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    कोरोना के साथ जीना सीख लीजिएः डब्ल्यूएचओ

  • July 31, 2020

    युवाओं में भी मौत का खतरा
    पेरिस। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गुरूवार को चेतावनी देते हुए कहा कि फिलहाल कोरोना वायरस  की वैक्सीन बनने में वक़्त लगने वाला है। तब तक दुनिया को इसके साथ जीना सीख लेना चाहिए। WHO के प्रमुख टेड्रॉस अडहॉनम गीब्रीएसुस ने कहा है कि दुनिया को करोना वायरस के साथ ‘जीना सीखना होगा। WHO ने चेतावनी दी है कि अगर युवा ये समझ रहे हैं कि उन्हें वायरस से खतरा नहीं तो ऐसा गलत है। युवाओं की न सिर्फ संक्रमण से मौत हो सकती है, बल्कि वे कई कमजोर वर्गों तक इसे फैलाने का काम भी कर रहे हैं।
    प्रेस कांफ्रेंस के दौरान टेड्रॉस ने कहा कि ‘हम सभी को इस वायरस के साथ रहना सीखना होगा और हमें अपने और दूसरों के जीवन की सुरक्षा करते हुए, जिंदगी जीने के लिए ज़रूरी एहतियात अपनाने की ज़रूरत है। उन्होंने कई देशों में फिर से जारी की गई पाबंदियों की प्रशंसा भी की। टेड्रॉस ने सऊदी अरब की लगाई पाबंदियों का ज़िक्र किया और सऊदी सरकार के क़दमों की तारीफ करते हुए कहा कि इस तरह के कड़े कदम उठा कर सरकार ने उदाहरण पेश किया है कि आज के दौर की बदली हकीकत के साथ तालमेल बैठाने के लिए वो क्या-क्या कर सकते हैं।

    युवाओं को भी है खतरा-टेड्रॉस ने कहा कि कोरोना से युवाओं को भी ख़तरा है लेकिन कई देशों में युवा इसे सामान्य संक्रमण मान रहे हैं उन्होंने कहा, ‘हम पहले भी चेतावनी दे चुके हैं और फिर कह रहे हैं कि युवा भी कोरोना के कह से अछूते नहीं है, वो भी जोखिम में हैं. युवा भी कोरोना से संक्रमित हो सकते हैं। वो भी मर सकते हैं और वो भी दूसरों में संक्रमण फैला सकते हैं। इसलिए उन्हे अपनी सुरक्षा के अलावा दूसरों की सुरक्षा के भी उपाय करने चाहिए।’टेड्रॉस ने कहा कि दुनियाभर के लोगों को मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का सख्ती से पालन करना होगा. WHO ने अमेरिका, ब्राजील, भारत, साउथ अफ्रीका और कोलंबिया में बिगड़ते हालातों के प्रति भी चिंता जाहिर की है।

    ऑक्सफ़ॉर्ड यूनिवर्सिट की बनाई वैक्सीन कितनी कारगर होगी या नहीं इसके बारे में हमें अगले साल ही पता चलेगा। कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पास्कल सोरियो ने कहा है कि ‘इस वायरस का व्यवहार बेहद अप्रत्याशित है. ऐसे में इससे बचने के लिए वैक्सीन की एक डोज़ काफी होगी या नहीं ये अभी कहा नहीं जा सकता.’ कंपनी ने बताया कि ‘हमें उम्मीद है कि वैक्सीन कम से कम 12 महीनों तक प्रभावी रहेगी.
    हालांकि, हमें उम्मीद है कि ये दो साल या फिर उससे अधिक वक्त के लिए भी प्रभावी हो सकती है.’ कंपनी का कहना है कि अगर इसका असर केवल एक साल तक के लिए रहा तो फ्लू वैक्सीन की तरह सालाना तौर पर इसका डोज़ दिया जाना ज़रूरी हो जाएगा।
    बड़े पैमाने पर इस वैक्सीन का उत्पादन करने वाली कंपनी ऐस्ट्राज़ेनिका पहले की इस वैक्सीन की सप्लाई के लिए अमरीका, ब्रिटेन और यूरोप के इन्क्लूसिव वैक्सीन अलायंस के साथ करार कर चुकी है। कंपनी को उम्मीद है कि अगर योजना के अनुरूप काम हुआ तो वो साल के आख़िर तक इस वैक्सीन की सप्लाई भी शुरु कर देगी।
    कंपनी का कहना है कि ब्रिटेन, अमेरिका, ब्राज़ील और दक्षिण अफ्रीका में वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल चल रहा है इसके नतीजे भी जल्दी ही आ जाएंगे। शुरूआती ट्रायल में पता चला है कि ये वैक्सीन शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति को बीमारी से लड़ना सिखा सकती है। हालांकि, वायरस से सुरक्षा के लिए ये काफी है या नहीं इस बारे में अब तक कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।

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