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    झारखंड में गहराया भाषा विवाद, गैर-आदिवासी संगठनों ने किया झारखंड बंद का आह्वान

  • March 06, 2022


    रांची । झारखंड (Jharkhand) के धनबाद और बोकारो जिलों (Dhanbad-Bokaro Districts) की क्षेत्रीय भाषाओं (Regional Languages List)की सूची से भोजपुरी और मगही (Bhojpuri-Magahi) को निकालने के बाद इसे फिर से शामिल करने की मांग जोर पकड़ने लगी है। इसी कड़ी में भोजपुरी मगही मैथिली अंगिका मंच Angika Manch (बीएमएमएएम) के नेतृत्व में गैर-आदिवासी संगठनों (Non-Tribal Organizations) ने दोनों जिलों की क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में भोजपुरी और मगही को शामिल करने की मांग को लेकर रविवार यानी कि आज झारखंड में राज्यव्यापी बंद (Statewide Bandh)  का आह्वान किया है।

    वे राज्य की अधिवास नीति (डोमिसाइल पॉलिसी) के लिए भूमि अभिलेखों के प्रमाण के रूप में 1932 की कट-ऑफ तिथि की मांग का भी विरोध कर रहे हैं। बीएमएमएएम ने अन्य गैर-आदिवासी संगठनों के साथ बंद को सफल बनाने के लिए लोगों से समर्थन की मांग करते हुए शनिवार शाम को रांची के शहीद चौक से अल्बर्ट एक्का चौक तक मशाल जुलूस निकाला।

    उल्‍लेखनीय है कि झारखंड सरकार ने 18 फरवरी को विरोध के बीच भोजपुरी और मगही को धनबाद और बोकारो जिले की क्षेत्रीय भाषाओं की सूची से हटा दिया था। वहीं विधायकों के एक वर्ग ने 1932- खतियान (व्यक्ति के भूमि दस्तावेज का प्रमाण) आधारित अधिवास नीति को लागू करने की मांग उठाई है। इस मुद्दे पर विधानसभा में जवाब देते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि 1932-खतियान आधारित अधिवास नीति को लागू करने पर विचार किया जा रहा है और जल्द ही इस संबंध में समिति गठित करने या नियम बनाने का निर्णय लिया जाएगा।

    इस संबंध में बीएमएमएएम के अध्यक्ष कैलाश यादव ने कहा, ”हम झारखंड सरकार के भाषाओं को लेकर भेदभावपूर्ण रवैये का विरोध करते हैं और भोजपुरी और मगही को धनबाद और बोकारो की क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में शामिल करने की मांग करते हैं। 1932 की खतियान नीति की मांग भी निराधार है।” उन्होंने दावा किया कि 28 संगठनों ने बंद के आह्वान का समर्थन किया है।



    इस बीच, अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद, आदिवासी जन परिषद, केंद्रीय सरना समिति और आदिवासी लोहरा समाज सहित कई आदिवासी संगठनों ने शनिवार को एक बैठक में बीएमएमएएम के झारखंड बंद की आलोचना की। आदिवासी संगठनों ने 1932 की खतियान आधारित अधिवास नीति की अपनी मांग के समर्थन में 14 मार्च को राज्य विधानसभा का घेराव करने का फैसला किया है।

    झारखंड सरकार ने व्यापक विरोध के बीच धनबाद और बोकारो की क्षेत्रीय भाषाओं की सूची से भोजपुरी और मगही को वापस ले लिया है। इसके बाद कार्मिक, प्रशासनिक सुधार और राजभाषा विभाग ने 24 दिसंबर, 2021 को जारी अधिसूचना वापस ले ली, जिसमें झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित जिला-स्तरीय पदों की भर्ती परीक्षाओं में उपस्थित होने के लिए मैट्रिक और इंटरमीडिएट स्तर में इन दो भाषाओं को अनुमति दी गई थी।

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