भोपाल। प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव के नतीजों से पहले भाजपा ने बी-प्लान पर काम शुरू कर दिया है। बुधवार को सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया के निवास पर खरगौन जिले की भगवानपुरा सीट से निर्दलीय विधायक केदार सिंह डाबर द्वारा सरकार को समर्थन देने का ऐलान करना। समर्थन को लेकर चिट्ठी सोशल मीडिया पर वायरल करना भी भाजपा के बी प्लान का हिस्सा है। उपचुनाव के नतीजे कुछ भी हो, लेकिन भाजपा सरकार में बने रहने की हर संभावित स्थिति से निपटने की रणनीति बना रही है। इसके लिए पर्दे के पीछे एक पूरी टीम काम कर रही है। इस टीम में वे नेता शामिल हैं, जो मार्च में भाजपा एवं कांगे्रस के विधायकों को दीगर राज्यों में लेकर गए और उनके संपर्क में थे। 230 सदस्यों वाली मप्र विधानसभा में 28 सीट रिक्त हैं। ऐसे में अभी सदस्य संख्या 202 है। उपचुनाव के नतीजों के बाद भाजपा को सरकार में बने रहने के लिए 116 सदस्यों की जरूरत होगी। वर्तमान में भाजपा की सदस्य संख्या 107 है। जबकि चार निर्दलीय विधायक, 1 सपा एवं दो बसपा विधायकों का समर्थन प्राप्त है। ऐसे में भाजपा को बहुमत तक पहुंचने के लिए सिर्फ दो सदस्यों की जरूरत होगी। जबकि भाजपा को खुद के बलबूते पर सरकार में बने रहने के लिए उपचुनाव में सिर्फ 9 सीट जीतनी होंगी। हालांकि उपचुनाव के बीच भाजपा ने प्लान-बी पर काम शुरू कर दिया है। इसी बी-प्लान के तहत निर्दलीय विधायक केदार सिंह डाबर से समर्थन का ऐलान करवाया है। जबकि एक अन्य निर्दलीय प्रदीप जायसवाल (कमलनाथ सरकार में खनिज मंत्री थे) पहले ही भाजपा के साथ आ चुके हैं। वे खनिज विकास निगम के अध्यक्ष भी हैं। दो अन्य निर्दलीय सुरेन्द्र सिंह उर्फ शेरा और विक्रम सिंह राणा पहले ही भाजपा को समर्थन दे चुके हैं। इसके अलावा दो बसपा विधायक संजीव सिंह एवं राम बाई भी भाजपा को समर्थन दे रही हैं। एक सपा विधायक राजेश शुक्ला का भी विधानसभा में सरकार का समर्थन है। हालांकि भाजपा के साथ आने पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव उन्हें पार्टी से निष्कासित कर चुके हैं।
उपचुनाव के बीच कांग्रेसियों से संपर्क
मार्च में 22 विधायकों के इस्तीफ के बाद जून-जुलाई में कांग्रेस के तीन विधायक नारायण सिंह पटेल, सुमित्रादेवी कास्डेकर, प्रद्युम्र सिंह लोधी से इस्तीफा करवाना भी भाजपा के प्लान-बी का हिस्सा है। हालांकि उपचुनाव में एक ओर जहां कांग्रेस ओर भाजपा पूरी तरह से चुनाव में व्यस्त हैं। वहीं भाजपा की एक टीम पर्दे के पीछे रहकर अन्य कांग्रेसियों के संपर्क में है।
सरकार बनवाने वाले नेताओं को नया टारगेट
भाजपा ने प्लान बी का जिम्मा उन्हीं नेताओं को सौंपा है, जिन्होंने मार्च में भाजपा की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। भाजपा ने इन नेताओं को उपचुनाव में प्रचार-प्रसार से दूर रखा है। इनमें सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया, संगठन मंत्री आश्ुातोष तिवारी, भूपेन्द्र सिंह शामिल हैं। मार्च में जब प्रदेश में राजनीतिक उठापठक चल रही थी, तब ये नेता दीगर राज्यों में ठहरे मप्र के विधायकों के संपर्क में थे। दूसरे राज्यों से विधायकों को भोपाल लाने और बाहर ले जाने का दायित्व इन्हीं के पास था।
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