नई दिल्ली । दिल्ली (Delhi) के कथित शराब घोटाले (Alcohol Scams) से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले (Corruption cases) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से मिली जमानत के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Chief Minister Arvind Kejriwal) जेल से बाहर आ गए हैं। शुक्रवार शाम भारी बारिश के बीच आम आदमी पार्टी (AAP) के कई नेताओं और आप कार्यकर्ताओं ने तिहाड़ जेल के बाहर केजरीवाल का स्वागत किया। सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत तो दी है लेकिन उसके साथ कुछ शर्ते भी लगाई हैं। यह वहीं शर्तें हैं जो 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने ईडी के मामले में केजरीवाल को जमानत देते वक्त लगाई थीं।
हालांकि इस मामले में उनके वकील और राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने एक बड़ा दावा कर दिया है। उन्होंने कहा है कि शराब नीति के मामलों से जुड़ी फाइलों को छोड़कर केजरीवाल बाकी सभी फाइलों पर साइन कर सकते हैं।
एनडीटीवी से खास बातचीत के दौरान अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा, अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं और निर्वाचित सरकार या राष्ट्रपति शासन के अलावा कोई भी शक्ति इस स्थिति को नहीं बदल सकती। इस बात पर जोर देते हुए कि सुप्रीम कोर्ट ने उन पर कोई नई शर्त नहीं लगाई है, अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, वह शराब नीति से जुड़ी फाइलों को छोड़कर बाकी सभी फाइलों पर साइन कर सकते है।
‘सभी फाइलों पर साइन करने के हकदार केजरीवाल’
उन्होंने कहा, यह कहना गलत है कि वह मुख्यमंत्री के रूप में कार्य नहीं कर सकते। यह शर्ते ईडी मामले में कई महीनों से मौजूद हैं। एक भी नई शर्त नहीं रखी गई है। वह इस मामले से संबंधित फाइलों को छोड़कर सभी फाइलों पर साइन करने के हकदार है। सिंघवी ने आगे दावा किया कि दिल्ली के उपराज्यपाल के कार्यालय ने अनुचित और गलत तरीके से, उन मामलों पर गौर करना बंद कर दिया था जिनमें केजरीवाल के साइन नहीं हो पाते थे। सुप्रीम कोर्ट के स्पेसिफिक क्लॉज के बाद अऱविंद केजरीवाल उन फाइलों पर भी साइन कर सकते हैं जो उपराज्यपाल के पास जानी हैं और जिन पर उनके साइन जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट के आज के आदेश की बात करें तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केजरीवाल पर वह सभी शर्तें लागू होंगी जो ईडी के मामले 10 मई के आदेश में दी गई थीं। वहीं 10 मई के आदेश में कोर्ट ने कहा था कि वह किसी भी फाइल पर तक साइन नहीं कर सकते, जब तक वह जरूरी ना हो और जिस पर उपराज्यपाल के पास जाने के लिए उनके क्लियरेंस की जरूरत ना हो।
केजरीवाल के ‘बंधे’ हाथ फिर भी दिल्ली में नहीं रुकेगा काम
केजरीवाल की रिहाई से न केवल हरियाणा, जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनावों से पहले आम आदमी पार्टी को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि राजधानी में सरकार को भी जरूरी प्रोत्साहन मिलेगा, जिसे इस साल मार्च में उनकी गिरफ्तारी के बाद से गंभीर झटका लगा है। इसके बाद वे अगले साल होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी पार्टी में नया उत्साह भरने का काम करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि प्रवर्तन निदेशालय मामले में जमानत देते समय उन पर जो शर्तें लगाई गई थीं वह यथावत रहेंगी। आप ने दावा किया कि मुख्यमंत्री शासन की देखरेख करते रहेंगे और दिल्ली में काम ‘नहीं रुकेगा।’ ईडी मामले में जमानत देते समय सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को दिल्ली सचिवालय जाने से रोक दिया था, लेकिन उन्हें उन फाइलों को एलजी के पास भेजने की अनुमति दी थी, जिनके लिए एलजी की मंजूरी की आवश्यकता होती है।
नहीं रुकेंगे काम
आप ने एक बयान में कहा, ‘अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं, जो मंत्रिपरिषद के प्रमुख हैं और विभिन्न विभागों के मंत्रियों के जरिए शासन की देखरेख करते हैं। उन्हें अपने सभी मंत्रियों को निर्देश देने का पूरा अधिकार है, ताकि जनहित में काम हो सके। मुख्यमंत्री द्वारा केवल उन्हीं फाइलों पर हस्ताक्षर किए जाते हैं, जिन्हें एलजी के पास भेजा जाना होता है, जिसके लिए उन्हें सुप्रीम कोर्ट से इजाजत मिली हुई है। इसलिए, दिल्ली के लोगों का कोई भी काम नहीं रुकेगा।’
अधर में लटकी हैं ये योजनाएं
कई अहम नीतिगत फैसले हैं, जिनमें महिला सम्मान निधि योजना- 18 साल से ज्यादा उम्र की सभी महिलाओं को 1,000 रुपये की वित्तीय सहायता देना। इसकी घोषणा इस साल दिल्ली के बजट में की गई थी। इसके अलावा दैनिक मजदूरों के लिए महंगाई भत्ता, दिल्ली स्टार्ट-अप नीति, दिल्ली बाजार पोर्टल, क्लाउड किचन नीति, फूड ट्रक नीति, लॉजिस्टिक्स योजना, दिल्ली इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन, विनिर्माण और नवीनीकरण (ईएसडीएमआर) नीति 2022-27 और औद्योगिक एवं आर्थिक विकास नीति 2023-33 तैयार हैं। इन्हें सीएम की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की मंजूरी की जरूरत है।
आप ने बताया कैसे होगा काम
कैबिनेट में रिक्त पद के लिए एक नए मंत्री की नियुक्ति और मेयर चुनाव के लिए एक पीठासीन अधिकारी की नियुक्ति के लिए भी केजरीवाल की मंजूरी का इंतजार है। आप विधायक और वकील सोमनाथ भारती ने कहा कि कोर्ट ने सीएम को उन सभी फाइलों पर हस्ताक्षर करने की अनुमति दे दी है, जिनके लिए एलजी की मंजूरी की जरूरत होती है। भारती ने कहा, ‘सरकार द्वारा लिए गए ज्यादातर फैसलों के लिए एलजी की मंजूरी की जरूरत होती है। इसका मतलब है कि काम प्रभावित नहीं होगा। हमारी कानूनी टीम इन सभी पहलुओं पर गौर करेगी और जहां भी जरूरत होगी, स्पष्टीकरण या छूट के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती है।
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