आज पौष पूर्णिमा है। आज के दिन का महत्व अत्याधिक होता है। इस दिन अगर कोई व्यक्ति गंगा स्नान करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। कहा तो यह भी जाता है कि व्यक्ति के जन्म-मरण के बंधन से भी छूट जाता है। मान्यता है कि अस दिन सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है। इस दौरान पवित्र नदियों पर श्रद्धालुओं का मेला लगता है। आइए जानते हैं पौष पूर्णिमा की व्रत विधि और महत्व।
पौष पूर्णिमा की व्रत विधि:
इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत्त हो जाना चाहिए।
फिर व्रत का संकल्प लें। इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। अगर पवित्र नदी पर जाना संभव न हो तो जिस पानी से आप नहा रहे हों उसमें गंगाजल डाल लें। स्नान से पहले वरुण देव को प्रणाम करें।
स्नान के बाद सूर्यमंत्र का जाप कर सूर्य को अर्घ्य दें।
इसके बाद भगवान मधुसुदन की अराधना करें। इन्हें नैवेद्य अर्पित करें।
इस दिन अपनी सामर्थ्यनुसार ब्राह्मणों और गरीबों को दान करें।
इस दिन विशेष रूप से तिल, गुड़, कंबल और ऊनी वस्त्र का दान करना चाहिए।
नोट- उपरोक्त दी गई जानकारी व सूचना सामान्य उद्देश्य के लिए दी गई है। हम इसकी सत्यता की जांच का दावा नही करतें हैं यह जानकारी विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, धर्मग्रंथों, पंचाग आदि से ली गई है । इस उपयोग करने वाले की स्वयं की जिम्मेंदारी होगी ।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved