॉजी डिजाइनिंग एण्ड मेन्युफेक्चरिंग (ट्रिपल आईटीडीएम) में सिकलसेल रोग के समग्र प्रबंधन पर कार्यशाला में शामिल हुए। कार्यशाला आईसीएमआर, राष्ट्रीय जनजातीय स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान और लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा की गई।
सिकलसेल मानवता के लिए चुनौती: राज्यपाल
राज्यपाल पटेल ने कहा कि सिकलसेल एक गंभीर अनुवांशिक बीमारी है। यह मानवता के लिये चुनौती है। समय पर पहचान होने पर बीमारी का उपचार किया जा सकता है और पीडि़त व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है। सिकलसेल के लक्षण सिर्फ जनजातीय समुदाय में ही नहीं, अन्य समुदायों में भी दिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकारें सिकलसेल के समग्र उन्मूलन के लिये ठोस कार्य-योजना पर कार्य कर रही हैं। प्रदेश के जनजातीय बहुल 14 जिलों में इसकी रोकथाम और बचाव का अभियान चलाया जा रहा है। बीमार व्यक्तियों के स्वास्थ्य, विवाह और पुनर्वास सहायता पर भी ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सिकलसेल रोग की पहचान के लिये स्क्रीनिंग और टेस्टिंग तेजी से करें, जो अगले 6 माह में पूरी हो जाये। व्यापक प्रचार-प्रसार करें और जन-जागरूकता लायें, जिससे समय पर सिकलसेल का उपचार किया जा सके। बेहतर जीवन जीने के लिये योग और आयुर्वेद का सहारा भी लिया जा सकता है।
सिकलसेल की रोकथाम के लिए दीर्घ कार्ययोजना जरूरी: मांडविया
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि सिकलसेल उन्मूलन के लिये यह कार्यशाला महत्वपूर्ण है। सिकलसेल बीमारी पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलती है। इसकी रोकथाम के लिये दीर्घ कार्य-योजना पर कार्य किया जा रहा है। आजादी के अमृत महोत्सव में हमारा लक्ष्य है कि स्वास्थ्य की दृष्टि से सभी सुखी हों। उन्होंने कहा कि सिकलसेल एनीमिया की समग्र रोकथाम और प्रबंधन में सभी को जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएँ मिलें, इसके लिये हेल्थ एण्ड वेलनेस सेंटर कार्य कर रहे हैं। पीडि़तों की 13 प्रकार की जाँच कर उन्हें आवश्यक दवाइयाँ और टेलीमेडिसिन सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। गरीबों को आयुष्मान भारत योजना का लाभ देकर उन्हें स्वास्थ्य सुरक्षा दी जा रही हैं। सिकलसेल, टी.बी., मलेरिया, थैलेसीमिया आदि रोगों के उपचार के लिये बड़े स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। इन प्रयासों में समुदाय की भागीदारी ली जा रही है। समाज और सरकार जब मिल कर कोई कार्य करते हैं, तो सफलता अवश्य मिलती है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved