सुप्रीम कोर्ट में चल रही याचिका का निराकरण… अब कार्रवाई
इंदौर। लैन्टर्न होटल पर निगम अपने स्वामित्व का दावा करते हुए एक -दो दिन में सम्पत्ति खरीदने वाली कंपनी को नोटिस देने वाला है। होटल के नक्शे पूर्व में निगम ने स्टाम्प ड्यूटी विवाद के चलते स्वीकृति से रोक दिए थे। इसके बाद बिल्डर कंपनी ने स्टाम्प ड्यूटी के मामले को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी, जिस पर कल सुनवाई समाप्त हो चुकी है। अब इस मामले में नए तथ्य सामने आने के बाद जिला प्रशासन स्टाम्प ड्यूटी के विवाद के बजाय निगम को स्वामित्व का दावा करने का मौका दे रहा है। इसके चलते निगम एक-दो दिन में कब्जे का नोटिस देने वाला है।
लैन्टर्न होटल का मामला स्टाम्प ड्यूटी से शुरू हुआ और स्वामित्व तक पहुंच गया। इस मामले का अहम पहलू यह है कि जिला प्रशासन के पंजीयन विभाग ने पहले स्टाम्प ड्यूटी का मामला उठाया। दरअसल उक्त संपत्ति पर 12 करोड़ रुपए की स्टाम्प ड्यूटी आरोपित की गई थी। इनमें से स्टाम्प ड्यूटी की मूल रकम मात्र 4 करोड़ रुपए थी, जबकि 8 करोड़ रुपए पेेनल्टी की रकम थी। पूर्व में संपत्ति के स्वामी ढंडा परिवार द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी, जिसमें उच्च न्यायालय ने 8 करोड़ रुपए की पेनल्टी की रकम माफ करते हुए स्टाम्प ड्यूटी की रकम 4 करोड़ रुपए 6 माह में चुकाने का आदेश दिया था, लेकिन संपत्ति मालिक द्वारा निर्धारित अवधि में 4 करोड़ रुपए नहीं चुकाए जाने के चलते उक्त आदेश शून्य हो गया। इसके बाद ढंडा परिवार ने उक्त संपत्ति का विक्रय कर दिया। संपत्ति खरीदने वाली कंपनी ने पंजीयन विभाग को 4 करोड़ रुपए की राशि के अलावा 2 करोड़ रुपए पेनल्टी के रूप में देते हुए 6 करोड़ रुपए के पोस्टडेटेड चेक दिए थे, लेकिन कोरोना काल के चलते जिला प्रशासन द्वारा बकाया रकम की वसूली तेजी से करने के निर्देश के चलते पंजीयन विभाग ने बकाया 6 करोड़ रुपए चुकाने के नोटिस देते हुए की गई रजिस्ट्री पर आपत्ति ले ली और उधर निगम में भी नक्शे रुकवा दिए। संपत्ति मालिक द्वारा इस मामले मेें फिर कोर्ट की शरण ली गई और कहा गया कि वह पूर्ण रकम देने के लिए तैयार हैं और इसी मंशा के चलते उनके द्वारा पोस्टडेटेट चेक दिए गए हैं, लेकिन हाईकोर्ट ने संपत्ति मालिक की याचिका ठुकरा दी तो उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय की शरण ले ली। यह विवाद अभी सर्वोच्च न्यायालय में लंंबित ही था कि मामले में नया मोड़ आ गया और निगम ने उक्त संपत्ति पर अपना दावा घोषित कर दिया। निगम के अनुसार उक्त संपत्ति दस्तावेजों में निगम के स्वामित्व की है और उस संपत्ति की खरीद-फरोख्त अवैध है। इस तथ्य का नोटिस निगम द्वारा संपत्ति मालिक को दिया जा चुका है। चूंकि स्टाम्प ड्यूटी का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, इसलिए आगे कोई कार्रवाई निगम द्वारा नहीं की गई।
प्रशासन ने चली चाल… स्टाम्प ड्यूटी मामले में सरेंडर
स्टाम्प ड्यूटी का मामला सुप्रीम कोर्ट में चलने के दौरान जब प्रशासन को संपत्ति पर निगम का स्वामित्व नजर आया तो प्रशासन ने अपना रुख बदलते हुए उक्त मामले के निराकरण पर जोर लगाया, ताकि निगम अपने स्वामित्व का दावा कर सके। प्रशासन ने अपने वकीलों को निर्देश दिए कि इस मामले में याचिकाकर्ता चाहे जितना समय मांगें, उन्हें दिया जाए और जितनी जल्दी हो सके मामले का निराकरण कराया जाए, ताकि प्रशासन अगली कार्रवाई कर सके। कल उक्त मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान यही रुख अख्तियार करते हुए मामले का निराकरण करा लिया गया है, जिसका निर्णय एक-दो दिन में प्राप्त होने के बाद प्रशासन अपनी कार्रवाई कर सकेगा।
याचिका में प्रशासनिक अधिकारियों पर लगाए भद्दे व्यक्तिगत आरोप
लैन्टर्न होटल की संपत्ति खरीदने वाली इंदौरी कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट मेें लगाई याचिका में जिला प्रशासन के मुखिया पर कई व्यक्तिगत आरोप लगाकर हदें पार कर लीं। इन आरोपों के बाद जिला प्रशासन सहित सरकारी वकीलों ने मामले को अपने अहं का प्रश्न बना लिया और पूरी ताकत से लड़ते हुए केस जीतने की तैयारी कर ली थी। वहीं प्रशासन द्वारा भी संपत्ति के कागज खंगाले जाने लगे थे। इसी दौरान निगम के स्वामित्व का कागज हाथ लगने के बाद मामला पूरी तरह उलट गया और अब निगम एक-दो दिन में कब्जे का नोटिस देने की तैयारी में है।
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