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लाइसेंस बन रहे सेंट्रल सर्वर पर, कमा रही राज्य की कंपनी

August 08, 2021

लाइसेंस बनने के बाद ऑनलाइन भुगतान के लिए चुकाना पड़ रहे 140 रुपए ज्यादा
इंदौर। 1 अगस्त से प्रदेश में सभी ड्राइविंग लाइसेंस सेंट्रल सर्वर (Driving License Central Server) से बनाए जाने लगे हैं। इसके तहत आवेदक (Applicant) घर बैठे ही ऑनलाइन लर्निंग लाइसेंस ( Online Learning License) भी प्राप्त कर पा रहे हैं। इसके बाद भी लाइसेंस बनने के दौरान प्रदेश की कंपनी पैसा कमा रही है। लाइसेंस बनाने के लिए फीस ट्रांसफर करने के लिए जिस पेमेंट गेटवे (Payment Gateway) का इस्तेमाल हो रहा है। उससे हर बार पैसे ट्रांसफर करने पर 71 रुपए शुल्क अलग से चुकाना पड़ता है। कहा जा रहा था कि सेंट्रल सर्वर से जुडऩे के बाद यह शुल्क नहीं चुकाना पड़ेगा, लेकिन आवेदकों पर अब भी यह बोझ डाला जा रहा है।


उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 2004 से स्मार्ट चिप कंपनी (Smart Chip Company) कम्प्यूटराइजेशन का काम करते हुए सभी ऑनलाइन काम संभाल रही है। 2017 से परिवहन विभाग ने सभी फीस भी ऑनलाइन (Online) लेना शुरू कर दिया है। इसके बाद आवेदकों को लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन, परमिट, फिटनेस, ट्रांसफर, एनओसी जैसे सभी कामों के लिए ऑनलाइन ही फीस चुकानी पड़ती है। ऑनलाइन मनी ट्रांसफर (Money Transfer) के लिए जिस पेमेंट गेटवे का इस्तेमाल किया जाता है, उसके लिए हर बार कंपनी 71 रुपए अलग से चार्ज करती है। जब केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को सेंट्रल सर्वर से जोडऩे और उसी पर काम करने के निर्देश दिए तो माना जा रहा था कि अब आवेदकों को इस शुल्क से मुक्ति मिलेगी, लेकिन 1 अगस्त से लाइसेंस का काम सारथी नाम के सेंट्रल सर्वर पर शिफ्ट होने के बाद भी आवेदकों को इस शुल्क से मुक्ति नहीं मिल पा रही है।


फीस के साथ 71 रुपए देना पड़ रहे हैं अतिरिक्त
ड्राइविंग लाइसेंस ( Driving License) के लिए पहले आवेदक को लर्निंग और बाद में परमानेंट लाइसेंस बनवाना पड़ता है। दोनों ही बार फीस के साथ यह 71 रुपए अतिरिक्त देना पड़ते हैं। इस तरह हर बार 142 रुपए ज्यादा चुकाने पड़ते हैं। लर्निंग लाइसेंस की फीस जहां 400 रुपए है, वहीं ऑनलाइन ट्रांसफर के कारण आवेदक को 471 रुपए और पक्के लाइसेंस की फीस 1100 रुपए होने पर भी 1171 रुपए चुकाने पड़ रहे हैं।
आवेदकों और एजेंटों ने की शिकायत
इस मामले में परिवहन विभाग (Transport Department) को आवेदकों और एजेंटों द्वारा शिकायत की जा रही है। एजेंट हर्ष जोशी और सोनू अग्रवाल ने बताया कि सारे काम सेंट्रल सर्वर पर होने के बाद भी यह फीस ली जाना अवैध वसूली है। पहले से फीस बढ़ाए जाने से आवेदक परेशान थे। उम्मीद थी कि हर काम के लिए अब 70 रुपए कम लगेंगे, लेकिन वसूली जारी है।
मुख्यालय से की जा रही है चर्चा
इस संबंध में मुख्यालय ( Headquarters ) से चर्चा की जा रही है, क्योंकि व्यवस्था केंद्र से जुड़ी है, इसलिए वहां से भी मार्गदर्शन लिया जा रहा है, ताकि सर्वर पर ही किसी पेमेंट गेटवे के माध्यम से आवेदक को फीस चुकाने की सुविधा मिल सके और यह अतिरिक्त फीस न चुकानी पड़ेगी। -जितेंद्रसिंह रघुवंशी, आरटीओ, इंदौर

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