भोपाल। खंडवा लोकसभा उपचुनाव के बीच कांग्रेस छोड़कर भाजपा के मंच पर पहुंचकर पार्टी छोडऩे का ऐलान करने वाले सचिन बिड़ला की विधायकी का फैसला स्पीकर गिरीश गौतम के पास लंबित है। कांग्रेस की ओर से सचिव बिड़ला पर दलबलदल कानून के तहत कार्रवाई कर विधायकी समाप्त करने का आवेदन स्पीकर को दिया है। एक महीने के भीतर स्पीकर ने अभी तक कोई फैसला नहीं किया है। हालांकि स्पीकर को 3 महीने के भीतर कांग्रेस के आवेदन पर निर्णय लेना होगा। खंडवा लोकसभा उपचुनाव के दौरान बड़वाह से कांग्रेस विधायक सचिन बिरला 24 अक्टूबर को भाजपा में शामिल हो चुके हैं। कांग्रेस विधायक दल के मुख्य सचेतक एवं पूर्व मंत्री डॉ. गोविंद सिंह ने विधानसभा में शपथ पत्र देकर कहा है कि विधायक बिरला के खिलाफ कार्रवाई की जाए। डॉ. सिंह ने 9 नवंबर को पत्र लिखा था, लेकिन इसमें शपथ पत्र नहीं होने की वजह से कार्रवाई लंबित रखने का पत्र दे दिया था।
इसके बाद उन्होंने शपथ पत्र देकर निरर्हता नियम 1986 के नियम आठ के तहत विधि संगत कार्रवाई का अनुरोध किया था। जिस पर स्पीकर ने कोई निर्णय नहीं लिया है। डॉ.सिंह ने विधानसभा अध्यक्ष को शपथ पत्र के साथ दिए आवेदन में बताया कि संविधान की दसवीं अनुसूची के अधीन निर्मित मध्य प्रदेश विधानसभा सदस्य दल परिवर्तन के आधार पर निरर्हता नियम 1986 के नियम 8 के तहत सचिन बिरला पर जल्द कार्रवाई की जाए। विधानसभा सचिवालय के अधिकारियों के अनुसार विधानसभा अध्यक्ष ने कांग्रेस के नोटिस का अभी तक परीक्षण ही शुरू नहीं किया है। परीक्षण के दौरान यह देखा जाएगा कि कांग्रेस ने विधायक सचिन बिरला पर दलबदल कानून के तहत कार्रवाई करने के जो तथ्य पेश किए हैं, वे पर्याप्त हैं या नहीं। न ही अभी तक विधानसभा सचिवालय की ओर से कांग्रेस के आवेदन के आधार पर विधायक बिरला से कोई पत्राचार किया है। कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री की सभा की वीडियो सीडी दी गई है।
3 महीने में लेना होगा निर्णय
स्पीकर को कांग्रेस के आवेदन पर 3 महीने के भीतर निर्णय लेना होगा। इसके हालांकि पिछले रिकॉर्ड के अनुसार विधानसभा सचिवालय चाहे तो इस मामले केा तथ्यों के अभाव या तथ्यों के परीक्षण की आड़ में मामले को लंबित भी रख सकता है। ऐसे में यह मामला कोर्ट भी जा सकता है।
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