इंदौर (Indore)। पिछले सप्ताह महू के जंगलों में आपसी लड़ाई में मारे गए तेंदुए के बाद वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पिछले कुछ सालों में इंदौर, चोरल, महू, मानपुर के जंगलों में जहां तेन्दुओं की संख्या में बड़ी तेजी से इजाफा हुआ है तो वहीं इन्हीं जंगलों में लगभग 3 टाइगर यानि बाघ भी मौजूद हैं, जो तेन्दुओं से तीन से चार गुना ज्यादा पावरफुल यानि शक्तिशाली होते हैं। जंगलों का ईको सिस्टम गड़बड़ाने से शिकार के लिए यानि अपने भोजन की तलाश के दौरान तेन्दुओं से सामना होने पर खूनी संघर्ष हो जाता है। इस वजह से कई बार तेंदुए की मौत तक हो जाती है।
इस मामले में वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि हम सभी समझते हैं, जैसे हमारे लिए पर्यावरण और जंगल जरूरी है, वैसे ही विकास कार्य भी बहुत जरूरी है, लेकिन इस कड़वी हकीकत और सच्चाई से मना नहीं किया जा सकता कि बढ़ती रहवासी कालोनियां, गांव की बढ़ती सीमाएं, जंगलों में खेती के लिए पेड़ों का सफाया करने की वजह से जंगल का ईको सिस्टम बड़ी तेजी से गड़बड़ा रहा है।
450 वर्ग किमी में है महू-मानपुर के जंगल
इंदौर के वन विभाग के अनुसार 710 वर्ग किलोमीटर में जंगल फैला हुआ है, वहीं महू, मानपुर के अधिकारियों के अनुसार 225 वर्ग किलोमीटर तक महू के जंगल और 225 वर्ग किलोमीटर मानपुर के जंगल की सीमाएं फैली हुई हैं। एक तेंदुआ या एक टाइगर का वाकिंग कॉरिडोर यानि ट्रेटरी 10 से 15 वर्ग किलोमीटर होती है। विकास कार्यो के चलते पिछले कुछ सालों में लगभग 1200 हेक्टेयर जंगल सिकुड़ गए हैं, जिसका असर वन्यजीवों पर पड़ रहा है। नतीजतन भोजन, पानी, शिकार के अलावा अपने-अपने इलाके में अपने वर्चस्व के लिए आपस मे संघर्ष भी बढ़ रहा है। ऐसे हालातों में कई बार गांव के किसान या रहवासी भी इनके शिकार बन जाते हैं। जैसा कि मालेंडी गांव के किसान के साथ हादसा हो चुका है।
नीलगाय और जंगली सूअर का भी आतंक
इंदौर, चोरल, मानपुर के जंगल में सबसे ज्यादा ख़ौफ़ वैसे तो तेंदुओं और बाघों का है , मगर नीलगाय और जंगली सूअर का आतंक भी कम नहीं है। इनकी वजह से सबसे ज्यादा नुकसान किसानों की फसलों को होता है। वैसे तो नीलगाय और जंगली सूअर सहित कई वन्यजीव तेन्दुओं और बाघों के निशाने पर रहते हैं, मगर नीलगाय और जंगली सूअरों को जब जंगल में खुराक नहीं मिलती है, तब ये खेत-खलिहान और गांवों में घुसने पर मजबूर हो जाते हैं। वन अधिकारियों के अनुसार जंगल की दुनिया में वन्यजीवों का जीवन प्रकृति चक्र यानि नेचर साइकिल के अनुसार चलता है। इस चक्र अथवा साइकिल की एक भी कड़ी टूटती है तो जंगल का ईको सिस्टम गड़बड़ा जाता है, तब कभी किसी रहवासी या फिर कोई भी किसी न किसी का शिकार बन जाता है।
विकास के साथ विनाश भी
इंदौर और खंडवा रोड पर बड़ी और चौड़ी सड़कों के सम्बंधित विकास कार्य जारी है । इस प्रोजेक्ट के लिए अकेले इंदौर वन विभाग ने 60 हेक्टेयर से ज्यादा जंगल की जमीन आवंटित की है। इस योजना के तहत लगभग 10 हजार पेड़ काटे जा चुके हैं। इस प्रोजेक्ट के चलते मशीनों के शोर के कारण यहां के तेंदुए, टाइगर सहित वन्यजीव इंदौर, चोरल से महू, मानपुर के जंगलों में पलायन कर गए हैं, जबकि वहां पहले से ही वन्यजीव मौजूद हैं। उनमें और नए इलाकों से आने वाले वन्यजीवों में अपनी खुराक व शिकार को लेकर सँघर्ष बढ़ जाता है।
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