भोपाल। सतपुड़ा भवन की आग ने प्रशासनिक बदइंतजामी को सामने ला दिया है। अब आग लगी तो राज्य सरकार ने सक्रियता दिखाई और अन्य इमारतों की फायर सेफ्टी का ऑडिट शुरू किया। एक और बड़ा मुद्दा है लिफ्ट सेफ्टी का। इस संबंध में विधि आयोग ने चार साल पहले सरकार को कहा था कि कानून बनाओ। मसौदा भी भेजा था। कई राज्यों ने उस पर काम किया और कानून बनाया। लेकिन मध्य प्रदेश में अब भी यह मसौदा फाइलों में ही दबा हुआ है।
यह मामला इतना गंभीर है कि मुख्यमत्री शिवराज सिंह चौहान खुद एक फरवरी 2021 को मंत्रालय की नई बनी एनेक्सी बिल्डिंग की लिफ्ट में फंस गए थे। मुख्यमंत्री वीआईपी लिफ्ट से पांचवीं मंजिल पर जा रहे थे। लिफ्ट बंद हो गई। इस मामले में दो इंजीनियर भी निलंबित हुए थे। 2021 में ही पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी इंदौर के एक अस्पताल की लिफ्ट में फंस गए थे। पिछले हफ्ते ही भोपाल के शाहपुरा इलाके में एक हादसा हुआ था। भोपाल के शाहपुरा थाना क्षेत्र के मारुतिनंदन कॉम्प्लेक्स में वायर टूटने से लिफ्ट चौथी मंजिल से सीधे बेसमेंट में आकर गिरी। हादसे में जितेंद्र नामक युवक घायल हुआ। उसे रीढ़ की हड्डी में चोट आई। भोपाल में करीब 300 इमारतों में 20 साल से भी पुरानी लिफ्ट लगी है। कानून नहीं होने से इनकी समय-समय पर न तो जांच होती है और न ही मेंटेनेंस होता है।
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चार साल पहले बना था ड्राफ्ट
लिफ्ट और एस्केलेटर से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए विधि आयोग ने चार साल पहले कानून बनाने की अनुशंसा की थी। लिफ्ट कानून का प्रस्तावित ड्राफ्ट भी भेजा था। इसमें कहा गया कि छह माह में लिफ्ट की सर्विसिंग और एक साल में संबंधित एजेंसी से इंस्पेक्शन कराकर एनओसी लेना अनिवार्य होगा। कोराना काल में यह मामला दब गया। दो साल पहले लिफ्ट की दुर्घटना हुई तो नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने नियम बनाने की प्रक्रिया शुरू की। मुख्य सचिव की बैठक में इसकी जिम्मेदारी ऊर्जा विभाग को सौंप दी गई। ऊर्जा विभाग ने ड्राफ्ट तैयार करने के लिए कमेटी बनाई। ड्राफ्ट तैयार हुआ और उसे शासन को भी भेजा गया। फिर यह ड्राफ्ट फाइलों में दब गया। अब ऊर्जा विभाग के अतिरिक्त मुख्य अभियंता देवाशीष चक्रवती का कहना है कि ड्राफ्ट तैयार है। जल्द ही इसकी प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
केंद्र सरकार दे चुका है निर्देश
देश में हाइराइज इमारतों की संख्या तेजी से बढ़ी है। इन इमारतों में आवासीय, वाणिज्यिक और सरकारी विभागों की इमारतें भी शामिल हैं। लिफ्ट की गुणवत्ता और मानकों को नजरअंदाज करने से दुर्घटनाएं बढ़ी हैं। केंद्रीय उपभोक्ता मंत्रालय ने इसे गंभीरता से लिया और सभी राज्यों को तत्काल लिफ्ट एक्ट के नियम बनाकर लागू करने के निर्देश भी दिए थे।
इन 11 राज्यों में लागू है कानून
देश के 11 राज्यों में लिफ्ट एक्ट लागू किया गया है। इनमें महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु, हरियाणा, बंगाल, दिल्ली, केरल, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और असम शामिल है।
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