उज्जैन। अक्टूबर में शुरू हुआ रबी सीजन अब अंतिम दौर में पहुंच रहा है। सिंचाई के दौरान बिजली की खपत 6600 मेगावाट के करीब आ गई है। आने वाले दो सप्ताह बाद इसमें 1000 मेगावाट बिजली की और गिरावट दर्ज की जा सकती है। इस बार 1 महीने पहले सिंचाई शुरू होने के बाद अभी तक सिंचाई का दौर जारी है। हालांकि आधे से ज्यादा ट्यूबवेल, मोटर पंप बंद हो चुके हैं, पर जो मोटर पंप चालू हैं उन्हें गहराई से पानी फेंकने में ज्यादा क्षमता का उपयोग करना पड़ रहा है, इसलिए बिजली की मांग बनी हुई है।
मालवा-निमाड़ के उज्जैन-इंदौर संभाग के अंतर्गत आने वाले 15 जिलों में इंदौर बिजली कंपनी के माध्यम से विद्युत वितरण का कार्य किया जाता है। इस बार अक्टूबर महीने में रबी सीजन की सिंचाई शुरू हो गई थी। तकरीबन 13 लाख मोटर पंपों के माध्यम से सिंचाई में बिजली का उपयोग किया जाता है। सीजन में नवंबर में 7240 मेगावाट बिजली की उच्चतम खपत रही थी। इसके बाद 7000 मेगावाट के करीब खपत चल रही थी। वर्तमान में बिजली की खपत 6600 मेगावाट के करीब आ गई है। अब यह इस सीजन में सिंचाई का अंतिम दौर माना जा रहा है। 15 से 20 फरवरी के बीच बिजली की खपत में 1000 मेगावाट की और गिरावट दर्ज होगी। तकरीबन 13 लाख मोटर पंपों के माध्यम से मालवा-निमाड़ में सिंचाई की जाती है। बिजली कंपनी ने 12 लाख से ज्यादा स्थायी कनेक्शन किसानों को दिए हैं। वहीं 80000 के करीब अस्थायी बिजली कनेक्शन इस सीजन में दिए गए हैं। आधे मोटर पंप फिलहाल बंद हो चुके हैं, लेकिन जो चालू हैं उनमें पानी का लेवल नीचे गया है। मोटर पंप को जमीन की गहराई से पानी बाहर फेंकने में और ज्यादा क्षमता का उपयोग करना पड़ता है, इसलिए बिजली की खपत भी बनी हुई है, जो कुछ दिनों बाद कम हो जाएगी।
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