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    CBI के नये दांव से बढ़ेगी Lalu Prasad Yadav की मुश्किल, 3 साल और लटकेगी जमानत

  • April 12, 2021

    रांची/पटना। बिहार के पूर्व मुख्‍यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) की जमानत इस बार भी उतनी आसान नहीं दिख रही है, जितनी 2 महीने की बाकी सजा पूरी करने के बाद माना जा रहा था। सीबीआई (CBI) ने राजद सुप्रीमो के वकील कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) को एक बार फिर से पछाड़ने के लिए अपने तरकस से नये तीर छोड़े हैं।

    सीबीआई ने लालू यादव की जमानत याचिका पर ही अब सीधे-सीधे सवाल खड़े कर दिए हैं। उसका कहना है कि चारा घोटाले के दुमका कोषागार मामले में लालू प्रसाद यादव की जमानत याचिका का कोई औचित्‍य ही नहीं है। इस मामले में उन्‍हें दो अलग-अलग धाराओं में सीबीआई की विशेष अदालत ने कुल 14 साल की सजा सुनाई है। यही नहीं, कोर्ट ने अपने आदेश में स्‍पष्‍ट रूप से कहा है कि दोनों सजाएं अलग-अलग चलेंगी यानी एक सजा पूरी होने के बाद दूसरी सजा शुरू हो जाएगी।

    लालू की जमानत पर 16 अप्रैल को सुनवाई
    झारखंड हाईकोर्ट में चारा घोटाले के चार मामलों के सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव की जमानत पर अब 16 अप्रैल को सुनवाई होगी। इस बीच उनके वकील कपिल सिब्बल ने सीबीआई पर लालू को जेल से नहीं निकलने देने और जानबूझकर उनके मामले को लटकाने का आरोप लगाया है। सीबीआई ने उनकी जमानत याचिका पर अदालत की ओर से दिए गए तीन दिन के निर्धारित समय के बजाए पहले की दिन अपना जवाब दाखिल कर सबको चौंका दिया है।

    सीबीआई ने दर्ज की इस फैसले पर आपत्ति
    CBI ने इससे पहले ही झारखंड हाईकोर्ट के उस फैसले पर आपत्ति की है, जिसमें लालू को दी गई सात-सात साल ( कुल 14 साल) की दोहरी सजा के बदले सिर्फ सात साल की सजा मानकर जमानत याचिका पर सुनवाई की जा रही है। एजेंसी का कहना है कि सीबीआई की विशेष अदालत ने 1990 में चारा घोटाले के दुमका कोषागार से करोड़ों रुपये की अवैध निकासी के मामले में उनको दो अगल-अलग धाराओं में सात-सात साल की सजा दो बार सुनाई है। साफ है कि वर्तमान हालात में लालू यादव की आधी सजा पूरी नहीं हो पा रही है, लिहाजा उनकी जमानत याचिका पर कोर्ट की सुनवाई का कोई मतलब नहीं है। लालू प्रसाद यादव चारा घोटाले के मामले में अब तक एक साल 17 दिन की सजा काट चुके हैं।

    कपिल सिब्बल जताई ये आंशका
    लालू प्रसाद यादव की ओर से बहस में शामिल हो रहे सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने आशंका जताई है कि सीबीआई इस मामले में नया दांव खेलने की तैयारी कर रही है। उन्‍होंने कहा कि झारखंड हाईकोर्ट दुमका कोषागार मामले में सात साल की सजा की आधी अवधि मानकर लालू की जमानत पर सुनवाई कर रहा है, लेकिन एजेंसी इसे 14 साल की सजा बता रही है।

    इस मामले में सीबीआई सुप्रीम कोर्ट में झारखंड हाईकोर्ट के 19 फरवरी के आदेश को चुनौती देकर स्थगन आदेश प्राप्त कर सकती है। ऐसे में लालू प्रसाद यादव की जमानत का मामला तीन-चार साल के लिए फिर लटक जाएगा। इस बीच कपिल सिब्‍बल ने कहा कि सीबीआई स्‍पेशल कोर्ट ने दुमका मामले में लालू को सात-सात साल की अलग-अलग सजा सुनाने के साथ दोनों सजाएं अलग-अलग चलाए जाने का भी आदेश दिया है। ऐसे में लालू यादव को कुल 14 साल की सजा काटनी है। साथ ही उन्‍होंने कहा कि लालू प्रसाद यादव को सीबीआई किसी भी कीमत पर जेल में रखना चाहती है।

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