नई दिल्ली। सनातन धर्म में पंचक (Panchak ) काल को बहुत ही अशुभ माना जाता है. पंचक काल को सनातन धर्म में अमंगल काल माना जाता है. वैदिक ज्योतिष (Vedic Astrology) के अनुसार, जब चंद्रमा धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण और उत्तराभाद्रपद, पूर्वाभाद्रपद, रेवती और शतभिषा नक्षत्र (Revati and Shatabhisha Nakshatra) के चारों चरणों में भ्रमण करता है तो पंचक काल शुरू होता है. रविवार के दिन होने वाले पंचक काल का नाम रोग पंचक होता है. सोमवार के दिन होने वाले पंचक काल का नाम राज पंचक होता है.
मंगलवार के दिन होने वाले पंचक काल का नाम अग्नि पंचक (fire quintet) होता है. बुधवार और बृहस्पतिवार के दिन होने वाले पंचक काल दोषमुक्त पंचक काल कहलाते हैं. शुक्रवार के दिन होने वाले पंचक काल चोर पंचक कहलाते हैं. शनिवार के दिन होने वाले पंचक काल को मृत्यु पंचक कहा जाता है. हिंदू धर्म में पंचक लगने पर शव दाह नहीं किया जाता है. अगर शव दाह करना जरूरी है तो आटे का पुतला बनाकर और उसकी विधिवत पूजा (ceremonial worship) के बाद ही ऐसा किया जा सकता है.
पंचक के बारे में ये भी मान्यता है कि पंचक के दौरान अगर कोई कार्य करवाया जा रहा है तो उसे पांच बार करवाना पड़ता है. पंचक के समापन के बाद कोई भी शुभ कार्य करवाए जा सकते हैं जैसे मुंडन, शादी, गृह प्रवेश आदि.
दिसंबर पंचक तिथि
हर महीने पांच दिन पंचक लगता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार 27 दिसंबर 2022 को मंगलवार के दिन पंचक सुबह 03 बजकर 31 मिनट से प्रारंभ हो जाएगा और 31 दिसंबर 2022 को शनिवार के दिन इसका समापन सुबह 11 बजकर 47 मिनट पर होगा. इस बार अग्नि पंचक लगने जा रहा है.
अग्नि पंचक क्या होता है
मंगलवार के दिन से शुरू होने वाला पंचक अग्नि पंचक के नाम से जाना जाता है. ये पंचक अशुभ माना जाता है, इसी वजह से इस पंचक में किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य तथा मशीनरी और औजार के काम की शुरुआत करना भी अशुभ होता है. मान्यता के अनुसार, इस पंचक पर इन कार्यों को करने से नुकसान होने की पूरी संभावना रहती है.
पंचक के दौरान न किए जाने वाले कार्य
वैदिक ज्योतिष के अनुसार इस दिन कुछ विशेष कार्य करने की भी मनाही होती है. आइए जानते हैं उन कार्यों के बारे में.
1. इस समय विशेष रूप से दक्षिण दिशा में यात्रा करना वर्जित माना जाता है.
2. पंचक के समय घर के निर्माण में छत नहीं बनानी चाहिए या कोई लेंटर नहीं डालना चाहिए.
3. इसके अलावा पंचक के दौरान लकड़ी, कण्डा या अन्य प्रकार के ईंधन का भंडारण नहीं करना चाहिए.
4. पंचक के समय विशेष रूप से किसी भी प्रकार का पलंग खरीदना और ना बनवाना चाहिए. बिस्तर खरीदना या बिस्तर का दान करना भी कष्टदायक माना जाता है.
5. शय्या का निर्माण पंचकों के दौरान नहीं करना चाहिए. वहीं अगर किसी व्यक्ति की पंचकों के दौरान मृत्यु हुई है तो मृतक के शव के साथ पांच पुतले आटे या कुश के बनाकर रखने की मान्यता है. माना जाता है कि ऐसा करने से पंचक दोष समाप्त हो जाता है.
नोट– उपरोक्त दी गई जानकारी सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य से पेश की गई है, हम इन पर किसी भी प्रकार का दावा नहीं करते है.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved