नई दिल्ली। देश में पहली बार ऐसा दिल दहलाने वाला जघन्य कांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। 16 दिसंबर 2012 की रात कि घटना के बाद एक आंदोलन सड़कों पर आ गया था। निर्भया कांड (Nirbhaya case) से जनता का गुस्सा देखकर सरकार (Government) का ध्यान देश में महिलाओं के साथ होने वाले बलात्कार (rape) पर आया। नतिजन कानून बदला गया और साथ ही साथ इससे समाज में बदलाव देखने को मिला। देश में बलात्कारियों के खिलाफ कानून को सख्त बनाने की मांग के बाद तीन माह के भीतर बलात्कार और महिलाओं के यौन उत्पीड़न से जुड़े कानूनों की समीक्षा की गई साथ ही उनमें फेरबदल कर उन्हें सख्त बनाया गया।
निर्भया कांड में शामिल नाबालिक दोषी (minor guilty) मौत की सजा से बच गया। इस जघन्य रेपकांड के बाद 16 से 18 साल की उम्र वाले अपराधियों को भी वयस्क अपराधियों की तरह देखने और सजा देने का फैसला लिया गया था। उस समय के कानून के तहत नाबालिग आरोपी को जुवेनाइल जस्टिस एक्ट (Juvenile Justice Act) के तहत तीन साल से ज्यादा की सजा नहीं हो सकती थी। इस रेपकांड के बाद केंद्र सरकार (central government) ने ऐसे अपराधों में शामिल नाबालिगों को वयस्क के तौर पर देखे जाने और सजा देने का अहम बिल सदन में पेश किया था जिसे संसद (Parliament) में पास कर दिया गया था।
इस कांड के बाद केंद्र सरकार ने निर्भया फंड की स्थापना की और निर्भया निधि (nirbhaya fund) में सरकार ने 1000 करोड़ रूपये की राशि का प्रावधान किया। यह फंड दुष्कर्म पीड़ितों और उत्तरजीवियों के राहत और पुनर्वास की योजना के लिए स्थापित किया गया था। इसके तहत प्रत्येक राज्य सरकार, केन्द्र सरकार के समन्वय से दुष्कर्म सहित अपराध की पीड़िताओं को मुआवजे में फंड उपलब्ध करेगी। अब तक 20 राज्यों और सात संघ शासित प्रदेशों में इस योजना की शुरुआत हुई हे। महिला और बाल विकास मंत्रालय के अनुसार बलात्कार पीड़ितों और कठिन परिस्थितियों में जीवन यापन कर रही महिलाओं के पुनर्वास के लिए स्वाधार और अल्पावास गृह योजना (short stay home scheme) भी शुरू हुए थी। इस फंड से महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई प्रकार के इंतजाम किए जाने का प्रावधान है। मसलन पुलिस को सीसीटीवी या पेट्रोलिंग (cctv or patrol) वाहन जैसे संसाधन उपलब्ध कराना।
इससे पीड़िताओं को मिली हिम्मत
ज्यादातर बलात्कार या यौन उत्पीड़न के मामलों में जिसके साथ यह हादसा होता हे उसके परिवार वालों की पहचान छिपाई जाती है। लेकिन निर्भया कांड देश का पहला ऐसा मामला था। जिसमें निर्भया के परिवार ने खुद सामने आकर लोगों से अपील की थी कि रेप पीड़ित या यौन उत्पीड़न का शिकार होने वाली महिलाएं अपनी पहचान छिपाने की बजाय सामने आकर गुनाहगारों का पर्दाफाश सामने आकर करें। इसके बाद कोर्ट का भी माहौल बदल गया, और रेप पीड़िताओं को लेकर संवेदनशीलता बढ़ गई। इसके बाद निर्भया के परिजनों ने कहा कि ऐसे मामलों में पीड़ितों के लिए आवाज उठाई जानी चाहिए। ये पिडीताओ के लिए नहीं दोषियों के लिए शर्म की बात है।
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