पटना । बिहार की (Bihar) नीतीश सरकार में (In Nitish Government) कानून मंत्री (Law Minister) बनाए गए राजद एमएलसी (RJD MLC) कार्तिकेय सिंह (Kartikeya Singh) राजीव रंजन किडनैपिंग केस में (In Rajiv Ranjan Kidnapping Case) वांटेड हैं (Is Wanted) और कोर्ट (Court) ने उनके खिलाफ (Against Him) वारंट जारी किया हुआ है (Warrant has been Issued)। राजीव रंजन केस के 17 आरोपियों में निवर्तमान कानून मंत्री कार्तिकेय सिंह का नाम भी शामिल है। हालांकि अदालत ने उनकी गिरफ्तारी पर 1 सितंबर तक रोक लगा दी है ।
नीतीश सरकार में कानून मंत्री के तौर पर शपथ लेने वाले जिन कार्तिकेय सिंह को प्रदेश में कानून की जिम्मेदारी दी गई है, उन्हें एक अपहरण के मामले में बीते महीने 14 जुलाई को वारंट जारी किया जा चुका है। मामला साल 2014 के राजीव रंजन किडनैपिंग से जुड़ा हुआ है। कार्तिकेय सिंह के खिलाफ जारी वारंट को मोकामा थाने भेजा गया था, जिसमें अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
राजीव रंजन केस में जब कार्तिकेय सिंह अग्रिम जमानत के हाई कोर्ट गए तो उन्हें निचली अदालत में जाने की बात कही गई थी। हालांकि, वारंट जारी होने के बाद न तो कानून मंत्री ने कोर्ट के सामने आत्मसमर्पण किया और न ही जमानत अर्जी दाखिल की है। मामले में हैरानी भरी बात यह कि इस केस में मंगलवार, 16 अगस्त को कार्तिकेय सिंह को कोर्ट के सामने पेश होना था, लेकिन वह नीतीश कुमार समेत आलाकमान के सामने मंत्री पद की शपथ ले रहे थे।
बिहार के मोकामा से आने वाले कार्तिकेय सिंह राजद (आरजेडी) एमएलसी हैं। कभी टीचर भी रहे कार्तिकेय सिंह को मोकामा के बाहुबली अनंत सिंह का काफी करीबी माना जाता है। माना जाता है कि अनंत के जेल जाने के बाद कार्तिकेय ही पूरी राजनीति के दांव-पेंच को धार देते हैं। कार्तिकेय सिंह ने एमएलसी चुनावों में जनता दल यूनाईटेड (जदयू) के प्रत्याशी को हराकर जीत दर्ज की थी। बताया जाता है कि मोकामा में कार्तिकेय सिंह को मास्टर साहब के नाम से जाना जाता है।
कार्तिकेय सिंह ने इसे राजनीतिक मुकदमें कहकर बात टालनी चाही। इसके अलावा, उन्होंने बताया कि यह सभी आरोप झूठे हैं और सभी जानकारियां उन्होंने हलफनामें के तौर पर चुनाव आयोग को भी सौंप दी है। कार्तिकेय सिंह के मुताबिक, किसी मामले में आरोप लगना और साबित होना दो अलग-अलग बातें है, लेकिन मैं खुद को निर्दोष मानता हूं।
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