नई दिल्ली। दीपावली (Diwali ) धनतेरस, नरक चतुर्दशी, महालक्ष्मी पूजन (Worshiping Mahalaxmi), गोवर्धन पूजा और भाईदूज (Govardhan Puja and Bhai Dooj) इन 5 पर्वों का मिलन है. दिवाली इस साल 24 अक्टूबर 2022 को है. ब्रह्म पुराण के अनुसार दिवाली पर अर्धरात्रि में मां महालक्ष्मी घरों में विचरण करती हैं भक्तों की पूजा और आस्था से प्रसन्न होकर देवी स्थायी रूप से पृथ्वी पर निवास करती हैं. दिवाली की रात मां लक्ष्मी के साथ गणेश जी की पूजा का विशेष महत्व (special importance) है.
सनातन धर्म में किसी भी पूजा-पाठ में गणपति प्रथम पूजनीय (ganpati first worshiped) माने गए हैं लेकिन इसके अलावा भी एक कारण है जो लक्ष्मी पूजन(Lakshmi Puja) में विष्णु जी का नहीं गणेश जी का होना जरूरी माना गया है. गजानन की पूजा के बिना दिवाली पर धन की देवी की उपासना अधूरी मानी जाती है. आइए जानते हैं इसके पीछे की कथा.
विष्णु जी ने तोड़ा मां लक्ष्मी का घमंड
मां लक्ष्मी श्रीहरि की बात सुनकर निराश हो गईं. देवी मां पार्वती के पास पहुंची और उन्हें सारी बात बताई. जगत जननी मां पार्वती ने लक्ष्मी जी की पीड़ा देखते हुए अपने एक पुत्र गणेश को उन्हें दत्तक पुत्र के रूप में सौंप दिया. देवी लक्ष्मी अति प्रसन्न हुईं और उन्होंने भगवान गणेश को अपनी सिद्धियां, धन, संपत्ति, सुख गणपति को प्रदान करने की बात कही. देवी ने घोषणा की कि साधक को धन, दौलत, ऐश्वर्य की प्राप्ति तभी होगी लक्ष्मी के साथ गणेश जी की उपासना की जाएगी, तब से ही दिवाली पर इनकी आराधना की जाती है. गणपति हमेशा लक्ष्मी जी के बाईं ओर विराजमान होते हैं ऐसे में देवी की मूर्ति या तस्वीर लेते वक्त इस बात का ध्यान जरूर रखें.
बिना बुद्धि के धन का सदुपयोग नहीं किया जा सकता
गणेश जी बुद्धि और विद्या के दाता है. लक्ष्मी के साथ गणेश पूजन का एक कारण यह भी है कि धन के साथ बुद्धि का आशीर्वाद मिलता है, क्योंकि बुद्धि के बिना धन होना व्यर्थ है. धन के सदुपयोग के लिए बुद्धि और विवेक अति आवश्यक है.
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