इंदौर (Indore)। प्राधिकरण की योजनाओं में शामिल अवैध कॉलोनियों के साथ-साथ गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनें भी है। खासकर योजना 171 में 13 गृह निर्माण संस्थाएं हैं, जिनकी जमीनें छोडऩे को लेकर पिछले कई दिनों से भूखंड पीडि़तों द्वारा दबाव बनाया जा रहा था। अभी आचार संहिता लगने से ठीक पहले नगरीय विकास और आवास मंत्रालय भोपाल ने इंदौर विकास प्राधिकरण सीईओ को जो पत्र भेजा है उसके मुताबिक भूमाफियाओं को तो कोई लाभ नहीं मिलेगा। अलबत्ता भूखंड पीडि़तों और भूस्वामियों को अवश्य राहत मिलेगी सकेगी और संस्था की बजाय पीडि़तों को निजी विकास की अनुमति दी जा सकेगी।
पिछले दिनों इंदौर आए मुख्यमंत्री से भी तुलसी नगर के साथ-साथ अयोध्यापुरी और योजना 171 में शामिल पुष्प विहार सहित अन्य कॉलोनियों के पीडि़तों ने मुलाकात की और लगातार ये पीडि़त कलेक्टर कार्यालय से लेकर निगम दफ्तरों में भी चक्कर काटते रहे हैं और प्रमुख सचिव नगरीय विकास और आवास नीरज मंडलोई से भी मिले, जिसके चलते अभी तीन दिन पहले नगरीय विकास और आवास मंत्रालय के उपसचिव सीके साधव ने 6 अक्टूबर को एक आदेश जारी किया है, जो मुख्य कार्यपालन अधिकारी इंदौर विकास प्राधिकरण के नाम से है, जिसमें योजना 171 को व्यपगत करने के संबंध में तीन बिन्दुओं पर सुझाव दिए गए हैं, जिसमें 10 प्रतिशत खर्च की गई राशि की व्यय की पूर्ति की कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं होना तो बताया गया। साथ ही ब्याज लेने का कोई प्रावधान नहीं है। वहीं शासन ने यह भी स्पष्ट किया कि योजना अंतर्गत भूमि स्वामी हक में परिवर्तन की स्थिति अगर निर्मित होती है तो वास्तविक भू-धारकों की पहचान के लिए जिला प्रशासन यानी कलेक्टर के साथ-साथ सहकारिता विभाग से भी समन्वय किया जाए और धारा 50 (ख) में विहित प्रक्रिया पूर्ण कर योजना को व्यपगत करने के संबंध में प्राधिकरण स्तर से ही नियमानुसार अग्रिम कार्रवाई की जा सकेगी
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