नई दिल्ली । रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) इस सप्ताह के आखिर में होने वाली बैठक में चीन सीमा (china border) पर तैनाती के लिए हल्के टैंकों (light tanks) पर सेना (army) के एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव की चर्चा करने वाला है. रक्षा मंत्रालय की उच्च स्तरीय बैठक (high level meeting) में मेक इन इंडिया (Make in India) के तहत इनमें से 354 टैंक खरीदने के प्रस्ताव पर चर्चा होगी. भारतीय सेना ने अपने भविष्य के लाइट टैंक के लिए स्पेसिफिकेशंस जारी किए हैं जिसे ‘जोरावर’ नाम दिया गया है.
इन हल्के टैंकों का नाम जोरावर जनरल के नाम पर रखा गया है, जिसने तिब्बत में कई सफल जीत का नेतृत्व किया अब उस हिस्से पर अब चीनी सेना का नियंत्रण है. सेना के अधिकारियों ने कहा, “लाइट टैंक सेना को मैदानी, अर्ध-रेगिस्तान और रेगिस्तान के अलावा अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र, सीमांत इलाके और द्वीप क्षेत्रों के साथ सभी इमरजेंसी में मदद करेगी.”
जोरावर टैंक सिर्फ 25 टन वजनी
दरअसल, भारतीय सेना के पास जो फिलहाल टैंक हैं वे प्लेन्स और रेगिस्तान के लिए हैं. चाहें फिर रूसी टी-72 हो या फिर टी-90 या फिर स्वदेशी अर्जुन टैंक. ये सभी टैंक 45-70 टन के हैं. जबकि प्रोजेक्ट जोरावर के तहत लाइट टैंक करीब 25 टन के होंगे. चीन से सटी एलएसी पर तैनात करने के लिए दुनिया के सबसे उंचे दर्रों से होकर गुजरना पड़ता है. ऐसे में टी-72 और बाकी भारी टैंकों के लिए एलएसी पहुंचने में खासी दिक्कत का सामना करना पड़ता है. यही वजह है कि भारतीय सेना हल्के टैंक लेना चाहती है.
प्रोजेक्ट जोरावर के तहत हल्के टैंकों में भारी टैंक की तरह ही फायर पावर तो होगी ही साथ ही आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) युक्त ड्रोन से भी लैस होंगे. ये हल्के टैंक उंचा पहाड़ों से लेकर दर्रों तक से भी निकल सकते हैं. आपको बता दें कि चीन ने पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर पहले से ही लाइट टैंक तैनात कर रखे हैं. भारतीय सेना ने भी टी-72 टैंक यहां तैनात किए हैं. अब तेज मूवमेंट के लिए भारतीय सेना प्रोजेक्ट जोरावर के तहत लाइट टैंक लेना चाहती है.
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