इंदौर। इंदौर (Indore) जिले में संचालित हो रहे औद्योगिक क्षेत्र (Industrial Area) व मल्टीनेशनल कम्पनियों (multinational companies) से गाइड लाइन (guide line) के आधार पर दो प्रतिशत सीएसआर (CSR) फंड अब पुण्य के कामों में खर्च कराया जाएगा। कलेक्टर आशीषसिंह ने औद्योगिक सूची तैयार करवाने के साथ-साथ जिले मे ंसंचालित हो रहे 11 विभागों से डिमांड सूची भी तैयार करवा ली है। लगभग 50 करोड़ की मांग को देखते हुए तैयारी की जा रही है। कम्पनियों की मदद से न केवल कुष्ठरोगियों (Leprosy patients) को नया आसरा मिल सकेगा, बल्कि 62 स्कूलों को नया भवन भी मिलेगा।
इंदौर जिला जितनी तेजी से विकास कर रहा है उसी तेजी से अब पुण्य के काम भी किए जाएंगे। कुष्ठरोगियों के लिए सामाजिक न्याय विभाग के अंतर्गत संचालित आश्रम के लिए लंबे समय से नए भवन की तलाश थी। वहीं ग्रामीण क्षेत्र को स्वच्छता में अव्वल लाने के लिए भी महत्वपूर्ण उपकरणों की मांग बनी हुई थी। आंगनवाड़ी केंद्रों के नए भवन बनाने हैं, वहीं ऐसे कई स्कूल हैं, जो जर्जर हालत में हैं तो कहीं कन्या छात्रावासों में बाउंड्रीवाल की व्यवस्था ही नहीं है, जिसे देखते हुए कलेक्टर आशीषसिंह ने सीएसआर फंड के माध्यम से इसकी पूर्ति करने की तैयारी की है। उन्होंने कल बैठक के बाद चर्चा में बताया कि प्रत्येक कंपनी को अपने मुनाफे का दो प्रतिशत सीएसआर फंड के माध्यम से दान करना होता है, जिसके लिए गाइड लाइन भी बनाई गई है। इंदौर जिले में लगभग 50 करोड़ के ऐसे प्रोजेक्ट पड़े हैं, जिनके लिए कोई फंड नहीं है। अब इन्हें इस फंड के माध्यम से पूरा कराया जाएगा।
बच्चों के टीकाकरण की एम्बुलेंस आएगी
नगर निगम सहित सामाजिक न्याय विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, जिला शिक्षा केंद्र, होमगार्ड एवं सिविल डिफेंस, अनुसूचित जाति-जनजाति विभाग, आयुष विभाग, पीडब्ल्यूडी, जिला पंचायत विभागों ने अपने-अपने प्रस्ताव बनाकर भेजे हैं, जिसके अंतर्गत जहां बच्चों को टीकाकरण के लिए एम्बुलेंस की सेवा के साथ होमगार्ड में आपदा प्रबंधन के उपकरणों, रेस्क्यू वाहन व छात्रावासों में लाइब्रेरी, पंखे, पलंग, डाइनिंग हॉल की मांग सामने आई है, वहीं ऐसे बच्चे जो 18 साल की उम्र पार कर चुके हैं और अनाथ आश्रम में निवासरत हैं, उनके लिए भी आगे रहने के लिए आयुष भवन तैयार कराया जाएगा।
गांव को करेंगे स्वच्छ
जिला पंचायत सीईओ सिद्धार्थ जैन से मिली जानकारी के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में साफ-सफाई व कचरा प्रबंधन के लिए उपकरणों की आवश्यकता है, जो कि लंबे समय से अधूरी पड़ी है। ग्रामीण क्षेत्रों में राजस्व वसूली के कोई साधन नहीं हैं, जिसके कारण पंचायतें अपने स्तर पर ही फंड जुटाकर सफाई अभियान चला रही हैं। अब इस फंड की मदद से बेसिक व्यवस्थाओं में मदद की जाएगी।
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