नई दिल्ली। देश में पिछले डेढ़ साल से कोरोना महामारी का कहर जारी है, जिसके चलते अदालतों की सुनवाई भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हो रही थी। लेकिन अब कोरोना वायरस का कहर थोड़ा कम हो गया है। इसके बाद फिर से अदालत परिसर में सुनवाई करने की तैयारी हो रही है। करीब डेढ़ साल बाद सुप्रीम कोर्ट में फिर से फिजिकल कोर्ट की शुरुआत होने वाली है। यानी एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट में वकील अदालत कक्ष में जज के सामने बहस करेंगे।
शीर्ष अदालत ने वकीलों से फिजिकल सुनवाई का हिस्सा बनने की गुजारिश की है। इतना है नहीं सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक मामले में न्यायिक आदेश के जरिये वकीलों को अदालत में आकर बहस करने के लिए कहा है।
जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस एस रविंद्र भट्ट की पीठ ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश से संबंधित एक अपराधिक अपील की सुनवाई के दौरान ये बात कहीं। पीठ ने इस मामले के दोनों वकीलों को तीन सप्ताह बाद होने वाली अगली सुनवाई में अदालत में आकर बहस करने के लिए कहा है। दोनों पक्षों के वकील भी फिजिकल बहस के लिए तैयार हो गए हैं।
जस्टिस राव ने कहा, ”हमें कभी न कभी फिजिकल बहस की शुरुआत तो करनी पड़ेगी। एक न एक दिन हमें फिर से सामान्य व्यवस्था को अपनाना होगा। यह देखते हुए कि सुप्रीम कोर्ट के लगभग सभी जज कोविड-19 का टीका ले चुके हैं। ऐसे में अब वक्त आ गया है, जब फिजिकल कोर्ट की शुरुआत की जा सकती है।”
जस्टिस राव ने कहां कि अब स्थिति बदल रही है और हमें अपनी पुरानी तरीके को अपनाना पड़ेगा। मालूम हो कि गत वर्ष 23 मार्च से सुप्रीम कोर्ट में वर्चुअल तरीके से मामलों की सुनवाई हो रही है। कई बार वकीलों की ओर से फिर से फिजिकल कोर्ट शुरू करने की मांग की जा चुकी है। लेकिन कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा था। ग्रीष्मावकाश के बाद सुप्रीम कोर्ट के लगभग सभी जज अब अदालत कक्ष में बैठकर सुनवाई कर रहे हैं। हालांकि बहस वर्चुअल माध्यम से हो रही है।
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