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    अरविंद केजरीवाल की तरह हेमंत सोरेन भी मांग रहे राहत, आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

  • May 22, 2024


    नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय (supreme court) ने मंगलवार को झारखंड (Jharkhand) के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (hemant soren) से पूछा कि कथित भूमि घोटाले (land scam) से जुड़े धन शोधन मामले में उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ed) की शिकायत पर निचली अदालत के संज्ञान लेने के बाद क्या संवैधानिक अदालत उनकी गिरफ्तारी की वैधता की पड़ताल कर सकती है। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की अवकाशकालीन पीठ ने सोरेन के वकील से पहले यह बताने को कहा कि नियमित जमानत के लिए उनकी अर्जी खारिज होने के बाद लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए उन्हें अंतरिम जमानत कैसे दी जा सकती है? पीठ ने मामले की आगे की सुनवाई के लिए बुधवार यानि आज का दिन निर्धारित किया है। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल फिलहाल जमानत पर ही हैं।


    आज हेमंत सोरेन पर अहम सुनवाई
    न्यायालय ने सोरेन की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और अरुणाभ चौधरी से कहा, ‘निचली अदालत ने अपराध किये जाने के संबंध में प्रथम दृष्टया रुख अपनाने के बाद, अभियोजन की शिकायत का संज्ञान लेने के बाद एक न्यायिक आदेश पारित किया था। यदि इसे चुनौती नहीं दी गई है तो उस न्यायिक आदेश का क्या होगा? आपको हमें सहमत करना होगा, क्या संवैधानिक अदालत संज्ञान लेने का न्यायिक आदेश पारित होने के बाद गिरफ्तारी की वैधता की जांच कर सकती है।’ दोनों वकीलों ने अदालत के सवालों का जवाब देने के लिए आज यानि बुधवार तक का वक्त मांगा।

    ईडी के अदालत में तर्क
    ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एस वी राजू ने सोरेन की अंतरिम जमानत अर्जी का विरोध करते हुए दलील दी कि उनका मामला दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से अलग है, जिन्हें आम चुनाव में प्रचार करने के लिए 10 मई को अंतरिम जमानत दी गई थी। उन्होंने कहा कि निचली अदालत ने सोरेन के खिलाफ प्रथम दृष्टया एक मामला पाये जाने के बाद चार अप्रैल को अभियोजन की शिकायत का संज्ञान लिया था। सिब्बल ने कहा कि सोरेन के खिलाफ भूमि पर अवैध कब्जा रखने का धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत कोई मामला नहीं बनता है।

    कपिल सिब्बल के तर्क
    कपिल सिब्बल ने कहा, ‘मैं संवैधानिक कमजोरी का सवाल उठा रहा हूं। यह मेरी स्वतंत्रता से जुड़ा हुआ है। यह अनुच्छेद 21 के तहत मेरी स्वतंत्रता के अधिकार को छीनने के संबंध में है। जब कोई मामला ही नहीं बनता है, तो क्या मैं पीएमएलए के तहत अपनी गिरफ्तारी को चुनौती क्यों नहीं दे सकता। यदि मेरे अधिकार प्रभावित होते हैं, तो संवैधानिक अदालत हस्तक्षेप कर सकती है।’ वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि यदि अदालत सोरेन को अंतरिम राहत देने के लिए इच्छुक नहीं है, तो उसे यह मानना होगा कि जिस क्षण कोई आरोपी नियमित जमानत के लिए अर्जी दायर करता है, पीएमएलए की धारा 19 (गिरफ्तारी की शक्ति) को चुनौती देने का उसका अधिकार खत्म हो जाता है।

    क्या कहा अदालत ने
    पीठ ने कहा, ‘हमें इस मुद्दे पर गहन चर्चा करने की जरूरत है और दोनों पक्षों से सहायता की जरूरत है। हमने अभी अपनी राय नहीं बनाई है।’ सिब्बल ने कहा कि उच्च न्यायालय ने 28 फरवरी को सोरेन की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था और तीन मई को अदालत ने फैसला सुनाया। सोरेन की अर्जी की विचारणीयता पर प्रारंभिक आपत्ति जताते हुए राजू ने पीठ से कहा, ‘इस मामले की तुलना दूसरे मामले (केजरीवाल के मामले) से नहीं की जा सकती। अन्यथा, हर दिन कोई न कोई गिरफ्तारी को चुनौती देने आएगा और आपराधिक कार्यवाही ठप हो जाएगी। यह भानुमति का पिटारा खोल देगा।’

    ‘हर मामले से इस मामले की तुलना नहीं की जा सकती’
    राजू ने कहा कि केजरीवाल के मामले के विपरीत, सोरेन को 16 मार्च को लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा से काफी पहले 31 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था। ईडी ने अपने हलफनामे में कहा है कि सोरेन राज्य सरकार की मशीनरी का दुरूपयोग कर अपने खिलाफ धन शोधन मामले की जांच प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं। इसने लोकसभा चुनाव में प्रचार करने के लिए अंतरिम जमानत के उनके विशेष अनुरोध का विरोध किया है।

    जांच एजेंसी ने कहा कि 31 जनवरी को सोरेन की गिरफ्तारी को झारखंड उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा है और उनकी नियमित जमानत अर्जी निचली अदालत ने 13 मई को खारिज कर दी थी। सोरेन ने 13 मई को, केजरीवाल के खिलाफ कथित दिल्ली आबकारी घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में केजरीवाल को अंतरिम जमानत दिये जाने के शीर्ष अदालत के आदेश का हवाला दिया था और अपने लिए भी इसी तरह की राहत देने का अनुरोध किया था। अधिवक्ता प्रज्ञा बघेल के मार्फत दायर अपनी अपील में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता ने कहा है कि उच्च न्यायालय ने उनकी अर्जी खारिज करने में त्रुटि की। सोरेन के खिलाफ जांच रांची में 8.86 एकड़ जमीन से संबद्ध है, जिस बारे में ईडी का आरोप है कि इसे उन्होंने अवैध तरीके से हासिल किया है। वह अभी रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में न्यायिक हिरासत में हैं।

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