मुम्बई। सरकार ने रविवार को एलआईसी आईपीओ (LIC IPO) के लिए बाजार नियामक सेबी (SEBI) के पास मसौदा दस्तावेज (draft document) दाखिल किया। आईपीओ के मार्च में बाजार में आने की उम्मीद है। सेबी के पास दाखिल मसौदा रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) के अनुसार सरकार एलआईसी के 31 करोड़ से अधिक इक्विटी शेयर बेचेगी. निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) के सचिव तुहिन कांता पांडेय ने ट्वीट किया, ‘एलआईसी के आईपीओ के लिए डीआरएचपी सेबी के पास दाखिल कर दी गई है.’ सरकार का लक्ष्य मार्च तक जीवन बीमा निगम (LIC) को शेयर बाजारों में सूचीबद्ध करना है।
आईपीओ का एक हिस्सा एंकर निवेशकों के लिए रिजर्व होगा. साथ ही, एलआईसी के आईपीओ निर्गम का 10 प्रतिशत तक पॉलिसीधारकों के लिए रिजर्व होगा. चालू वित्त वर्ष के लिए सरकार के विनिवेश लक्ष्य में 78,000 करोड़ रुपये की कमी रहने के अनुमान के बीच सरकार के लिए एलआईसी का आईपीओ महत्वपूर्ण है. सरकार अब तक एयर इंडिया के निजीकरण और अन्य सरकारी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बिक्री से करीब 12,000 करोड़ रुपये जुटा चुकी है।
एलआईसी की 2020 में घरेलू बाजार में हिस्सेदारी 64.1 फीसदी से अधिक थी. क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक एलआईसी जीवन बीमा प्रीमियम के मामले में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी है. रिपोर्ट के मुताबिक 2000 से पहले के दौर में एलआईसी की बाजार हिस्सेदारी 100 फीसदी थी जो धीरे-धीरे घटकर 2016 में 71.8 फीसदी पर आ गई. 2020 में एलआईसी की बाजार में हिस्सेदारी और कम होकर 64.1 फीसदी रह गई।
क्या होता है DRHP
सेबी में दाखिल किए गए ड्राफ्ट पेपर को ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रोसेपक्टस कहा जाता है. इसमें कंपनी के बारे में पूरी डिटेल होती है. इस ड्राफ्ट में कंपनी बताती है कि कितने शेयर या कंपनी की कितनी हिस्सेदारी बिकेगी. सेबी में सबसे पहले डीआरएचपी ही दाखिल की जाती है और बताया जाता है कि कंपनी अपनी हिस्सेदारी बेचना चाहती है. इन सभी दस्तावेजों पर सेबी विचार करता है और आईपीओ के लिए हरी झंडी देता है. एलआईसी का रेड हेरिंग प्रोसपेक्टस दाखिल होने के बाद सरकार ने एक कदम और आगे बढ़ा दिया है।
जानी-मानी कंपनी मिलिमैन एडवाइजर्स एलएलपी इंडिया ने एलआईसी की वैल्यू लगाने पर काम किया है जबकि डेलॉयट और एसबीआई कैप्स को प्री-आईपीओ ट्रांजैक्शन एडवाइजर के तौर पर नियुक्त किया गया है।
इस आईपीओ के जरिये सरकार एलआईसी के 316,294,885 इक्विटी शेयर बेचेगी और प्रत्येक शेयर की फेस वैल्यू 10 रुपये होगी। एलआईसी का आईपीओ इस वित्त वर्ष के अंत तक यानी कि 31 मार्च तक बाजार में आने की संभावना है. एक हफ्ते पहले ही एलआईसी की एम्बेडेड वैल्यू 5 लाख करोड़ रुपये निर्धारित की गई थी. शेयर बिक्री का रिटर्न भारत सरकार को मिलेगा और ओएफएस आईपीओ से एलआईसी को कोई पैसा नहीं मिलेगा।
सरकार की प्लानिंग
सरकार एलआईसी के विनिवेश या शेयर बिक्री से अपने वित्तीय लक्ष्य को साधने में लगी है। पहले विनिवेश लक्ष्य को 1.75 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया था, लेकिन हालिया बजट में सरकार ने इसे घटाकर 78,000 करोड़ रुपये कर दिया. अभी तक का रिकॉर्ड देखें तो सरकार को विनिवेश से 12,000 करोड़ रुपये ही मिले हैं जबकि वित्त वर्ष खत्म होने में लगभग डेढ़ महीने का समय ही बचा है. इस हिसाब से एलआईसी के विनिवेश से सरकार इस लक्ष्य को आसानी से पा लेगी. रिटेल इनवेस्टर से लेकर आम निवेशकों और एलआईसी के पॉलिसी होल्डर को आईपीओ का लंबे दिनों से इंतजार है. इंतजार की घड़ी अब पूरी होने वाली है।
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