नई दिल्ली । केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) ने हाल ही में लेटरल एंट्री (Lateral Entry) के जरिए मंत्रालयों में शीर्ष पदों के लिए सीधी बहाली का विज्ञापन (Advertisement) निकाला था। विपक्ष ने इसके विरोध किया गया। इसके बाद इसे वापस ले लिया गया। यह कोई पहला मामला नहीं है जब लेटरल एंट्री के जरिए केंद्र सरकार के द्वारा अधिकारी स्तर के पदों को भरने की कोशिश की गई है। इससे पहले छठे केंद्रीय वेतन आयोग (Central Pay Commission) की सिफारिश पर कार्रवाई करते हुए मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) की सरकार ने जनवरी 2011 में संयुक्त सचिव स्तर पर 10% पदों को लेटरल एंट्री के जरिए भरने का प्रस्ताव दिया था। मीडिया ने अपनी एक रिपोर्ट में इसका दावा किया है।
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के एक नोट में कहा गया था कि लेटरल एंट्री में यूपीएससी द्वारा उम्मीदवारों की सीवी और एक साक्षात्कार के आधार पर चुना जाएगा। छठे वेतन आयोग ने कुछ ऐसे पदों की पहचान करने की सिफारिश की थी जिनके लिए तकनीकी या विशेष ज्ञान की आवश्यकता होती है।
दो साल से अधिक समय बाद, जून 2013 में वेतन आयोग की सिफारिश की डीओपीटी, व्यय विभाग और संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा जांच की गई थी। यूपीएससी ने इसको लेकर सहमति जताई थी।
इसके बाद लेटरल एंट्री प्रस्ताव पर एक अवधारणा नोट प्रसारित किया गया और विभिन्न मंत्रालयों और विभागों से विशेष ज्ञान की आवश्यकता वाले पदों की पहचान करने के लिए कहा गया।
मीडिया द्वारा समीक्षा किए गए आधिकारिक रिकॉर्ड से पता चलता है कि 28 अप्रैल 2017 को पीएमओ की बैठक में लेटरल एंट्री योजना पर चर्चा की गई थी। इसे यूपीएससी के दायरे से बाहर रखने और लेटरल भर्ती प्रक्रिया को सचिवों और बाहरी विशेषज्ञों से बनी दो चयन समितियों के तहत संचालित करने के बारे में सहमति बनी थी। कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाली चयन समिति को लेटरल एंट्री के लिए संयुक्त सचिवों का चयन करना था।
हालांकि, 11 मई 2018 को डीओपीटी के एक अधिकारी ने कहा कि अगर इन पदों को इस मार्ग से भरा जाना है तो यूपीएससी विनियमन में संशोधन करना होगा। इसके बाद फाइल नोट में बताया गया है कि संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के पद अखिल भारतीय सेवाओं और केंद्रीय समूह ‘ए’ सेवा के अधिकारियों से केंद्रीय स्टाफिंग योजना (सीएसएस) के तहत प्रतिनियुक्ति पर भरे जाते हैं। एक साल के भीतर ही पुनर्विचार हुआ और सरकार ने लेटरल एंट्री भर्ती को यूपीएससी को सौंपने का फैसला किया।
1 नवंबर 2018 को यूपीएससी ने कहा कि वह एक बार में एक उम्मीदवार की सिफारिश करेगा और प्रत्येक पद के लिए दो अन्य नामों को आरक्षित सूची में रखेगा। यूपीएससी ने कहा, “चयन की इस प्रक्रिया को एक बार की प्रक्रिया के रूप में माना जा रहा है और इसे हर साल जारी रखने वाली नियमित प्रक्रिया नहीं माना जा रहा है।”
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