इंदौर, राजेश ज्वेल। संभवत: यह पहला मौका है जब किसी शहर के मास्टर प्लान को घोषित करने के तुरंत बाद उसमें धारा 23 (क) के तहत उपांतरण शासन को करना पड़े। अभी पिछले दिनों ही उज्जैन का मास्टर प्लान-2035 आवास एवं पर्यावरण विभाग ने लागू किया। मगर उसके बाद मंत्री मोहन यादव सहित अन्य रसूखदारों पर आरोप लगे कि उन्होंने अपनी कृषि उपयोग की जमीनों को आवासीय करवा लिया और ये जमीनें सिंहस्थ के सेटेलाइट टाउन उपयोग की थी, जिसे सिंहस्थ क्षेत्र से मुक्त कर दिया। कांग्रेस ने भी इस पर हल्ला मचाया तो मुख्यमंत्री ने तुरंत ही ट्वीट कर संशोधन की बात कही और अब आवास एवं पर्यावरण मंत्रालय ने मास्टर प्लान में आवासीय की गई 158 एकड़ जमीन को पुन: कृषि उपयोग में परिवर्तित करने की प्रक्रिया शुरू करते हुए ड्राफ्ट तैयार किया है।
इस ड्राफ्ट को मुख्यमंत्री की मंजूरी मिलने के बाद नोटिफिकेशन के जरिए अमल में लाने का काम शुरू होगा और फिर नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम की धारा 23 (क) के तहत इस 158 एकड़ जमीन का उपांतरण किया जाएगा। चूंकि उज्जैन का मास्टर प्लान शासन विधिवत घोषित कर चुका है, लिहाजा उसमें अब अलग से किसी आदेश के जरिए संशोधन नहीं किया जा सकता और उपांतरण की जो प्रक्रिया है उसे पूरा करना पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि उज्जैन का मास्टर प्लान पिछले दिनों ही लागू हुआ, जिसको लेकर 463 आपत्तियां और सुझाव प्राप्त हुए थे, जिनमें अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् से लेकर नेता प्रतिपक्ष रवि राय, भाजपा के ही निगम अध्यक्ष सोनू गेहलोत, विधायक महेश परमार, भाजपा के ही पूर्व मंत्री और विधायक पारस जैन सहित मीडिया ने भी इन पर आपत्तियां ली। मूल रूप से ये आपत्तियां उन स्थानों के लिए थी, जो कि सिंहस्थ 2016 में सेटेलाइन टाउनों का निर्माण सिंहस्थ के लिए किया गया था और इन जमीनों को भविष्य के सिंहस्थ के लिए भी आरक्षित रखने की बात इन आपत्तियों में कही गई, लेकिन मंत्री मोहन यादव ने अपने परिवार की लगभग 29 एकड़ जमीन को आवासीय करवा लिया।
ये जमीनें उनके अलावा उनकी फर्म, पत्नी, बहन और अन्य रिश्तेदारों के नाम पर है, जिनके मय दस्तावेजों के साथ कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सबूत रखे और आरोप लगाया कि सिंहस्थ की इस सुरक्षित जमीन का भू-उपयोग कृषि से बदलकर आवासीय कर दिया गया, ताकि यहां निजी कॉलोनियां विकसित हो सके और मंत्री सहित अन्य रसूखदार करोड़ों-अरबों कमाए। सिंहस्थ-2028 में चूंकि 10 से 15 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है और अब महाकाल लोक बनने के बाद उज्जैन में लगातार भीड़ बढ़ रही है। लिहाजा इन जमीनों को मंत्री और उनके रिश्तेदारों से छुड़वाकर कृषि ही रखा जाए। शकरवासा, सांवराखेड़ी और दाउदखेड़ी के गांवों की इन जमीनों के भू-उपयोग बदले गए थे और उज्जैन के कांग्रेस पार्षद रवि राय ने भी इसका तीखा विरोध किया और मय प्रमाण शासन को शिकायतें की। श्री सिद्धि विनायक देवकॉन और अन्य मंत्री की फर्मों की ये जमीनें अब पुन: आवासीय से कृषि की जाएगी और आवास एवं पर्यावरण मंत्रालय ने 158 एकड़ जमीनों के भू-उपयोग परिवर्तन की प्रक्रिया शुरू कर दी है और मुख्यमंत्री की सहमति मिलते ही नोटिफिकेशन भी हो जाएगा।
इंदौर रोड पर मौजूद ये जमीनें अब हो गई अत्यंत बेशकीमती
महाकाल लोक बनने के बाद वैसे भी इंदौर-उज्जैन रोड पर जमीनों के भाव तेजी से बढ़े हैं और सांवेर तक इंदौर के ही कालोनाइजरों ने जमीनें खरीदकर कालोनियां काटना शुरू कर दी, तो उधर उज्जैन की तरफ भी होटल, रेस्टोरेंट से लेकर टाउनशिपें विकसित होने लगी। दाउदखेड़ी, जो कि इंदौर रोड पर मौजूद है और यह सिंहस्थ बायपास का एरिया भी कहलाता है, जिसमें 148 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की गई थी और शहर के सभी सेटेलाइट टाउन के लिए कुल 352 हेक्टेयर जमीन थी, जिसे वर्तमान मास्टर प्लान में आवासीय कर दिया और संत-महात्मा, अखाड़ों के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों, समाजसेवियों, मीडिया की आपत्तियां भी दरकिनार कर दी गई। दाउदखेड़ी के अलावा सांवराखेड़ी, जीवनखेड़ी की भी जमीनों को सिंहस्थ से हटाकर आवासीय कर दिया गया और इससे 500 करोड़ रुपए से अधिक के शासन को भी चूना लगाने के आरोप लगाए गए, क्योंकि अगर ये जमीनें धारा 23 में उपांतरित की जाती तो शासन को इतना पैसा मिलता।
प्राधिकरणों की योजनाओं और प्रोजेक्टों की भी आज भोपाल में समीक्षा
आज भोपाल में प्रमुख सचिव आवास एवं पर्यावरण के साथ संचालक नगर तथा ग्राम निवेश द्वारा इंदौर सहित सभी प्राधिकरणों की समीक्षा बैठक भी दोपहर 3 बजे रखी गई है, जिसमें प्राधिक्रण की आय-व्यय की जानकारी, नई योजनाओं के प्रस्ताव, चल रही योजनाओं की स्थिति और 1 जून तक कितनी सम्पत्तियां बेची उसका ब्योरा लिया जाएगा। अभी इंदौर विकास प्राधिकरण के भी चल रहे प्रोजेक्टों और योजनाओं की जानकारी सीईओ आरपी अहिरवार द्वारा दी जाएगी। लीज होल्ड, फ्री होल्ड सहित 15 विषयों का एजेंडा जारी किया गया है।
अखाड़ों की भी थी कड़ी आपत्ति – मुख्यमंत्री ने किया था ट्वीट
उज्जैन का मास्टर प्लान जैसे ही लागू हुआ तो उसके बाद उसमें हुए जमीनी खेल के हल्ले मचने लगे। सिंहस्थ के लिए रिजर्व 872 एकड़ में से लगभग 185 एकड़ का भू-उपयोग बदलकर उसे अलग कर दिया गया, जिसमें से 29 एकड़ जमीन उच्च शिक्षा मंत्री और उज्जैन दक्षिण से भाजपा के विधायक डॉ. मोहन यादव और उनके परिवार के नाम बताई गई। कांग्रेस ने पत्रकार वार्ता लेकर गंभीर आरोप लगाए थे और अखाड़ों ने भी इसका तीखा विरोध किया, तब मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने ट्वीट कर उज्जैन के मास्टर प्लान में संशोधन की बात कही।
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