लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में आरओ-एआरओ परीक्षा और सिपाही भर्ती परीक्षा (RO-ARO Exam and Constable Recruitment Exam) में हुए पेपर लीक को देखते हुए योगी आदित्यनाथ की सरकार (Yogi Adityanath’s government) ने उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा अध्यादेश 2024 (Public Examinations Ordinance 2024) लाने का फैसला किया है. इस अध्यादेश के तहत पेपर लीक में दोषी पाए जाने पर उम्र कैद और एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगेगा. मंगलवार को योगी मंत्रिमंडल ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. कैबिनेट की ओर से मंजूर प्रस्ताव में कहा गया है कि पेपर लीक या अन्य कारणों से एग्जाम प्रभावित होते हैं तो उस पर आने वाले खर्च की भरपाई सॉल्वर गैंग से की जाएगी. साथ ही परीक्षा में गड़बड़ी करने वाले सेवा प्रदाताओं और कंपनियों सदा के लिए ब्लैक लिस्ट कर दिया जाएगा.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को राज्य मंत्रिमंडल की मीटिंग हुई. कैबिनेट की बैठक 44 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई. बैठक में प्रदेश के तीन बड़े शहरों गोरखपुर, वाराणसी,और प्रयागराज के सीमा विस्तार को मंजूरी दे दी गई है. गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) द्वारा आयोजित परीक्षा इस साल फरवरी में पूरे राज्य में आयोजित की गई थी, हालांकि, पेपर लीक की खबरों के चलते मार्च में इसे तत्काल रद्द कर दिया गया था. रद्द किए जाने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया था कि परीक्षा छह महीने के भीतर दोबारा आयोजित की जाए.
इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने छह लोगों ने इस मामले में गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार आरोपियों ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए थे. इससे पहले सरकार ने पेपर काउंटिंग रोकने के लिए नई नीति की घोषणा की है. प्रत्येक परीक्षा शिफ्ट में अलग-अलग पेपर सेट बनाने के साथ साथ पेपर कोडिंग प्रक्रिया भी अधिक व्यवस्थित तरीके से व्यवस्थित की जाएगी.
इसके साथ ही केवल सरकारी माध्यमिक विद्यालय, डिग्री कॉलेज, विश्वविद्यालय, पॉलिटेक्निक, इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज या साफ-सुथरे रिकॉर्ड वाले प्रतिष्ठित, अच्छी तरह से वित्त पोषित शैक्षणिक संस्थानों को ही परीक्षा केंद्र के रूप में नामित किया जाएगा. ये केंद्र सीसीटीवी सिस्टम से लैस होंगे और भर्ती परीक्षा आयोजित करने के विभिन्न पहलुओं के लिए चार अलग-अलग एजेंसियां जिम्मेदार होंगी.
नियम के अनुसार परीक्षा देने के लिए उम्मीदवारों को अपने गृह संभाग से बाहर जाना होगा. हालांकि, यह प्रतिबंध विकलांग व्यक्तियों और महिलाओं पर लागू नहीं होगा. यदि 4 लाख से अधिक उम्मीदवार हैं, तो परीक्षा दो चरणों में आयोजित की जाएगी. प्रांतीय सिविल सेवा परीक्षा एक ही शिफ्ट में आयोजित की जा सकती है. परिणामों से छेड़छाड़ को रोकने के लिए, ओएमआर शीट की स्कैनिंग आयोग और बोर्ड द्वारा स्वयं की जाएगी.
प्रिंटिंग प्रेस का चयन अत्यंत गोपनीयता के साथ किया जाएगा. प्रेस में आने वाले आगंतुकों की स्क्रीनिंग की जाएगी और पहचान पत्र अनिवार्य होंगे. बाहरी लोगों को प्रेस में प्रवेश की अनुमति नहीं होगी. प्रेस के भीतर स्मार्टफोन और कैमरा ले जाने पर पूर्ण प्रतिबंध लागू किया जाएगा. प्रेस के चारों ओर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे, जिनकी रिकॉर्डिंग एक साल तक रखी जाएगी.
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