गुना। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Former Chief Minister Digvijay Singh) के छोटे भाई और चांचौड़ा विधानसभा सीट से विधायक लक्ष्मण सिंह (MLA Laxman Singh) ने ट्वीटर के जरिए गुना के नाम को लेकर सिंधिया परिवार (Scindia family) पर निशाना साधा है। उनके ट्वीट के अनुसार गुना के नाम को ग्वालियर से जोड़ना गलत है। ट्वीट के अनुसार जो लोग गुना को ग्वालियर यूनाइटेड नेशनल आर्मी बता रहे हैं वे सब चमचागिरी कर रहे हैं।
रविवार को किये गए इस ट्वीट में विधायक लक्ष्मण सिंह ने लिखा है कि गुना को कहा जा रहा है ग्वालियर यूनाइटेड नेशनल आर्मी, चमचागिरी की सभी हदें पार हो चुकी हैं । गुनिया नदी के किनारे बसे शहर को गुना कहा गया , यह इतिहास बताता है । गौरतलब है कि राघोगढ़ किले और ग्वालियर राजघराने के बीच कभी सामंजस्य नहीं बन पाया है। पूर्व से ही दोनों घराने एक दूसरे के खिलाफ ही नजर आते रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के भारतीय जनता पार्टी में चले जाने के बाद तो यह तल्खी सार्वजनिक तौर पर सामने आयी है।
हालाँकि अपने ट्वीट में लक्ष्मण सिंह ने गुना का नामकरण गुनिया नदी की वजह से होना बताया है। जिले में जो इतिहासकार हैं वो इस तथ्य को नकारते हैं। प्रोफेसर अशोक दहीभते के अनुसार गुनिया नदी तो कभी थी ही नहीं। यहाँ से जो नदी निकली है उसका नाम नेगरी है। गुनिया नामकरण तो अब जाकर कुछ लोगों ने किए हैं। गुनिया नदी का कोई प्रमाण नहीं मिलता है।
क्या कहता है गुना के नाम का इतिहास
गुना के नामकरण को लेकर कई बातें प्रचलित हैं। गुना का नाम गुना कैसे पड़ा इसको लेकर कई इतिहासकारों ने व्याख्या की है। सबसे प्रामाणिक व्याख्या 1974 में मध्यप्रदेश शासन द्वारा प्रकाशित किये गए गजेटियर में मिलती है। इसे एसएन सिन्हा के द्वारा लिखा गया था। इस गजेटियर के अनुसार यहाँ गुन्हैया घास बड़ी मात्रा में पायी जाती थी। यह घास गाजर घास की ही तरह होती है। इसी गुन्हैया घास के कारण इस कस्बे का नामकरण गुना हुआ। इसी गजेटियर में एक और व्याख्या मिलती है जो कहती है कि गुना का नाम पहली बार आइन-ए-अकबरी में मिलता है। इसे अबु फजल द्वारा लिखा गया था। इसके अनुसार उस समय मालवा सूबा हुआ करता था। इस सूबे की एक सरकार चंदेरी थी। जिस तरह आज हम जिला/कमिश्नरी कहते हैं, उस समय उसे सरकार कहा जाता था। चंदेरी सरकार के अंतर्गत 64 महाल थे। उस समय के राजस्व केंद्रों को महाल कहा जाता था। अबु फजल ने उसमें जो 64 महाल बताये हैं, उनमे एक नाम गुना भी लिखा गया है।
इतिहासकारों के अनुसार गुना की बसाहट लोधी वंश की समाप्ति और मुगल साम्राज्य की शुरुआत के समय हुई है। तभी से गुना में बस्ती बनना शुरू हुई होगी। 1400 ईस्वी से लेकर 1500 के बीच में कभी ये गुना नगर बसा होगा। तभी जाकर अकबर के समय में ये इतना विस्तृत हुआ होगा कि इसे राजस्व वसूली केंद्र बनाया गया।