भोपाल। देश के सबसे अनुभवी और रणनीतिकार नेताओं में शुमार कमलनाथ चुनावी मैदान में भाजपा को मुकाबला उसी की शैली से करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। वह भलीभांति जानते हैं कि लोहे को लोहे से ही काटा जा सकता है। इसलिए उन्होंने भाजपा के मजबूत संगठन का मुकाबला करने के लिए प्रदेश कांग्रेस संगठन को मजबूत करने पर फोकस किया है। इसका परिणाम यह हुआ है कि पिछले दो दशक में पहली बार मप्र में कांग्रेस ग्राउंड लेवल पर मजबूत नजर आ रही है। दरअसल कांग्रेस आलाकमान ने मिशन 2023 के लिए कमलनाथ का मप्र में पूरी तरह फ्री हैंड कर दिया है। इसलिए वे अपने तरीके से चुनाव की तैयारी में जुटे हुए हैं। दरअसल, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ भली-भांति जानते हैं कि उनका मुकाबला कैडर बेस पार्टी भाजपा और उसके पीछे मजबूती से खड़े आरएसएस से है। यही कारण है कि कमलनाथ ने भाजपा से उसी के अंदाज में मुकाबला करने के लिए जमीनी स्तर पर मेहनती और विरोधी दल से लडऩे वाले कार्यकर्ताओं की फौज खड़ी करने पर सबसे अधिक जोर दिया। इस काम में उनका साथ पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने बखूबी दिया। सिंह ने बीएलए से लेकर मंडलम सेक्टर तक को मजबूत बनाने के लिए जिलों का दौरा किया। इसका फायदा भी हुआ और पहली बार प्रदेश में कांग्रेस जमीनी स्तर पर मजबूती से खड़ी हो गई।
मंडल और सेक्टर में कार्यकर्ताओं को मिली जिम्मेदारी
गौरतलब है कि विधानसभा से सत्ता वापसी की राह देख रही कांग्रेस इस बार भाजपा के अंदाज में ही चुनाव लडऩे की तैयारी में हैं। यही कारण है कि कांग्रेस ने संगठन को ग्राउंट लेवल पर मजबूत करने पर सबसे अधिक जोर दिया है। पहली बार पार्टी ने लगभग 63 हजार बूथ लेवल एजेंट नियुक्त किए हैं। इसके साथ ही 4500 मंडल और 13400 सेक्टरों में कार्यकर्ताओं की फौज तैयार की है। प्रदेश में पहली बार ऐसा होगा जब बीएलए से लेकर मंडल, सेक्टर तक में कांग्रेस के कार्यकर्ता तैनात होंगे। इनकी मॉनिटरिंग के लिए जिले में संगठन मंत्री की नियुक्ति भी की गई है। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जोड़ी पुरानी है। दोनों को लेकर बातें भले ही कुछ भी की जाती हों, लेकिन वे न केवल एक-दूसरे को समझते हैं।
बल्कि मिलकर भाजपा से मुकाबला भी कर रहे हैं। कमलनाथ जहां चुनाव की रणनीति, प्रबंधन सहित अन्य कार्य संभाल रहे हैं, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मैदानी मोर्चा संभाल रखा है। लगातार हार वाली 66 सीटों का विश्लेषण और रिपोर्ट कमलनाथ को सौंपने के बाद अब दिग्विजय सिंह अनुसूचित जाति की के लिए सुरक्षित 35 सीटों पर फोकस कर रहे हैं। यही नहीं दोनों नेता मंडलम- सेक्टर की बैठक भी लगातार ले रहे हैं।
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