जुगाड़ू भूमाफिया अब हाईकोर्ट जाएगा
इन्दौर। कालिंदी गोल्ड में प्लाटों की धोखाधड़ी के मामले में चंपू उर्फ रितेश अजमेरा और हैप्पी धवन जहां जेल यात्रा कर चुके हैं, वहीं अब तक दांव-पेंच से बचे रहे चिराग शाह की अग्रिम जमानत सेशन कोर्ट से रद्द हो चुकी है। अब कई के आशियाने के सपनों को चूर करने वाला भूमाफिया हाईकोर्ट से जमानत के प्रयास में जुटा है।
आरोपी चिराग पिता विपिन शाह निवासी पत्रकार कॉलोनी की ओर से बाणगंगा थाने में दर्ज अपराध क्रमांक 1456/2019 धारा 420, 406, 34, 467, 468, 471 आईपीसी के केस में अग्रिम जमानत हेतु आवेदन लगाया गया था। उसके खिलाफ संजय दरेकर द्वारा रिपोर्ट लिखाई गई थी कि उसने कालिंदी गोल्ड के सेक्टर-बी में एक 2150 स्क्वेयर फीट का प्लाट अपनी पत्नी प्रीति के नाम से खरीदा था, जिसकी रजिस्ट्री होने के बाद 1 दिसंबर 2019 को मकान पर निर्माण के लिए पहुंचा तो पाया कि प्लाट पर तार फेंसिंग तोडक़र एवं उसके नाम का बोर्ड हटाकर कुल 900 वर्गफीट कार्नर वाले भू-भाग पर कब्जा करके दुकानों का निर्माण कार्य किया जा रहा था। फरियादी का कहना है किनिकुल कपासी और चिराग शाह ने छलपूर्वक, दस्तावेजों में हेराफेरी और कूटरचना कर उसके प्लाट को अवैध रूप से बेच दिया, जिस पर भूपेंद्रसिंह और बिल्डर विक्की ठाकुर मिलकर अवैध निर्माण कार्य कर रहे हैं।
कोर्ट ने कहा… आरोपी पर कई प्रकरण दर्ज, अब तक बचता रहा
सभी पक्षों के तर्क सुनने के बाद कोर्ट ने अपने आदेश में उल्लेखित किया कि आरोपी चिराग द्वारा अभियोग पत्र प्रस्तुत होने पर स्वयं को न्यायालय में उपस्थित नहीं रखा गया। कमिटल न्यायालय द्वारा आरोपी की उपस्थिति हेतु गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है। इससे दर्शित होता है कि आरोपी न्यायिक प्रक्रिया में विश्वास नहीं रखता है। पुलिस को विधिक कार्रवाई करने में उसके द्वारा सहयोग नहीं किया गया है। अब वह सीधे अग्रिम जमानत की सहायता प्राप्त करना चाहता है, तब न्यायिक प्रक्रिया के दुरुपयोग की अनुमति किसी भी व्यक्ति को प्रभावशाली होने के आधार पर नहीं दी जा सकती। आरोपी पर इसी प्रकृति के अन्य कई अपराध पंजीबद्ध हंै। अब आरोपियों ने कई कालोनियों में भागीदार और एजेंट बनकर आमजन, साधारण लोगों को भूखंड क्रय करने के लिए उनसे अनुबंध करके भारी मात्रा में पैसों की हेराफेरी एवं एक ही भूखंड को एक से अधिक बार कई लोगों को दिखाकर विक्रय अनुबंध करके धोखाधड़ी कर छल कारित किया है, जो गंभीर एवं अजमानतीय अपराध है। ऐसे अपराधियों को तकनीकी रूप से छोडऩा कतई उचित नहीं समझता हूं।
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