इंदौर। रात में बारिश की बूंदें बिजली उपकरणों पर पड़ते ही इंसुलेटर और डिस्क चटकते रहे। कुछ जगह पर पेड़ की डालियां भी बिजली लाइनों से उलझ गईं। फाल्ट होने से अंधेरा हो गया। लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। दर्जनभर क्षेत्र में एक से डेढ़ घंटे बिजली कर्मचारियों की मशक्कत के बाद सप्लाई नॉर्मल हुई। बिजली कंपनी सालभर मेंटेनेंस के नाम पर दो से तीन घंटे सुबह बत्ती गुल करती है, लेकिन थोड़ी सी बारिश ने रात में बिजली उपकरण और मेंटेनेंस की पोल खोल दी। पीपल्याहाना, रिंग रोड, एमजी रोड, गीता भवन, विष्णुपुरी, मोती तबेला, राजेंद्र नगर, कुशवाह नगर आदि कई क्षेत्रों में इंसुलेटर और डिस्क चटक गए थे।
गीता भवन क्षेत्र में पेड़ों की डालियां बिजली के तारों में उलझ गई थीं। अलग-अलग जगह फाल्ट हुए। लोगों को अंधेरे का सामना करना पड़ा। सत्यसांई जोन पर 10-10 मिनट के लिए तीन-चार बार बिजली की आवाजाही लगी रही। रात तकरीबन 10 बजे के बाद बिजली गुल होने का सिलसिला शुरू हो गया था। पौने बारह बजे सप्लाई नॉर्मल हो पाई। फील्ड में कार्यपालन यंत्री प्रेम पालीवाल, विनयप्रताप सिंह, योगेश अटनेरे, रामनारायण धाकड़, डीके तिवारी बिजली इंजीनियरों से आधी रात तक जायजा लेते रहे। जिन इंजीनियरों की शिकायत फोन अटैंड करने की नहीं थी उन्हें डांटा भी गया।
लोग परेशान
रात 10 बारिश की बूंदाबांदी शुरू होने के साथ ही अलग-अलग क्षेत्रों में अंधेरा होने लगा था। अचानक बारिश लोगों की समझ में नहीं आई। इसी दौरान बिजली लाइनों में फाल्ट से बत्ती गुल होना शुरू हुई। अंधेरे से परेशान लोग बिजली कंपनी में फोन लगाते रहे। ज्यादातर लोगों के फोन कॉल अटैंड नहीं हुए। यह चर्चा आम होती है कि सालभर मेंटेनेंस के नाम पर अंधेरा होता है और जरा सी बारिश की बूंद से अंधेरा हो रहा है।
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