नई दिल्ली (New Delhi)। केंद्र सरकार (Central Government) ने सोशल मीडिया (Social media) पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ (India: The Modi Question) को बैन कर दिया। जिसके बाद वरिष्ठ पत्रकार एन. राम (Veteran journalist N Ram), वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण (Activist Lawyer Prashant Bhushan) और तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सांसद महुआ मोइत्रा (Trinamool Congress MP Mahua Moitra) सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई हैं। जिसकी सुनवाई अब शीर्ष न्यायालय में होनी है।
जिसके बाद केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वालों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कुछ लोग न्यायालय का कीमती वक्त बर्बाद कर रहे हैं।
कानून मंत्री ने किरेन रिजिजू ने सोमवार को ट्वीट किया कि उच्चतम न्यायालय सहित अन्य अदालतों में बड़ी संख्या में मुकदमे लंबित हैं। रिजिजू ने ट्वीट किया, ‘इस तरह से वे माननीय शीर्ष न्यायालय का कीमती समय खराब करते हैं, जहां हजारों आम नागरिक न्याय के लिए तारीखों का इंतजार कर रहे हैं।’ उन्होंने एक और ट्वीट किया, ‘झूठा प्रोपेगैंडा कितने दिन टिकेगा? मामला सुलझ चुका है और भारत के शीर्ष न्यायलय की तरफ से रद्द किया जा चुका है। ऐसे में इन लोगों का मकसद क्या है? भारत का सुप्रीम कोर्ट सबसे ऊपर है या बीबीसी? भारत इस औपनिवेशिक मानसिकता से काफी आगे बढ़ चुका है।’
बता दें सुप्रीम कोर्ट 2002 के गुजरात दंगों पर आधारित बीबीसी की एक डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए सोमवार को राजी हो गया। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने वकील एमएल शर्मा और वरिष्ठ वकील सीयू सिंह की दलीलों पर गौर किया। दोनों वकीलों ने इस मुद्दे पर अपनी अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई का आग्रह किया था।
सुनवाई की शुरुआत में एमएल शर्मा ने याचिका का उल्लेख करते हुए कहा कि लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है। इस पर सीजेआई ने कहा, इस पर सोमवार को सुनवाई की जाएगी। वरिष्ठ अधिवक्ता सी यू सिंह ने इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार एन राम और वकील प्रशांत भूषण द्वारा दायर एक अलग याचिका का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि कैसे आपातकालीन शक्तियों का कथित तौर पर इस्तेमाल कर राम और भूषण के ट्वीट हटाए गए।
उन्होंने यह भी बताया कि ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (BBC) की डॉक्यूमेंट्री को दिखाने पर अजमेर में छात्रों को निलंबित कर दिया गया। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, हम इस पर सुनवाई करेंगे।
एमएल शर्मा ने डॉक्यूमेंट्री पर प्रतिबंध लगाने के केंद्र के फैसले के खिलाफ जनहित याचिका दायर करते हुए आरोप लगाया कि यह दुर्भावनापूर्ण, मनमानी और असंवैधानिक है। सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार ने 21 जनवरी को विवादास्पद बीबीसी डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया : द मोदी क्वेशन’ के लिंक साझा करने वाले कई यू ट्यूब वीडियो और ट्विटर पोस्ट को ब्लॉक करने के निर्देश जारी किए थे।
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