नई दिल्ली: सीबीआई अदालत ने चारा घोटाले (Fodder Scam) से जुड़े डोरंडा मामले (Doranda Case) में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव की जमानत के लिए आदेश जारी कर दिया है. इससे पहले लालू ने रिहाई के लिए 10 लाख रुपये कोर्ट में जमा कर दिए हैं. इस मामले में रिहाई की कागजी कार्रवाई चल रही है. इस हिसाब में लालू प्रसाद यादव किसी भी वक्त जेल से रिहा हो सकते हैं.
भेजा गया बेल बॉन्ड
झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court ) से बुधवार को बेल बॉन्ड निचली अदालत में भेज दिया गया था. लालू प्रसाद के वकील ने बताया कि बेल बॉन्ड भर दिया है. अब उन्हें कभी भी जेल से जमानत पर रिहा किया जा सकता है.
डोरंडा मामले में मिली है बेल
आपको बता दें कि लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले से जुड़े डोरंडा ट्रेजरी मामले में जमानत मिली है. ये केस डोरंडा कोषागार (खजाने) से 139 करोड़ रुपये की निकासी का है. साल 1990 से 1995 के बीच डोरंडा कोषागार से 139 करोड़ रुपये की निकासी हुई थी. 27 साल बाद कोर्ट ने इसी साल फरवरी में इस घोटाले पर फैसला सुनाया था, जिसमें लालू यादव को दोषी पाया गया था.
इस मामले में लालू यादव को पांच साल की सजा हुई थी और 60 लाख का जुर्माना लगाया था. हाई कोर्ट ने सजा की आधी अवधि पूरी कर लेने के आधार पर उन्हें जमानत दी थी. इसके लिए उन्हें 10 लाख रुपये का जुर्माना जमा करने का आदेश दिया गया था.
एम्स में चल रहा इलाज
अधिवक्ता अनंत कुमार ने बताया कि लालू प्रसाद के लिए रंजन कुमार और अंजल किशोर सिंह ने बेल बांड भरा. कोर्ट का रिलीज ऑर्डर बिरसा मुंडा कारागार भेजा गया है. आपको बता दें कि लालू प्रसाद फिलहाल न्यायिक हिरासत में एम्स में इलाज करा रहे हैं. उन्हें एम्स से डिस्चार्ज करने का निर्णय वहां के डॉक्टर लेंगे.
इन मामलों में हो चुकी बेल
डोरंडा कोषागार मामले में बेल मिलने से पहले लालू यादव को इन मामलों में बेल मिल चुकी है.
1. चाईबासा कोषागार से 37 करोड़ और फिर 33 करोड़ की अवैध निकासी मामले में 5 -5 साल की सजा हुई थी. आधी सजा काटने के बाद से वो बेल पर हैं.
2. देवघर कोषागार से 79 लाख रुपये अवैध निकासी के मामले में उन्हें साढ़े 3 साल की सजा हुई थी. उस मामले में भी वह आधी सजा काट चुकने और खराब स्वास्थ्य के आधार पर बेल पर हैं.
3. वहीं दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ की अवैध निकासी के मामले में लालू को अलग-अलग धाराओं में 7-7 साल की सजा सुनाई गई थी. इस केस में उन्हें अप्रैल 2021 में झारखंड हाई कोर्ट से बेल मिल गई थी.
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