नई दिल्ली। सोशल मीडिया के झांसे में आए 18 युवकों को एजेंट ने वर्किंग के बजाय टूरिस्ट वीजा (Tourist Visa) पर लीबिया भेज दिया था. सीमेंट फैक्ट्री में बंधक बने युवकों को अपने साथ हुए धोखे का पता चला कि उन्हें वर्किंग नहीं बल्कि टूरिस्ट वीजा (Tourist Visa) पर लीबिया भेजा गया है.
विदेश में फंसे युवकों को अपने देश में लाने के लिए मानव सेवा संस्थान के निदेशक राजेश मणि ने लीबिया स्थित भारतीय दूतावास से संपर्क किया. युवकों को 15 नवंबर तक वापस भेजने का भरोसा दिया गया.
गोरखपुर के मानव सेवा संस्थान के निदेशक राजेश मणि ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ-साथ लीबिया के राजदूत और काउंसलर को मेल करके ट्वीट भी किया है. उन्होंने विदेश मंत्रालय को पूरे घटनाक्रम से अवगत भी कर दिया है, जिसकी वजह से वहां पर फंसे हुए युवक अब जल्द भारत वापस आ सकेंगे.
‘हम लीबियाई अधिकारियों के संपर्क में हैं’
मामले पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा, ‘ये भारतीय मजदूर दुबई के रास्ते बेंगाजी पहुंचे थे. वे वहां उचित दस्तावेजों के बिना गए थे और जब वे वहां उतरे तो उनके काम को लेकर कुछ दिक्कतें हो गईं. हमारा दूतावास एक्टिव है और हम अपनी कम्युनिटी के सदस्यों के माध्यम से श्रमिकों तक पहुंचे और उनकी मदद की है.’
उन्होंने बताया, ‘हमने उनके खाने, रोजमर्रा की चीजों की व्यवस्था की है. चूंकि वे उचित दस्तावेज के बिना लीबिया गए थे इसलिए अब उन्हें एग्जिट परमिट की जरूरत है. दूतावास उनके एग्जिट परमिट की व्यवस्था करने के लिए लीबियाई अधिकारियों के संपर्क में है. एग्जिट परमिट में थोड़ा समय लग रहा है क्योंकि वे उचित दस्तावेजों के बिना वहां गए थे. हम स्थिति पर करीब से नजर रख रहे हैं.
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