इंदौर। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सरकार ने कल अयोध्या में राम मंदिर में पहुंचकर दर्शन किए। वहीं सरकारी मंदिरों के प्रबंधन में होने वाली कठिनाइयों के संबंध में उन्होंने आज बैठक भी बुलाई है। दूसरी तरफ कलेक्टर आशीष सिंह ने जिले में स्थित 1487 सरकारी मंदिरों और उनसे जुड़ी जमीनों के सर्वे करने के आदेश दिए हैं। कलेक्टर का कहना है कि मंदिरों की जमीनों की अवैध खरीद-फरोख्त भी हुई है। साथ ही अदालतों में भी प्रकरण चल रहे हैं।
पूर्व में भी शासन-प्रशासन सरकारी मंदिरों की जमीनों की जांच-पड़ताल करवाता रहा है। अभी मुख्यमंत्री ने भी देव स्थानों के संबंध में कल हुई केबिनेट बैठक में चर्चा की और धर्मस्व, राजस्व तथा संस्कृति विभाग को भी मंत्रिमंडलीय उपसमिति में जोडऩे और देव स्थानों के विकास की योजना बनाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही प्रमुख देव स्थानों में शासन द्वारा धर्मशालाएं भी बनाई जाएंगी। दूसरी तरफ कलेक्टर आशीष सिंह ने जिले के मंदिरों के साथ-साथ तालाबों की जमीनों का भी सीमांकन करवाने के निर्देश दिए हैं। कलेक्टर श्री सिंह के मुताबिक प्रशासन के स्वामित्व वाले 1487 मंदिर हैं, जिनमें से 984 मंदिरों के पास जमीनें भी हैं।
देपालपुर तहसील में सर्वाधिक 452, तो सांवेर में 387 मंदिर हैं। वहीं इंदौर तहसील में 327 मंदिरों की सूची है। वहीं हातोद तहसील में 155, महू में 166, सांवेर में 386 मंदिर हैं। इनमें अधिकांश मंदिर हालांकि राम-हनुमान के हैं, तो शिव-पार्वती, राधा-कृष्ण भगवानों के मंदिर भी हैं। इनमें से कई मंदिरों का निर्माण होल्करों के शासन काल में माता अहिल्याबाई ने करवाया था। वहीं खासगी ट्रस्ट के अधीन भी कई मंदिर रहे हैं। हालांकि कई बेशकीमती मंदिरों की जमीनों की खरीदी-बिक्री भी हो गई और कोर्ट डिक्री के आधार पर नामांतरण भी कर डाले। हालांकि पूर्व में भी प्रशासन ने मंदिरों की इन जमीनों पर व्यवस्थापक कलेक्टर का नाम चढ़वाया। वहीं कुछ प्रमुख मंदिरों के पास करोड़ों रुपए की बेशकीमती जमीनें भी मौजूद है। सुखलिया में ही खेड़ापति हनुमान, सुलकाखेड़ी में ही गोवर्धन मंदिर, मारुति मंदिर सहित 11 मंदिर की 170 एकड़ जमीन है।
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