नई दिल्ली । तेजस मार्क-1ए फाइटर जेट के सौदे पर हस्ताक्षर होने के बाद अब हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने इसके उन्नत संस्करण मार्क-2 पर अपना फोकस कर रखा है। अगले साल तक स्वदेशी बहुद्देशीय लड़ाकू विमान तेजस मार्क-2 का प्रोटोटाइप आने की संभावना है। एचएएल ने एयरो इंडिया में भी तेजस मार्क-2 का माडल और डिजाइन पेश किया है और इस युद्धक विमान के तेज रफ्तार संबंधी ट्रायल साल 2023 में शुरू होंगे।
एचएएल ने ही स्वदेशी बहुद्देशीय लड़ाकू विमान तेजस के बाद इसके एमके-1 और एमके-1ए संस्करण तैयार किये हैं, इसलिए तेजस एमके-2 के लिए कोई नई तकनीक विकसित नहीं की जा रही है। तेजस मार्क-2 पहले के सभी संस्करणों का आधुनिक रूप होगा, जिसमें ज्यादा शक्तिशाली इंजन, ज्यादा फ्यूल क्षमता, नेक्स्ट जेनरेशन की इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली और कई खास एविएशन सिस्टम होंगे। एयरो इंडिया में 83 तेजस मार्क-1ए फाइटर जेट के सौदे पर हस्ताक्षर होने के बाद एचएएल ने तेजस एमके-2 पर अपना ध्यान केन्द्रित कर दिया है। इसके पहले प्रोटोटाइप को जुलाई, 2022 तक उतारे जाने की योजना है। इसके बाद इस युद्धक विमान के तेज रफ्तार संबंधी ट्रायल 2023 में शुरू होंगे। इसका उत्पादन 2025 के आसपास तक शुरू हो जाने की संभावना है।
एचएएल के चेयरमैन आर माधवन का कहना है कि तेजस का नया संस्करण तेजस मार्क-1 से ज्यादा शक्तिशाली होगा। 4.5 जनरेशन का मार्क-2 फ्रांस के राफेल को टक्कर देने लायक होगा। यह ज्यादा हथियार और गोला-बारूद ले जाने में सक्षम होने के साथ ही मजबूत इंजन क्षमता और आधुनिक युद्ध प्रणालियों से लैस होगा। एचएएल प्रमुख के मुताबिक एलसीए मार्क-II में हवा से सतह पर मारक भूमिकाओं के लिए उत्कृष्ट हथियारों की एक विस्तृत श्रृंखला होगी, जिसमें सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस-एनजी, रुद्रम I, II, III, स्वदेशी एंटी-एयरफील्ड हथियार, निर्भय ए, स्कल्प मिसाइल, पॉप आई और इजराइली स्पाइस-2000 बमों को भी एकीकृत किया जाएगा।
वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने पिछले साल मई में कहा था कि वायुसेना में तेजस लड़ाकू विमानों के विभिन्न संस्करणों को मिलाकर लगभग छह स्क्वाड्रन होंगी। भारतीय वायुसेना की एक स्क्वाड्रन 16 युद्धक विमानों और पायलट ट्रेनिंग के दो विमानों से मिलकर बनती है। मौजूदा समय में भारतीय वायुसेना के पास लड़ाकू विमानों की 30 स्क्वाड्रन हैं जबकि ‘टू फ्रंट वार’ की तैयारियों के लिहाज से कम से कम 38 स्क्वाड्रन होनी चाहिए। इसलिए वायुसेना ने 2030 तक 8 और स्क्वाड्रन बढ़ाने का फैसला लिया है। नई बनने वाली 8 स्क्वाड्रन का 75 प्रतिशत हिस्सा स्वदेशी एलसीए से पूरा किया जाना है।
वैमानिकी विकास एजेंसी के निदेशक डॉ. गिरीश एस देवधर का कहना है कि तेजस मार्क-2 विमान 4.5 पीढ़ी का होगा। 17.5 टन पर यह मार्क-1 की तुलना में तीन टन अधिक भारी है। यह 900 किलोग्राम अधिक ईंधन की खपत करता है, जिससे यह ज्यादा उड़ान भरने में सक्षम है। यह साढ़े छह टन हथियार और भंडार ले जा सकता है, जो मार्क-1 की क्षमता से लगभग दोगुना है। देवधर का कहना है कि यह राफेल की श्रेणी का विमान है। एचएएल ने एयरो इंडिया-2021 में तेजस मार्क-2 का माडल और डिजाइन पेश किया है लेकिन इसके तेज रफ्तार संबंधी ट्रायल एयरो इंडिया-2023 में देखने को मिलेंगे। तेजस एमके-1 और एमके-1ए के परीक्षण उड़ानों से मिले सबक मार्क-2 के निर्माण में मदद करेंगे।
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