नई दिल्ली (New Delhi)। विधि आयोग (Law Commission) ने बच्चों के लिए स्कूली पाठ्यक्रम (school curriculum for children) में सेक्स एजुकेशन को अनिवार्य करने (sex education mandatory) की सिफारिश (Recommendation) की है। केंद्र सरकार (Central government) को भेजी रिपोर्ट में आयोग ने बच्चों को यौन उत्पीड़न (Sexual harassment of children) और इसके विभिन्न रूपों के बारे में जानकारी देने और जागरूकता अभियान चलाने का सुझाव दिया है। विधि आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की अगुवाई में तैयार की गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों को शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास के लिए जरूरी है कि उनको चाइल्ड सेक्सुल एब्यूज के बारे में जागरूक किया जाए।
शारीरिक-मनोवैज्ञानिक परिवर्तनों के बारे में बताएं :
आयोग ने यह भी कहा है कि पाठ्यक्रम में बच्चों को उनके द्वारा अनुभव किए जाने वाले विभिन्न शारीरिक और मनोवैज्ञानिक परिवर्तनों के बारे में जानकारी देने की जरूरत है। आयोग ने कहा है कि राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम जैसे सरकारी योजनाओं का उपयोग देश की किशोर आबादी को चाइल्ड सेक्सुल एब्यूज और इस विभिन्न रूपों के बारे में जानकारी देने में किया जाना चाहिए।
दुष्कर्म संबंधी प्रावधानों में बदलाव की जरूरत
विधि आयोग ने कानून मंत्रालय को भेजी अपनी रिपोर्ट में यौन संबंधों के लिए सहमति की उम्र को 18 साल से कम नहीं करने की भी सिफारिश की है। हालांकि, आयोग ने इस रिपोर्ट में सरकार से आईपीसी की धारा 375, 376 में बदलाव की सिफारिश की है। आयोग ने कहा है कि यदि इन धाराओं में संशोधन नहीं किया तो 16 से 18 साल तक के किशोरों के सहमति से संबंधित यौन संबंधों के मामले में पॉक्सो अधिनियम के तहत न्यायिक विवेक प्रदान करने से स्थिति पूरी तरह हल नहीं होगी। मामले में यदि पीड़िता18 साल से कम है तो आईपीसी की धारा 375 के खंड छठे को आरोपी के खिलाफ लागू किया जा सकता है।
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