- राऊ रंगवासा में 20 एकड़ जमीन पर बनना है क्लस्टर, कुछ आवासीय जमीनों का उपयोग औद्योगिक करने की कवायद शुरू
इंदौर। फर्नीचर (Furniture) , नमकीन सहित अन्य क्लस्टर (cluster)की तरह राऊ रंगवासा में ट्रॉय यानी खिलौना क्लस्टर (toy cluster)भी स्थापित किया जा रहा है। लगभग 20 एकड़ जमीन पर बनने वाले इस खिलौना क्लस्टर की कुछ जमीन आवासीय उपयोग की है, जिसका भू-उपयोग औद्योगिक किया जा रहा है। इसके लिए नगर तथा ग्राम निवेश ने भू-उपयोग परिवर्तन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सर्वे नम्बर 6435 एवं 647 की 3.565 हेक्टेयर में से 2.2022 जमीन जो कि वर्तमान मास्टर प्लान में आवासीय है, अब उसे औद्योगिक किया जाएगा। 15 दिन में दावे-आपत्तियां आमंत्रित की गई है। इंदौर और आसपास के ही कई खिलौना निर्माता इस क्लस्टर में जमीन लेकर अपने कारखाने स्थापित करेंगे।
एक तरफ पीथमपुर(Pithampur) सहित अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में कई नए उद्योग आ रहे हैं, वहीं आईटी पार्क की तरह ही फर्नीचर, मिठाई, नमकीन, गारमेंट सहित अन्य क्लस्टर बनाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में खिलौना निर्माताओं ने भी इस तरह के क्लस्टर (cluster) की मांग की। नतीजतन राऊ रंगवासा में 20 एकड़ पर यह खिलौना क्लस्टर बनाया जा रहा है। शासन-प्रशासन जमीन को उद्योग विभाग को सौंपने के साथ ही कुछ जमीनों का भू-उपयोग परिवर्तन भी करवा रहा है। खिलौना निर्माताओं की ओर से उनके एसोसिएशन ने पिछले दिनों कलेक्टर सहित एमपीएसआईडीसी (MPSIDC)और जिला व्यापार उद्योग केन्द्र के महाप्रबंधक के साथ चर्चा भी की, जिसमें बताया गया कि फर्नीचर और खिलौना क्लस्टर को जमीन उपलब्ध करवाने के लिए शासन की मंजूरी मिल चुकी है। कुछ समय पूर्व भोपाल जाकर भी खिलौना निर्माता मुख्यमंत्री से मिले थे और जल्द जमीन उपलब्ध करवाने की मांग की, ताकि वे अपनी यूनिट स्थापित कर सकें। खिलौना क्लस्टर के लिए चिन्हित जमीन दरअसल पूर्व में सूचना प्रौद्योगिकी आईटी विभाग को दी गई थी, लेकिन बाद में आईटी इंडस्ट्री कहीं और शिफ्ट होने के चलते उद्योग विभाग के पास यह जमीन खाली पड़ी थी, जिसे खिलौना क्लस्टर के लिए इस्तेमाल करना तय किया गया। प्रदेश की आर्थिक राजधानी यानी इंदौर में खिलौना निर्माण का भी काम बड़े स्तर पर होता है। खासकर चमड़े से बने खिलौने भी विदेशों में भेजे जाते हैं। यहां के खिलौनों की गुणवत्ता इतनी अच्छी है कि देश-विदेश में लगातार मांग बढ़ती रही। उसके चलते ही टॉय क्लस्टर की मांग शुरू की गई। अभी तक हालांकि चीन से आने वाले खिलौने ही अधिक बिकते रहे, जिस पर सरकार ने इम्पोर्ट ड्यूटी 200 प्रतिशत तक बढ़ा दी और मेक इन इंडिया के तहत देश में ही खिलौने बनाने वाले उद्यमियों-निवेशकों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। देश में खिलौनों का व्यापार लगभग 7 लाख करोड़ का बताया जाता है। मगर इसमें से 15 से 20 फीसदी खिलौने ही भारत में तैयार होते हैं, जबकि 80 फीसदी से अधिक चीन, फ्रांस, यूके व अन्य देशों से मंगवाए जाते हैं। इन दिनों चूंकि स्वदेशी वस्तुओं को बढ़ावा देने की मुहिम चल रही है और चीन के सामान का बहिष्कार भी किया जा रहा है, जिसके चलते चीन से आने वाले खिलौनों की बजाय अब मध्यप्रदेश में ही खिलौने बनवाए जाएंगे।