इंदौर, अरविंद तिवारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) में एक नया संकट खड़ा हो गया है। अगले 11 दिन के चुनावी खर्च (Election expenses) के लिए न उम्मीदवार (Candidate) के पास पैसा न ही संगठन मुट्ठी खोलने को तैयार है। दिल्ली-भोपाल (Delhi-Bhopal) से साफ कह दिया गया है कि चुनावी खर्च का बंदोबस्त इंदौर में ही करना होगा। बुधवार रात करीब साढ़े तीन घंटे चली बैठक के बाद भी पार्टी के नेता चुनावी खर्च के मामले में किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पाए। आधा खर्च प्रत्याशी उठाए और आधा संगठन, इस फार्मूले पर भी बात नहीं बन पाई। सांसद और पार्टी उम्मीदवार शंकर लालवानी (Shankar Lalwani) ने हाथ खड़े कर दिए हैं। स्थानीय संगठन ने भी स्पष्ट कर दिया है कि अब उसके पास पैसे का बंदोबस्त नहीं है। एक सुझाव तो यह भी आया कि अभी उधार लेकर काम चला लो, बाद में चुका देंगे।
बुधवार रात जावरा कंपाउंड स्थित पार्टी कार्यालय पर दिग्गज नेताओं की बैठक हुई। इसमें नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे एवं जिला अध्यक्ष चिंटू वर्मा के साथ ही चुनाव प्रभारी रवि रावलिया और सहप्रभारी गोपाल गोयल, उम्मीदवार शंकर लालवानी, मंत्री तुलसी सिलावट, विधायक रमेश मेंदोला, मालिनी गौड़, मधु वर्मा और गोलू शुक्ला के साथ ही पूर्व विधायक गोपीकृष्ण नेमा और सुदर्शन गुप्ता भी मौजूद थे। बैठक में सबसे पहले इस बात पर चर्चा हुई कि ज्यादा से ज्यादा वोट कैसे डलवाए जाएं। कांग्रेस उम्मीदवार द्वारा नामांकन वापस लिए जाने के बाद भाजपा नेताओं की चिंता इस बात को लेकर है कि कहीं लोग मतदान को लेकर उदासीन नहीं हो जाएं। पार्टी कार्यकर्ताओं को कैसे सक्रिय रखा जाए, इस पर भी बात हुई और ज्यादातर नेताओं ने कहा कि वर्तमान स्थिति में कार्यकर्ताओं को सक्रिय रखना जरूरी है और इसके लिए खर्चा करना भी जरूरी है।
4 करोड़ लग गए, 8 से 10 करोड़ और लगाना पड़ेंगे
पार्टी नेताओं ने अगले 11 दिन में होने वाले संभावित खर्च का आकलन किया तो यह बात सामने आई कि अभी 8 से 10 करोड़ का खर्च अनुमानित है। इसमें मतदान के दिन का खर्च भी शामिल है। यह भी कहा गया कि अभी तक तकरीबन 4 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं। पार्टी विधायकों ने कहा कि देने वाले हाथ जोडऩे लगे हैं। संगठन की ओर से यह बात रखी गई कि हमारे पास जो पैसा अलग-अलग माध्यमों से आया था, वह खर्च किया जा चुका है। यह बात भी उठी कि अब जो खर्च होना है, उसमें आधा खर्च प्रत्याशी करे और आधा संगठन। इस पर लालवानी ने हाथ खड़े कर दिए और कहा कि मैं इतना खर्च नहीं उठा पाऊंगा। उनका कहना था कि एक टीम बना ली जाए, जो अलग-अलग लोगों से संपर्क कर चंदा जुटाए। कुछ नेताओं ने सुझाव दिया कि अभी उधार ले लो, बाद में चुका देंगे, पर इस पर सहमति नहीं बनी।
माखीजा, लालवानी और मांधवानी निकले थे चंदा करने
इंदौर 4 से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुके राजा मांधवानी भले ही तीन दिन पहले भाजपा में शामिल हुए हों, लेकिन वे पिछले एक पखवाड़े से चंदू माखीजा और प्रकाश लालवानी के साथ चंदा करने में जुटे हुए थे। इन लोगों ने आधा करोड़ रुपए के आसपास राशि इकट्ठी की थी, जो सांसद लालवानी ने संगठन को सौंप दी थी।
विधायक बोले- चुनाव कार्यकर्ताओं का फेस्टिवल
बैठक में एक विधायक ने कहा कि कार्यकर्ताओं की आदत हमने विधानसभा चुनाव में ही बिगाड़ दी। अब लोकसभा चुनाव में भी वह हमसे अपेक्षा कर रहा है। यदि उसे पैसा नहीं मिला तो वह काम नहीं करेगा। इसका सीधा असर मतदान के प्रतिशत पर पड़ेगा। इसलिए उस पर खर्चा तो करना पड़ेगा।
बड़ी चर्चा है देश-विदेश से मिले चंदे की
भाजपा में इन दिनों पार्टी उम्मीदवार शंकर लालवानी को देश-विदेश के समाजजनों से मिले चंदे की बड़ी चर्चा है। पार्टी के लोगों कहना है कि इन लोगों ने लालवानी की दिल खोलकर मदद की है। उनका टिकट तय करवाने में भी उनकी अहम भूमिका रही थी।
… इसीलिए भागे बम
टिकट लेते समय अक्षय बम को चुनावी खर्च का अहसास नहीं था, लेकिन जब चारों ओर से डिमांड आने लगी तो घबराए बम पहले ही दिन से चुनाव से बाहर निकलने का रास्ता खोजने मेंं लगे थे और मौका मिलते ही वे भाजपा मेें आ गए।
भारी पड़ रहा है जनसंपर्क का खर्च
अगले 9 दिन के जनसंपर्क पर करीब 50 लाख रुपए खर्च होना है। यह खर्च अब उम्मीदवार और संगठन दोनों को भारी पडऩे लगा है। उम्मीदवार का तो मानना है कि चूंकि चुनाव तो वह जीत ही रहे हैं, ज्यादा पैसा क्यों खर्च किया जाए। पार्टी नेताओं का कहना है कि ऐसा संभव नहीं है। जनसंपर्क भी जरूरी है और खर्च भी करना पड़ेगा।
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