भाव बढऩे पर कई बिके हुए भूखंड डरा-धमकाकर खरीदे भी… डायरेक्टरों में भी विवाद… कोर्ट-कचहरी के साथ निगम को की शिकायत
इंदौर। कोरोना संक्रमण (Corona Transition) के चलते भूमाफियाओं (Land mafia) के खिलाफ चल रही मुहिम भले ही थोड़ी ठंडी पड़ी हो। हालांकि प्रशासन और सहकारिता विभाग ( Cooperatives Department) अपनी जांच-पड़ताल में जुटा है। वहीं जनता द्वारा भी शिकायतें की जा रही है। अभी विकास अपार्टमेंट (Vikas Apartments) संस्था के पीडि़तों ने दो दिन पहले सहकारिता विभाग पहुंचकर अफसरों की घेराबंदी की। वहीं प्राधिकरम की योजना 155 और संगम नगर (Sangam Nagar) से लगी कालोनी समृद्धि पार्क (Samridhi Park) में भी भूमाफिया (Land mafia) का खेल सामने आया है। इस कालोनी से जुड़े शराब कारोबारी और अन्य ने भूखंडों की कीमत बढऩे पर नियत बदलते हुए प्लाट धारकों को डरा-धमकाकर वापस खरीदने के प्रयास शुरू किए और कुछ भूखंड खरीद भी लिए। दूसरी तरफ निगम से जो विकास अनुमति प्राप्त की गई उसके एवज में जो भूखंड विकास कार्य के लिए धरोहर पर रखे गए उन्हें भी बेचने का सिलसिला शुरू कर दिया।
अभी कई बड़े भूमाफिया (Land mafia) तो फरार हैं, जिन पर पुलिस ने ईनाम भी घोषित कर रखा है। वहीं कल भगोड़े और ईनामी भूमाफिया सुरेन्द्र और प्रतीक संघवी (Prateek Sanghvi) की याचिका पर भी हाईकोर्ट में वर्चुअल सुनवाई हुई। हालांकि यह सुनवाई लाइन डिस्कनेक्ट होने के कारण पूरी नहीं हो सकी और अब 19 अप्रैल को होगी। वहीं दीपक मद्दे सहित अन्य भूमाफिया भी फरार हैं और कुछ पुलिस की गिरफ्त में भी आ गए। पुलिस-प्रशासन का कहना है कि भूमाफियाओं के खिलाफ चल रही कार्रवाई इसी तरह जारी रहेगी। हालांकि अभी कोरोना के चलते अभियान की गति धीमी हुई है, क्योंकि सारे अफसर संक्रमण रोकने और अन्य व्यवस्थाओं में जुटे हैं। दूसरी तरफ जनता द्वारा शिकायतें जारी हैं। ऐसा ही एक मामला समृद्धि पार्क (Samridhi Park) में हुए घोटाले का आया है। दरअसल योजना 155 और संगम नगर से लगी इस कालोनी की जमीन पिछले कुछ समय में कीमती हो गई। इस कालोनी की विकासकर्ता कम्पनी वीवीएस डेवकॉन प्रा.लि. के डायरेक्टर समृद्धि पार्क (Samridhi Park) कालोनी के विकास के लिए विकासकर्ता कंपनी वी. वी. एस. डेवकॉन प्रा. लि. के डायरेक्टर विजय भट्ट ने भूमि स्वामी योगेन्द्र यादव से रेशो डील कर योगेन्द्र यादव को करोड़ो रुपये का भुगतान भी कर दिया और भूमि पर सभी आवश्यक वैधानिक अनुमतियाँ प्राप्त कर विकास कार्य भी प्रारंभ कर करोड़ो रुपये विकास कार्य में भी खर्च कर दिए। विकासकर्ता कंपनी के डायरेक्टरो ने 70 भूखंडों का विक्रय कर उसका सारा रुपया योगेन्द्र यादव को भुगतान कर दिया जिसे वो डकार गया। कंपनी ने बिक्रीत 70 भूखंडों में से 19भूखंडों की रजिस्ट्री भी भूखंड धारकों के नाम से करवा कर भूखंड धारकों को कब्जा भी सौप दिया। शेष भूखंड अनुबंधनाधीन है। इस बीच 29 गांव नगर निगम की सीमा में आ गए उनमे छोटा बांगड़दा स्थित समृध्दि पार्क (Samridhi Park) भी आ गयी! इस वजह से नए सिरे से नगर निगम से नयी विकास की अनुमति लेने की प्रक्रिया शुरू की जिसमे काफ़ी समय लग गया, तब तक कालोनी में प्लाट के रेट काफ़ी महंगे हो गए इस कारण से भूमि स्वामी योगेंद्र यादव की नियत बदल गयी ,योगेंद्र और उसके भाई गोलू ने प्लाट धारकों से प्लाट औने पौने दामों पर लेने के लिए दबाव बनाना चालू किया, धमकी दी कब्जा वापस ले लेंगे, इस नाइंसाफी और दादागिरी के चलते डायरेक्टर विजय भट्ट ने प्लाट धारकों के हितो को सुरक्षित करने के लिए माननीय जिला न्यायलय में योगेन्द्र यादव के विरुद्ध वाद दायर कर दिया ,जो न्यायलय में विचाराधीन है। अन्य कई भूखंड धारकों ने भी न्यायालय में योगेन्द्र के खिलाफ वाद दायर कर रखे है वे सभी विचाराधीन है, इस तरह पाँच वाद योगेन्द्र यादव के खिलाफ कोर्ट में दायर है,जिनका वाद क्र आरसीएस ए- 392-2020, 2.1.वाद क्रं आरसीएस ए- 450-2020 व अन्य दायर वाद में विजय भट्ट ने 70 भूखंड धारकों के भूखंड सुरक्षित करने और रजिस्ट्री के भूखंडों को बे कब्जा ना करने की प्रार्थना की है साथ ही स्थगन आदेश भी मांगा है। वाद के बावजूद योगेन्द्र-गोलू द्वारा भूखंडों की अवैध खरीद-फरोख्त करने का आरोप भी विजय भट्ट ने लगाया है और विकास अनुमति के एवज में धरोहर रखे भूखंड भी बेच दिए और इसकी भी शिकायत निगम के अलावा शासन तक को की है और गड़बड़ी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के साथ विकास अनुमति निरस्त हो।
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